जब तक शरीर, परिवार वालों की तकलीफ नहीं जाएगी तब तक साधना में मन नहीं लगेगा तो उपाय लागू करो

जय गुरु देव

20.02.2023
प्रेस नोट
त्रिवेणी संगम, प्रयागराज

*जब तक शरीर, परिवार वालों की तकलीफ नहीं जाएगी तब तक साधना में मन नहीं लगेगा तो उपाय लागू करो*

*जैसे कंगाल अपने सिक्के को बार-बार चेक करता है, मतलब की बात को गांठ बांध लो की जयगुरुदेव नाम ध्वनि बोलना ही है*

विश्व विख्यात निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, उज्जैन के परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने परेड़ मैदान प्रयागराज में शिवरात्रि कार्यक्रम के अंतिम दिन 18 फरवरी 2023 प्रातः दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित समापन संदेश में बताया कि 

शिव अहंकार के जन्मदाता हैं। जो छोटा नहीं बन सकता वो सीख भी नहीं सकता। छोटे बनो। जैसे नन्ही दूब, रहे खूब की खूब। जब शिव खुश होंगे, अहंकार खत्म होगा तब जीव आगे बढ़ पाएगा। शिव संहारकर्ता हैं, जब चाहे तब शरीर खाली करा सकते हैं तो अज्ञानी जीवों पर शिव तांडव न करें इसलिए उन्हे खुश किया जाता है।

इन्ही (आए हुए) लोगों में की ऐसे बैठे हैं जिनके शिव नेत्र खुले हैं, ऊपर की (दिव्य रचनाएं) चीजें देखते हैं लेकिन बताते नहीं हैं क्योंकि ये आध्यात्मिक धन छुपाने का होता है। आपको केवल लक्षण मिलेंगे, पहचान नहीं सकते हो। आप न पहचान पाओ तो मैं बताया सकता हूँ कि इनमें आध्यात्मिक ताकत है।
मांसाहार खून खराब करता है, बीमारियाँ और क्रोध पैदा करता है, अपराध करा देता है इसलिए सब शाकाहारी नशामुक्त बनो और बनाओ।

गुरु आदेश के अनुसार नयों को नामदान देता हूँ और पुरानों कि संभाल करता हूँ। जो हमे दुश्मन मानते हैं उनकी भी मदद कर सकता हूँ अगर हमसे मदद ले तो।

वक्त के सन्त, डॉक्टर, मास्टर की जरूरत पड़ती है। अपने-अपने घरों में नामध्वनि शुरू कर दोगे तो तकलीफों में बहुत आराम मिल जाएगा लेकिन सुनते हो, करते नहीं हो तो कैसे होगा? जैसे कंगाल अपने सिक्के को बार-बार चेक करता है, मतलब की बात को गांठ बांध लो कि हमको नाम ध्वनि बोलना ही बोलना है तो आराम मिलेगा। 

सभी आश्रमों पर रोज शाम डेढ़ घंटे का कार्यक्रम शुरू कर दो, 1-2 प्रार्थना करो, ध्यान-भजन करो, फिर नाम ध्वनि करो। हवन भी चालू करवा दो। जहां करते हैं वहाँ लोगों को फायदा हो रहा है।

जब तक आपके शरीर की, परिवार वालों की तकलीफ नहीं जाएगी तब तक ध्यान भजन में मन नहीं लगेगा तो उपाय लागू करो, नाम ध्वनि करो।


Satsang 


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