जिज्ञासा का परमार्थी समाधान

जयगुरुदेव 
♤ दर्शन प्रसादी ♤ 

प्रसादी की कितनी किस्म है सत्संग सुनने हर किस्म के मनुष्य आते हैं उनमें हर तरह का भाव होता कोई देखने आता है कोई आलोचना करता है कोई सुनता है कोई सुनकर महसूस करता है, कुछ प्रसाद लाते भी हैं कुछ चालाक भी होते हैं कुछ सुन कर दूसरों को अपनी बुद्धि द्वारा समझाते भी हैं।

सबसे उत्तम प्रसादी यह है कि गुरु के दर्शन करते करते उन्हीं की सूरत में खो जावे उस दुनिया का बिल्कुल होश न रहे समझ लो कि सन्तों की असली प्रसादी पा चुका।  सन्तों के दरबार में बाहर से कुछ दिखावा भी नही है इसी वास्ते उनके यहां भीड़ कम होती है। परन्तु समय के अभाव से ऐसा हुआ कोई दिन आयेगा कि जीव बिना कुछ देखे हुए खिंच जायेगे।

 सब व्यस्त हैें 

हर आदमी घर के काम में इतने व्यस्त हैं कि उसे मरने तक की फुर्सत नहीं, भगवान के होने को कौन सोचे सब सोफा सेट बनाने और रुपया मकान तथा साज सजावट और घूमने में और सिनेमा देखने में संलग्न हो रहे हैं। मुर्गी, अण्डा, मान्स, मछली, शराब, का बाजार बहुत से बहुत गर्म है बाॅम्बे में बंद होने के कारण और जोर पकड़े हुए है और लोग कसरत से पीते टिंचर पी जाते, स्प्रीट पीते और बहुत सी नशीली चीजें पीते हैं और हमारी छानबीन करने के बाद यह मालूम हुआ कि कसरत से शराब घर घर में बनती है और लोग पीते हैं। राज्य कानून से बंद नहीं होगी याद रहे धर्म का जब प्रचार होगा तब अरुची होगी। 

बहुत किस्म की शराब बन रही है। बाम्बे की शराब खोल दी जावे और सरकार हमें मदद दे हम प्रेम के साथ बन्द करा देंगे शराब खोली न जावे केवल प्रतिबन्ध हटा दिया जावे।

दुखिया सब संसार देखा- सुखिया नाम आधार नाना भाव की वासनाओं में लोग खेल रहे हैं और हर किस्म से चिंतित हैं। चेहरों पर शिकन है और अफसोस जाहिर करते हैं दिल रोता है।

शिवनेत्र खुलने की व्यवस्था और सुरत शब्द योग जो कलयुग में आसान है सो सब सन्त अनुभवी पुरुष कहते आये है कि सरल है पर गुरु अनुभवी प्राप्त होने पर आसान होता है। ज्योतिस्वरूप भगवान को पाना है तो आपको प्रथम शिवनेत्र खोलना होगा और अन्तर के कान खोलने पड़ेंगे, बिना वो दरवाजे खोले हुऐ तुम कभी ईश्वर ब्रह्म, पारब्रह्म तथा उससे  परे सत्तदेश  के पास सत्तलोक में नहीं पहुंच सकते।

जयगुरुदेव 

Yug purush baba jaigurudev ji maharaj


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