स्वामी जी ने कहा

◊ जयगुरुदेव अमृतवाणी  ◊

किसी गांव मे एक साई बाबा रहते थे वह बहुत मशहूर थे। उनके पास एक स्त्री खाना लेकर जाया करती थी। उसके कोई औलाद न थी। स्त्री को पुत्र की बहुत इच्छा थी। एक दिन खाना लेकर साई बाबा के पास गयी खाने में खिचड़ी थी साई बाबा के सामने वह रोने लगी साई बाबा ने पूछा बेटी क्यों रोती हो ? कुछ मुझसे कहो 

बहुत देर बाद कहा- कि हमारे कोई औलाद नहीं है हम एक बेटा चाहते हैं साई बाबा ने कहा कि हम खुदा के पास जाकर पूछेंगे और फिर तुम्हें बतायेेंगे। जब साई बाबा खुदा के पास गये और पूछा कि एक स्त्री रोती है और एक बेटा चाहती है, उन्होने कहा कि उस स्त्री के भाग्य में कोई पुत्र नहीं है।

साई बाबा ने कहा हमने मालिक से पूछा उन्होने देने से इंकार किया है कहा कि उसके भाग्य में नहीं है। अब हम खिचड़ी भी नहीं खायेंगे तुम जाओ और खिचड़ी ले जाओ। स्त्री निराश रोते हुए चली। रास्ते में एक मस्त बाबा जी आ रहे थे जो पागलों की भांति घूमा करते थे। उन्होने स्त्री को बुलाया और कहा कि तुम्हारे पास कुछ खाने को है हमको बहुत भूख लगी है। 
स्त्री ने खिचड़ी सामने रक्खी और पागल बाबा ने देखा कि स्त्री रोती है पूछा कि मैं तुमसे बहुत खुश हूं तुम रोती क्यों हो उसने कहा कि हमारे औलाद नहीं है

 ंहम साई बाबा के पास गये थे उनके खुदा ने कहा कि उसके भाग्य में पुत्र नही है। मैं बहुत दुःखी हूं । पागल बाबा ने खुश होकर कहा कि जा मैं तुम्हे दो पुत्र देता हूं कुछ दिन बाद उसको दो पुत्र हुए, फिर वही स्त्री साई बाबा के पास दोनों पुत्रों को लेकर गयी और उनके  सामने पेश किया और कहा कि मैें वही स्त्री हूं जिसके लिये खुदा ने कहा था कि उसके भाग्य में नही है।

साई ने कहा कि हमारा मालिक झूठ नहीं बोलता है तू परसों आना हम मालिक से पूछकर बतायेंगे। साई ने मालिक से पूछा, उन्होने कहा कि जो हमारे भक्त हो चुके हैं उनका कहा हुआ मुझे करना पड़ता है। पागल बाबा हमारा भक्त है उसका प्रण रखना होगा।
संत मुझसे सबकुछ करा सकते हैं मैं उनके वशीभूत हूं।


*स्त्री भक्त की दशा*

एक स्त्री अपने पति से बहुत प्यार करती थी परन्तु परमात्मा की महिमा में उसका मन बिल्कुल नहीं लगता था। साधु महात्मा को वह स्त्री कुछ नहीं मानती थी। एक साधु ने कहा कि बेटी पति की सेवा करने के बाद अतिथि सेवा भी किया कर उसने कुछ नहीं सुना जब स्त्री का शरीर छूटा तो वह एक किसान के घर की कुतिया हुई। रात दिन भूकती रहती थी ।

महात्मा उसी गांव से जा रहे थे उन्होने कहा कि और कर पति की सेवा उसका फल मोह के कारण यह हुआ कि कुतिया हुई । यदि साधु महात्मा की सेवा करती तो मोह से छुटकारा होता ।

जहां आसा तहां वासा जगत से प्यार मोह करने वालों का जगत में जन्म और मरण होता रहता है।

एक स्त्री और पुरुष लड़ते रहते थे। उनका जब गृहस्थ जीवन दुखमय हो गया तब वह डूब कर मर गयी। बच्चे रह गये। गृहस्थ जीवन को शान्ति मय गुजारो


स्त्री बच्चों की कहानी

कलकत्ते में एक बंगालिन औरत जिसका पति मर चुका था उसके तीन बच्चे थे दो बड़े और एक छोटा गोद में था। और तालाब में बर्तन मलने गयी अपने बच्चे को साथ लेकर। कुछ देर बाद रोने की आवाज आयी स्त्री ने सोचा कि हमारे बच्चों को क्या हो गया, छोटे बच्चे को तालाब के किनारे छोड़ दिया। जब कमरे मे गयी तो देखा कि दोनो बच्चों को सांप ने काट लिया है।

रोने लगी इतनी देर में तालाब के किनारे का बच्चा जाग गया और तालाब की तरफ गया कि पानी में चला गया और डूब कर मर गया जब उसकी मां आयी देखती है कि यह भी बच्चा मर गया अपने भाग्य को कहती है कि या भगवान यही मन्जूर था। 
कर्म फल सबको भोगना होगा बुरे काम मत करो।

एक किसान अपने गांव में रहता था उसके यहां एक महात्मा आये वह बहुत गरीब था, उन्होंने खाना और एक धोती मांगी वह बेचारा बहुत गरीब था अपनी मां के पास गया और कहा कि महात्मा खाना और एक धोती मांगते हैं क्या करुं। मां ने अपने कान की बाली उतार कर लड़के को देकर कहा कि महाजन के पास रख दो और महात्मा का वचन पूरा करो हमारा धर्म है।

 किसान ने ऐसा ही किया महात्मा को धोती और खाना खिलाया जब महात्मा खा चुके तब उससे बोले कि बच्चा धोती कैसे लाये हो। किसान प्रार्थना करते हुए तथा हाथ जोड़ कर खड़ा हुआ महाराज जो यथा शक्ति होगी वह सेवा करता रहूंगा।

महात्मा जी किसाान से बोले कि हम तुमसे बहुत खुश हैं। और अब से तेरे ऊपर दया मालिक की होती है तू सबकी सेवा करते रहना। आज भी वह किसान है हजारों मन गल्ला उसके खेत में होता है। 

एक साहूकार ने उसे अपनी जमीन मुफ्त दी थी कि बंजर पड़ी उस जमीन से मालामाल हो गया और आज भी महात्माओं की सेवा करता है। संत दया जरूर करते हैं। जो लोक में भी मालामाल हो जाते हैं और परलोक का रास्ता भी बन जाता है।


तड़प से मालिक फकीर को भेजते हैं।

बगदाद मे एक फकीर रहते थे वह ऊंट पर सवारी करते थे। एक आदमी यह खोज करता था कि मुझे मालिक मिले वह किसी बियावान जंगल में जाकर रोता था रोते रोते उसका शरीर जर्जर हो गया उसके बाद भी मालिक न आया फिर उस आदमी ने प्रण किया कि अब मुझे मालिक नहीं मिला आत्म हत्या कर लूं । फकीर अपने ऊंट पर सवार होकर कहीं जा रहे थे रास्ते में ऊंट रुक गया फकीर साहब सोचने लगे कि ऐसा हमारा ऊंट कभी कुछ करता ही नहीं आज क्यों रुका फकीर साहब ने ऊंट की नकेल ढीली की ऊंट पीछे लौटा और एक जंगल की ओर लेकर चला

 कुछ ही दूर ज्यों ही जंगल में ऊंट गया देखा वहां एक आदमी विलाप करता हुआ रोता है ऊंट उसके पास जाकर खड़ा हो गया।

तब फकीर साहब ने पूछा तुम क्यों इतनी जोर से रोते हो उसने कहा कि मैं मालिक के दर्शन न मिलने से हताश हो गया फिर फकीर ने उस आदमी को कहा कि तुम रोओ हम तुमको रास्ता बताते हैं मालिक मिलेगा रास्ता दिया, फकीर साहब ने। उसकी दिव्य आंख खुली और अन्दर की रोशन रचना देखने लगा तब उसको सांत्वना आयी।

 फकीर ने कहा कि मैं फलां स्थान पर बगदाद में रहता हूं तुमको जरूरत हो तो मिलना जरूर।  उसने कहा कि जिस मालिक ने मेरी तड़प् को बुझाने के लिये आपको उसने भेजा है उसी तरह फिर आपको भेजेगा। फकीर ने कहा कि एक दफा दया करता है फिर तुमको फकीर पर दया करनी होगी फकीर को कष्ट न देना। और उसके दरबार में हाजिर होना क्योंकि फकीर उस दरबार के जाति खुद खुदा हैं।

एक गांव में बुढ़िया 90 साल की रहती थी वह कहती थी कि बुढ़ापे में कौन रक्षा करेगा। हे भगवान क्या होगा घास बेच कर अपना गुजारा करती थी एक दिन बुखार बुुढ़िया को आ गया अब घास भी लाना बुढ़िया को मोहताज हो गयी।

तब उसने कहा भगवान अब हमारा शरीर बदल दो उसकी परीक्षा लेने के लिये धर्मदूत आये और कहा कि तुमने मुझे बुलाया है चलो। बुढ़िया कहने लगी कि मैं ऊपर से कहा करती थी कि हमारी मौत हो जावे मुझे आप छोड़ दें मरने के लिये तैयार नहीं हूं। 

लोग जईफ (बूढ़ा) होने पर भी चाहते हैं कि मैं न मरुं।





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