*दीनता से कोई चीज मांगते हैं तो वह चीज मिल जाती है* -सन्त उमाकान्त जी महाराज

जयगुरुदेव

13.01.2023
प्रेस नोट
बावल, रेवाड़ी (हरियाणा) 

*सन्तमत में सन्त सच बोलने में कोई भी कसर नहीं रखते हैं -सन्त उमाकान्त जी महाराज*

*अवतारी शक्तियां सन्त महापुरुष सब मनुष्य शरीर में ही थे*

*दीनता से कोई चीज मांगते हैं तो वह चीज मिल जाती है*

निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, दुःखहर्ता, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 8 दिसंबर 2022 प्रातः बावल आश्रम, रेवाड़ी (हरियाणा) में बताया कि

 गुरु महाराज का बताया सुमिरन ध्यान भजन भी त्याग में ही होता है। भोगी भजन नहीं कर पाते हैं। भोगी जीवन किसका होता है? राजसी भोजन राजसी पद राजसी रहना जिनको पसंद होता है उनसे भजन नहीं होता है। उनका मन उसी में खाने-पीने, मौज-मस्ती में ही लगा रहता है। रुखा-सूखा खाने वाले, सादा जीवन बिताने वाले का मन इसमें (साधना में) जल्दी लग जाता है। नाम दान लेने से नहीं होता है, करने से होता है।

*अवतारी शक्तियां सन्त महापुरुष सब मनुष्य शरीर में ही थे*

महाराज जी ने 25 अक्टूबर 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में बताया कि मनुष्य शरीर में ही सज्जन साधक लोग हैं। उस समय के राम कृष्ण कबीर गोस्वामी पलटू नानक दादू मीरा आदि जो भी आए, मनुष्य शरीर में ही आए। जितनी भी अवतरित शक्तियां आती है, जिनको आप भगवान कहते हो, बहुत से लोग पूजते हैं, जिनको सन्त महात्मा गुरु सतगुरु कहते हो, सब मनुष्य शरीर में ही आते हैं।

*सन्तमत में सन्त सच बोलने में कोई भी कसर नहीं रखते हैं*

महाराज जी ने 19 अक्टूबर 2020 सायं उज्जैन आश्रम में बताया कि सन्तमत में जितने भी सन्त हुये, सच बोलने में कोई भी कसर नहीं रखे। अब यह जरूर है कोई अपनी म्रदु भाषा में और सरल ढंग से समझा दिया। और कोई थोड़ा सा कड़क भी बोला तो कड़क बोली पसंद कम आती है। जब जैसा मौका होता है तब उस तरह से कड़क चीज की भी जरूरत होती है। जैसे दो कागज के पन्नों को जोड़ना हो तो पिन लगा दो।

 कपड़े की सिलाई पतली सुई से कर दो लेकिन दीवार में, लोहे की चद्दर के नीचे आपको सुराख बनाना है तब मोटी कीली उसमें डालनी पड़ेगी, हथौड़े की चोट पड़ेगी तब उस में सुराख बनाएगा, तो कड़ी चीज ही उसमें सुराख बनाती है। जहां जैसी जरूरत होती है वैसे बोलना पड़ता है। हमसे भी एक आदमी ने कहा आप बहुत कड़क बोल देते हो तो हमने कहा आपको अच्छा लगता है तो आप उसको (बात को, सीख को) अपना लो और कड़क लगता है तो छोड़ दो।

*दीनता से कोई चीज मांगते हैं तो वह चीज मिल जाती है*

महाराज जी ने 1 अक्टूबर 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में बताया कि जब दीनता से (गुरु को) याद करेंगे कि आज हमको आप दे दो, आज हमारा प्लेटफार्म साफ कर दो, आप हमको इस तरह का बना दो कि जिससे हम आपका ध्यान लगावे और आप हमको अंतर में मिल जाओ। तो देखो ध्यान सुमिरन में भी लगाना पड़ता है लेकिन यह ध्यान, शब्द मिले बिना ऊपर नहीं ले जा सकता है। और जब शब्द मिलता, पकड़ में आता है तो वह खींचता है। भजन इसीलिए कराया जाता है कि बराबर आती आवाज पकड़ में आ जाए। जीवात्मा जब उसको पकड़ लेती है  तब उसको खींचकर निकाल लेती है।

*साधना की खुशबू बहुत जल्दी फैलती है*

महाराज जी ने 6 अगस्त 2020 सायं उज्जैन आश्रम में बताया कि खुशबू, कहीं भी हो, फैल जाती है। ऐसे ही साधक और सन्तों के काम की, साधना की खुशबू बहुत जल्दी फैलती है। लोगों को बहुत जल्दी पता चल जाता है क्योंकि अगर कोई चोर हो तो उसको लोग छुपाते भी हैं लेकिन कोई सन्त, महात्मा, साधक दरवाजे पर आ जाता है तो लोग सम्मान करते, जाते हैं, मिलते हैं, हाथ जोड़ते हैं और प्रचार इस बात का हो जाता है कि वह आए थे।

*अच्छे साधक अपने को शो नहीं करते हैं*

जो मुंह से बताते हैं कि हम बहुत अच्छे साधक हैं या जो अपने को शो, दिखावा करते हैं कि गुरु महाराज हम को मानते थे, जानते थे तो समझ लो वो पूरे नहीं, अधूरे हैं। अपने आप को पूरा कहने से नहीं होता है। जिसको लोग पूरा कहने लगते हैं, वह पूरा हो जाता है। तो अपना याद करते रहते थे और गुरु का दर्शन जब उनको अंतर में मिल जाता था तो आश्रम पर जाना बहुत जरूरी नहीं समझते थे। अपने आप करते रहते थे। ज्ञान बहुत हो जाता था, दया होती थी उनके ऊपर।










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