17.) महाराज जी के सत्संग वचनों की 60 सेकेण्ड की वीडियो क्लिप में सुनिए काम की जानकारी

जयगुरुदेव 
परम् पूज्य परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के जनहितकारी परमार्थी वचन :-

227. ऊपरी लोकों में संतों के लिए कोई रोक-टोक नहीं होती है।


228. एक-दो स्थान तक सुध रहती है।


229. काल के नीचे के लोकों की आवाजें अनहद कहलाती है।


230. जप मरा, अजपा मरा, अनहद भी मर जाए, सुरत समाही शब्द में ताको काल न खाय।


231. साधना में जल्दी खिंचाव होने पर साधक को घबराने की जरूरत नहीं है।


232. जो अच्छे साधक होते हैं वह अपने को छुपा कर रखते हैं।


233. काम क्रोध लोभ मोह अहंकार साधकों के अंदर तेज होते हैं।


234. जब सतगुरु अपना काम शुरू करते हैं तो लोग जान(पहचान) जाते हैं।


3235. सन्त दूसरे के कर्मों को ले लेते हैं।


236. गद्दी कब तक कायम रहती है ?


237. भविष्यवाणी सच हो या न हो यह वक्त के संत के ऊपर निर्भर करता है।


238. छोटे बड़े सभी आश्रमों से परमार्थी गतिविधियां शुरू हो जाएं।



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