*लोकतंत्र सेनानी बाबा उमाकान्त जी ने बताये आपातकाल के निजी अनुभव*

जयगुरुदेव

29.03.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.)


*लोकतंत्र सेनानी बाबा उमाकान्त जी ने बताये आपातकाल के निजी अनुभव*

*मुक्ति दिवस क्या याद दिलाता है*

निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, लोकतंत्र सेनानी, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 23 मार्च 2023 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि  

जबरन नसबंदी करने आदि खराब समय पर उस बेवा प्रधानमंत्री ने कहा, इमरजेंसी लगाओ। उसके साथ बुद्धि खराब करने वाली चीजों (शराब, मांस, नशा आदि) का सेवन करने वाले लोग थे, बोले इमरजेंसी लगाओ। उस समय की व्यवस्था के खिलाफ जो कोई भी बोल देता, उसको उठा-उठा कर जेलों में बंद करने लग गए। नहीं सोच पाए कि यह धर्म परायण देश है, धर्म की बेल महात्माओं सन्तों द्वारा बढ़ी, पूरे विश्व में फैली, इसका भी ध्यान नहीं रखा। गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव, साधु भेस वालों आदि सबको जेल में बंद कर दिया था। गुरु महाराज की आवाज बंद करने की बहुत कोशिश किया। कईयों का मुंह धन पद प्रतिष्ठा के लोभ लालच से बंद कर दिया था, उसी का गुणगान गाने लग गए थे। यहां तक कि बहुत से दुकानदार बेवा प्रधानमंत्री का फोटो लगाकर के सुबह-शाम अगरबत्ती जलाते थे।

*सकल धर्म देखे विपरीता। कह न सके रावण भयभीता।।*

ऐसे हालात में भी गुरु महाराज की जबान कोई बंद नहीं करा पाया। बहुत दिन गुरु महाराज को बेड़ियों में रखा, हथकड़ी बांधा, जेलों में जगह बदल-बदल कर रखा। उत्तर प्रदेश के माफिया के नाम से (दक्षिण भारत की) जेल में भेजा। जेलर ने देख कर कहा यह तो साधू है। किसी भी तरह से गुरु महाराज को रास्ते से हटाने का प्लान बना लिया था। जब इंक्वायरी होगी, गुनाह करने वाले जेल में जाएंगे, अगर बचेंगे जो, रिसर्च जब होगा, सारा पोल खुलेगा। आज हम को यह बात कहने की आवश्यकता महसूस नहीं होती कि ज्यादा इस पर कुछ बोला कहा जाए। लेकिन हर तरह से सताने की कोशिश किया।

*लालच भी बहुत दिया*

लालच भी दिया कि हमारा प्रचार कर दो, दो करोड़ रुपया ले लो, हेलीकॉप्टर ले लो, दौरा करो लेकिन गुरु महाराज को तब प्रजातंत्र बहाल करना, उस समय का तानाशाह रूपी राजतंत्र को खत्म करना था तो कई महीने जेल में रहे। काफी दिनों तक भूखे भी रहे। क्यों भूखे रहें, यह सब बताने की जरूरत अभी नहीं है। समय आएगा, लोगों को मालूम हो जाएगा। 

लेकिन गुरु महाराज भोजन नहीं खाए, बहुत तकलीफ झेली। समय पलटा खाया, बहुत से प्रेमी गुरु महाराज के साथ में थे, बातचीत करते, कहते थे कि अब तो हम लोगों की जिंदगी जेल में ही बीतेगी। तो गुरु महाराज बराबर याद दिलाते रहे कि सोचो लोग कहते थे की सूरज उदय होने से लेकर अस्त्त होने तक अंग्रेजों का राज है, इनको कौन हटा पायेगा लेकिन छोटे लोग, गांव के लोग, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कहलाये, जब जाते तो लोग अपने दरवाजे से अंग्रेज साहब के डर से भगा देते थे कि अंग्रेज साहब नाराज हो जायेगा, तब जंगल में जाकर कहते थे, आजाद करा लेंगे। गुरु महाराज इन बातों को जब लोगों को याद दिलाते थे तब लोगों को ढाढ़स, विश्वास बनता था।

*लोकतंत्र सेनानी बाबा उमाकान्त जी के निजी अनुभव*

अपनी बात बता रहे हैं। हम लोगों को दरोगा हथकड़ी बांधकर, मुर्गा बना देते, मारते, पीटते थे। हमने अंग्रेजों (सूरज उदय से अस्त्त होने तक वाला राज भी ख़तम हो जाने) वाली बात कही तो गुरु महाराज की दया से उस पर प्रभाव पड़ गया। थोड़ी देर तक सोचता रहा बोला, ले जाओ, इनको हवालात में बंद कर दो। धाराएं लगाकर हमें जेल में बंद कर दिया। जेल में तानाशाही चल रही थी। हम ही दो-तीन पढ़े लिखे-लोग जब अपने अधिकारों को बताने लग गए तो वो भी ढीले पड़ गए। 

अपने लोगों का भंडारा अलग कर दिया। बहुत लोग थे, कहा अपना पकाओ, खाओ। तो हम लोग अपने हिसाब से पकाते खाते और खिलाते थे, प्रसाद के रूप में। जैसे थोड़ा-थोड़ा आटा बचा लेते थे। चना भिगो कर भूंजने के लिए तेल मिलता था। कभी-कभी दलिया के साथ गुड़ मिलता था। तो नमक की दलिया खा लेते, गुड़ बचा लेते थे। चना भिगोकर के उबालकर खा लेते और तेल बचा लेते थे। तेल में आटा भून लेते थे। दो-चार क्विण्टल आटा भून लिया, गुड़ डाल दिया, पंजीरी बन जाती थी तो जयगुरुदेव नाम की अखंड नाम ध्वनि करते थे, 12, 24 घंटा लगातार। फिर वह 15, 30 दिनों में एक बार बंटता था। 

लोग पूछते थे बाबा पंजीरी कब बटेगी? नियम बना था, सुबह उठते, बैरक खुलती, लाइन से खड़े होकर प्रार्थना बोलते, फिर दैनिक क्रिया करते। काम, भोजन किया। भजन ध्यान करते थे। पुराने लोग उपदेश सुनाते थे। भजन भाव भक्ति में ऐसा समय बीतता था कि लोगों को मालूम ही नहीं पड़ता था कि हम जेल में बंद है। कुछ (गैर नामदानी) लड़के जब उत्पात करते तो बुड्ढे डांटते की उत्पात मत करो, डी आई आर लगा है, जेल में बंद हो जाओगे तो दुसरे ने याद दिलाया बाबा अभी कहां हो? अरे, जेल में हैं तब भान होता था। गुरु की दया क्या-क्या बताया जाए (बहुत हुई)। तो गुरु महाराज को बड़ी तकलीफ लोगों ने दिया। लेकिन परिवर्तन का समय आया। 

जब शासन को मालूम हो गया कि जनता नहीं मानेगी तब हटाने की घोषणा हुई। जेल में बंद अन्य नेता लोग गुरु महाराज से पूछते थे कि कब इमरजेंसी हटेगी। एक दिन गुरु महाराज ने तारीख वगैरह सब बता दिया कि इस से उस तारीख के बीच अगर आपातकाल ख़त्म नहीं हुआ तो अंदर वाले (हम सब) बाहर और बाहर वाले (सताधारी) अन्दर होंगे, समय दे दिया था। उससे पहले चुनाव की घोषणा हो गयी और 23 मार्च को जेल से बाहर निकले थे। तब से प्रेमी मुक्ति दिवस को ख़ुशी से बराबर मनाते चले आ रहे हैं।

*मुक्ति दिवस क्या याद दिलाता है*

ये की अत्याचार अन्याय का अंत करने के लिए गुरु महाराज जेल में गए थे। और एक मुक्ति है कि शरीर में अब जीवात्मा को दोबारा आना न पड़े। इसकी भी मुक्ति हो जाए, अपने देश अपने घर ही पहुंच जाएं- वह दिवस आज आप को मानना चाहिए और यह संकल्प बनना चाहिए कि दुबारा इस मृत्युलोक के किस भी शरीर में न आवें।


44 मिनट से

Loktantra senani baba umakantji maharaj


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ