साधना से संबंधित विषय
नाम ही धन है रतन है। शब्द धुन को रोज सुनो। मन और सुरत को खूब एकाग्र करके धुन में लगाओ फिर जब रस आयेगा। यहां के गानों जिन्हें तुम मधुर कहते हो कोई रस नहीं। जो गाने ऊपर हो रहे हैं उनमें कितनी मिठास है कितनी ठंडक है वह वर्णन में नही आ सकता। जब भी फुरसत मिले सुमिरन ध्यान भजन जरूर करना।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ
Jaigurudev