जयगुरुदेव
29.04.2023
प्रेस नोट
अमरेली (गुजरात)
*शाकाहारी गांव घोषित कराने का अभियान चला दो*
*तपस्या की जगह हाथ पैर से सेवा करवाई जा रही है*
शाकाहारी का प्रचार करने वाले, प्रभु से बरकत दिलाने वाले, कुदरत के टूटते नियमों के प्रति सबको सजग करने वाले, जबरदस्त शक्ति भरने वाले, जरा सी सेवा में बड़े-बड़े पाप कर्म कटवा देने वाले निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 26 अप्रैल 2023, प्रातः अमरेली (गुजरात) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि
पहले आप लोग (मांस खाना) छोड़ो फिर दूसरों का छुड़वाओ और फिर वह और दूसरों को छुड़वा दें। अगर यही अभियान चला दो की कोई मांस नहीं खाएगा, न बिकेगा, लोग मांस, मछली, अंडा छोड़ देंगे, सब शाकाहारी हो जायेगे, शाकाहारी गांव घोषित करा दो, इसी में आपका बहुत बड़ा नाम, काम हो जाएगा। अब अगर इसमें (सतसंग सुनने आये विशाल जनमानस में) कोई बकरा काटने वाले, मीट की दुकान करने वाले बैठे हो तो आपको भी विश्वास दिला देता हूं कि जो पैदा होने के पहले मां के स्तन में दूध भरता है, परवरिश वह करता है, देता वो है। अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम, दास मलूका कह गए सबके दाता राम। वह देता है, आपको देगा। मेरे कहने पर बहुत से लोगों ने अंडा, मांस, मछली, शराब की दुकान बंद कर दी, मांसाहारी होटल बंद कर दिया, शाकाहारी चालू किया, दूसरा धंधा शुरू किया। कह रहे हैं कि पहले से बहुत अच्छा है, आमदनी भी अच्छी हो रही है, झगड़ा-झंझट, टेंशन भी नहीं है, हर तरह से फायदा है।
*जिसको आप बना नहीं सकते हो उस को बिगाड़ने के हकदार नही हो*
आप आंख फैला कर के देख लो, जिन इलाकों में देवियों की मूर्ति के सामने बकरा चढ़ाया जाता है, उनमें ज्यादा तकलीफ हैं। घर-घर में बीमारी, लड़ाई-झगड़ा, टेंशन, हिंसा-हत्या, परेशानी आदि सब आपको दिखाई पड़ेगी। इसीलिए बलि तो जीवन में कभी भी मत चढ़ाना। और आप जो पढ़े-लिखे समझदार मुखिया प्रधान टाइप के मुख्य लोग जो बैठे हो, आप लोगों को समझाओ कि जीव की रक्षा करना बहुत बड़ा पुण्य होता है। जीव को मारना, काटना, सताना बहुत बड़ा पाप होता है। जिसको आप बना नहीं सकते हो, उसको बिगाड़ने के हकदार नहीं हो। जब किसी का बगीचा, खेत उखाड़ोगे तो सजा देगा। इसीलिए कुदरत के इस नियम को मत तोड़ो। जीवों की रक्षा करो। न रक्षा कर सको तो हिंसा-हत्या मत करो। कहा गया है- जो गल काटे और का अपना रहा कटाय, साहब के दरबार में बदला कहीं न जाए। इसीलिए बदला देना पड़ता है। आपकी वजह से किसी का गला न कटे।
*बातचीत में आपसे कोई जीत नहीं सकता है*
आप अभी उज्जैन में 15, 16 व 17 मई भंडारे पर जब हमारे आश्रम पर आओगे तो उसमें आपको ऊंचे से ऊंचा सतसंग सुनाया जाएगा। कैसे सृष्टि बनी, कैसे यह मनुष्य बना, हवा से क्या बनता है, पानी से क्या तत्व मिलते हैं, कौन किससे बना है, कैसे किसमें समाते हैं? आदि सब बताया जाएगा। आपको बहुत जानकारी हो जाएगी। फिर तो आप से कोई बातचीत में जीत नहीं सकता है। आपको ऐसा अस्त्र-शस्त्र मिल जाएगा कि आप बड़े-बड़े को (की बात को) काट दोगे, लेकिन जब इच्छा रखोगे, सुनने की, जानने की, समझने की, कुछ पाने की तब तो होगा। लेकिन मैं कहता हूं आग में गर्मी है और आप आग के करीब नहीं गए तो आपको क्या पता? बर्फ के ऊपर हाथ रख दोगे तब ही तो ठंडी का पता चलेगा। तो थोड़ा समय तो निकालना पड़ेगा, थोड़ी मेहनत तो करनी पड़ती है। घर जैसा थोड़ी (नहीं) रहता है।
*तपस्या की जगह हाथ पैर से सेवा करवाई जा रही है*
पहले देखो कितनी तपस्या लोग करते थे। पेड़ों पर उल्टे टंगे रहते थे, हड्डी-हड्डी रह जाती थी, मांस खून सूख जाता था। जल्दी कोई चीज मिलने वाली नहीं रहती थी। अब तो बहुत आसान हो गया। अब तो तपस्या कुछ करनी नहीं है, ज्यादा तपाना जलाना नहीं है। अब तो हाथ पैर से जो कर्म बन गए, चल फिर करके, उसे सेवा करके काट लेना है। तो सारा संसार शब्द पर ही टिका हुआ है। प्रलय जब होता है तो शब्द को ही खींचा जाता है तो यह सब सिमटते चले जाते हैं। तो यह ध्वन्यात्मक नाम है, पांच नाम है। अब जिनका नाम होता है उनका रूप, स्थान होता है और उनकी होती है आवाज।
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परम् पूज्य महाराज जी |
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