परिवर्तन निश्चित है
सतयुग इतनी बड़ी सामग्री लेकर आपके पास आये और आप स्वागत के लिए तैयार न हों तो वो क्या कहेगा ? वह यही कहेगा कि यह आदमी नहीं पशु है। सब लोग होशियारी और समझदारी से रहें। सतयुग आयेगा। परिवर्तन निश्चित है इसे कोई रोक नहीं सकता है। ऐसा परिवर्तन होगा जो तुम्हारे स्वप्न में भी नही है, मुसलमानों के ख्वाबों में भी नहीं है।
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भारत की स्वतंत्रता के 22,23 वर्ष बीत जाने पर भी देश के कर्णधारों ने बच्चों की तरफ ध्यान नहीं दिया तो परिणाम स्वरूप उन्हीं बच्चों ने बड़े होकर जिन्हें आजादी के समय भारत का कर्णधार कहा गया था, वही अनुकरण किया जो उस समय भारत को स्वतंत्र कराने में हमारे यहां बड़े बड़े नेताओं ने किया था। राजनीति का रंग ऐसा बढ़ा कि जीवन के हर क्षेत्र मे प्रवेश कर गया।
राजनीति की बढ़ती हुयी लहर ने धर्म को, मर्यादा को, आदर्शों को सबको डुबो दिया। भारतीय आदर्शों को डुबो दिया। भारतीय आदर्शों का स्थान लेनिनवाद मार्क्सवाद अर्थात विदेश वाद ने ले लिया और अब रहन सहन खान पान सभी कुछ विदेशी हो गये।
इन परिस्थितियों को देखते हुए जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था के संस्थापक परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने शाकाहारी सदाचारी बालसंघ की स्थापना 2 अक्टूबर 1999 को गांधी जन्म दिवस पर उत्तर प्रदेश में किया। संघ के सदस्यों ने प्रतिज्ञा किया कि वे मान्स, मछली, अण्डा शराब आदि जितनी भी नशीली वस्तुएं हैं अखाद्य पदार्थ हैं उनका सेवन नहीं करेंगे। बच्चों ने अगले वर्ष बाल दिवस पर झण्डा फहराया और गीत गाया जो इस प्रकार है-
गुरुदेव ने भावी भारत का, यह बहुत बड़ा कल्याण किया।
शाकाहारी व सदाचारी यह बाल संघ निर्माण किया।।
पावन तिथी 2 अक्टूबर थी, अरू जन्म शताब्दी गांधी थी। गुरुदेव ने इस दिन बच्चों के, नव जीवन मे नव प्राण दिया।।
हम सत्य अहिंसा गांधी का निज जीवन में अपनायेंगे।
गुरुदेव के इक इक वचनों पर हम तन मन भेंट चढ़ायेंगे।।
जीवों से प्रेम करेंगे हम, अब मुर्दे मान्स ना खायेंगे।
शाकाहारी व सदाचारी, जीवन का लक्ष्य बनायेंगे।।
हम अपने माता पिता व शिक्षक के, सन्मुख शीश झुकायेंगे। दुर्व्यसनों से हम दूर सदा आपस में प्रेम बढ़ायेंगे।।
बाबा जयगुरुदेव जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि मेरे प्यारे भाई बहनों, बच्चे बच्चियों! सोच लो और समझ लो कि तुम्हें अब क्या करना है। मैं तो उन लोगों से भी कहूंगा जो बड़े बड़े महन्त हैं मठाधीश हैं, साधू हैं उनको भी अपना कदम इस दिशा में उठा देना चाहिए ताकि समाज सुधार की लहर चारो ओर उमड़ पडे। राज्य आप से कराना है आप ही राज्य करने वाले होंगे। महात्मा कभी राज्य नही करते हैं। कृष्ण भगवान ने राज्य नही किया, उन्होंने राज्य कराया था। महात्माओं ने आपको मर्यादा में लाकर सारी बुरी कुरीतियों का त्याग कराकर आपसे राज्य कराया था और अब भी करायेंगे।
अब राज्य सुधर्म का होगा यह मेरी आवाज है। देश के अन्दर थोड़े ही दिनों में आप देखेंगे कि एक आवाज बहुत जोर से उठेगी। मैं अकेला नही हूं कि आप यह सोचे कि महात्मा गांधी की तरह से आवाज उठायें।
यदि मेरे अन्दर में वह सच्ची आत्मा होगी, परमात्मा की तरफ से वह सच्चा कुछ सन्देश होगा तो मेरी तरह कितने ही लोग आ चुके हैं।
इसलिए अब बुद्धि को छोड़ दीजिए जो भ्रम की बुद्धि और भूल की बुद्धि है। आप अपनी बुद्धि से काम लीजिए और दूसरों के यहां बिक मत जाईये। दूसरों के हाथ, अपने को हवाले मत कर दीजिए। आप इसके पहले कुछ सोचिए कि मैं किसके साथ अपनी सारी शक्ति को आत्म बल को बेच रहा हूं। लोग षडयंत्र और व्यभिचार के साथ अपनी शक्ति को बेच देते हैं और हम जरा भी ख्याल नही करते इसका।
इसलिए आपको ख्याल करना होगा, हमारा साथ आप को देना पड़ेगा। अगर आप साथ नही दे सकते हैं तो साथ तो हम ले ही लेंगे। मुझे राज्य नही करना है यह बात हमेशा याद रखना। राज्य तो आप से कराना है लेकिन देवी देवताओं का धर्म बचाना है यह व्यभिचार खत्म कराना है। इन कुरीतियों को खतम करना होगा, यह भ्रष्टाचार समाप्त करना है। इसलिए अन्तर में कुछ प्रेरणा हुई है, परमात्मा का हुकम है कि ऐसा काम तुम करो। साथ साथ में आत्म कल्याण भी हो और साथ में समाज कल्याण भी हो।
आपने पुस्तकों मे पढ़ा है और गीता में भी आता है कि दिव्य दृष्टि हुआ करती थी और लोग परमात्मा को पाया करते थे। अगर आप इस दायरे के अन्दर आ जायं तो आप निश्चय देख लेंगे कि आप की दिव्य दृष्टि खुल जाएगी। यह दायरा मैंने ऐसा नही बनाया है कि केवल बातों का हो। यह स्त्री पुरुषों के लिए वह दिव्य आंख है जिससे भगवान को पाया जाता है।
समाज का सुधार, तुम्हारे जीव कल्याण परमात्मा की प्राप्ति यह सभी साथ साथ है। यदि समाज सुधार न हुआ, जीव कल्याण भी न हुआ तो आखिर तुम विचारे कहां जाओगे। इसी भ्रम में अपना समय बिता देगे। तुम चले जाओगे इस दुनियां से ऐसे ही खाली हाथ। इसलिए जल्दी आओ। अब देर न करो वर्ना काल तुम्हारे सिर पर घूम रहा है और अगर शरीर छूट गया तो बन्दे करोड़ों युगों तक यह मनुष्य शरीर तुम्हें दुबारा नही मिलेगा।
जयगुरुदेव
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swami jaigurudev ji maharaj |
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Jaigurudev