जयगुरुदेव
13.06.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.)
*भविष्यवाणी सच हो या न हो, यह वक्त की सन्त के ऊपर निर्भर करता है*
*परमात्मा के तदरूप समर्थ सन्त ही माफ करते-कराते हैं*
जैसे बेटे के प्रति बाप के कठोर व्यवहार में भी बेटे की भलाई ही छिपी होती है, ऐसे ही अपने अपनाए हुए जीवों की भलाई के लिए सब यतन करने वाले, बार-बार संभालने वाले, परमात्मा के तदरूप, सदैव एक रस रहने वाले, पुरानी भविष्यवाणीयों की सत्यता जिनकी इच्छा पर निर्भर है ऐसे इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने होली कार्यक्रम में 8 मार्च 2020 सांय उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि
जब बातों को मानते ही नहीं तो उनको भी नाराजगी रहती है। कहते हैं थोड़ा सजा भोग लेने दो, कोई बात नहीं। बाप जब लड़के को बार-बार किसी चीज के लिए मना करता है, कहता है संभाल कर चलो नहीं तो गिर जाओगे, ठोकर लग जाएगी और बेटा नहीं मानता और जब ठोकर लग ही जाती है तब बाप कहता है, इसको पड़ा रहने दो, चिल्ला लेने दो, थोड़ा सबक सीख लेने दो। फिर, है तो अपना ही बच्चा, बेटा। अगर सन्त अपना लेते हैं, नाम दान दे देते हैं तो फिर जीव की संभाल करते हैं। थोड़ा सा ठोकर खाने के बाद फिर दया कर देते हैं। जब ठोकर खाने के बाद संभलता है तब फिर जुड़ जाता है, माया और मन के चक्कर में, इस मृत्युलोक में नहीं आता है और नहीं तो जीव फिर से फंस जाता है।
*परमात्मा के तदरूप समर्थ सन्त ही माफ करते-कराते हैं*
महाराज जी ने 30 अक्टूबर 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में बताया कि करने वाला तो वही है। सन्त ही सतगुरु भगवान परमात्मा के तदरूप होते हैं। वही माफ करते-कराते हैं बाकी तो काल रुप तिनकर मैं भाता, शुभ और अशुभ कर्म फल दाता। जितनी भी अवतारी शक्तियां आई, जितने भी लोग आये, काल और दयाल दोनों धार लेकर के आए। वह तो दोनों काम करते हैं। कृष्ण भगवान ने माफी नहीं दिया, कहा पांडव तुमको कर्मों की सजा मिलेगी नहीं तो तुम समरथ गुरु की खोज करो, उनसे रास्ता लो, योग करो, साधना करो तब तुम्हारे मानव हत्या के कर्म माफ होंगे। तो आप अपनी गलती की माफी मांग लो और आज संकल्प बना लो कि हम इस तरह की कोई गलती (मांसाहार आदि) नहीं करेंगे जिससे हमारा यह मनुष्य शरीर रूपी मंदिर गंदा हो जाए। इसको हम गंदा नहीं करेंगे। और इसमें हम साधना करके अपनी आत्मा को जगाएंगे और मालिक तक पहुंचाएंगे।
*सन्तों का कोई दोस्त और दुश्मन नहीं होता है*
महाराज जी ने 31 अक्टूबर 2020 सांय उज्जैन आश्रम में बताया कि सन्तों की बातें सच्ची और खरी रही है। कुछ लोगों को पसंद आई हैं, और कुछ लोगों को नहीं भी आई। लेकिन वह अपने सिद्धांत और उसूल के अनुसार ही चले हैं। उसी हिसाब से लोगों को फायदा लाभ दिलाएं हैं। सन्तों का कोई दोस्त या दुश्मन नहीं होता, वह तो एक रस होते हैं। और जो कोई उनको दुश्मन भी मानता है उसकी भी भलाई वह करते हैं।
*भविष्यवाणी, वक्त के सन्त पर निर्भर करती है*
महाराज जी ने शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर 2020 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि बहुत से भविष्य वक्ता हुए, भविष्यवाणियां करके चले गए। लेकिन वक्त के महात्माओं ने उन भविष्यवाणी को काट दिया। यह मौजूदा सन्त के ऊपर निर्भर करता है की भविष्यवाणी, जो कह कर के गए, सत्य होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए। मान लो कोई क्रूर रहा, अपराधी रहा और अब उसके अंदर सुधार आ गया तो उसकी माफी भी हो जानी चाहिए, सजा से बचा लेना चाहिए। मजिस्ट्रेट जज के सामने जब कोई अपराधी अपना अपराध कबूल कर लेता, कान पकड़ लेता, तौबा कर लेता है कि अब गलती नहीं करेंगे, माफ कर दीजिए तो उसको को पावर होती है, माफ कर दिया करता है। तो देखो भविष्यवक्ता तो बहुत हुए लेकिन किसी-किसी की ही भविष्यवाणी सत्य हुई। शत प्रतिशत कोई भी भविष्यवाणी किसी की सत्य नहीं हुई। पीछे के महात्मा लोग भी बहुत सी बातों को कह कर गए, कुछ सत्य हुई, कुछ में कमी आ गई और कुछ को वक्त के महात्माओं ने बदल दिया। तो उनको पावर अधिकार होता है कि वह उनकी बातों को टाल दें, खत्म कर दें।
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