*"मरने के बाद जो काम आवे वह काम करना और वह दौलत प्राप्त करनी चाहिए...."* *- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

*जयगुरुदेव*
*सतसंग सन्देश / दिनांक 10.01.2022*

*सतसंग दिनांक: 07.जनवरी.2022*
*सतसंग स्थलः देवास, मध्यप्रदेश*
*सतसंग चैनल: जयगुरुदेवयूकेएम/Jaigurudevukm*

*"मरने के बाद जो काम आवे वह काम करना और वह दौलत प्राप्त करनी चाहिए...."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

प्रभु प्राप्ति के लिए पिछले युगों की कठिन साधना की बजाय सबसे सीधा, सरल और सुगम आध्यात्मिक रास्ता यानि नामदान बताने वाले, जिसे बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों समेत कोई भी कर सकता है,
ऐसा आध्यात्मिक नामदान देने वाले इस समय धरती पर मौजूद प्रकट संत सतगुरु उज्जैन वाले बाबा *उमाकान्त जी महाराज* ने अपने सतसंग वचनों में बताया कि,

मनुष्य शरीर आपको मिला है तो इसकी कीमत लगाओ। खाने, पहनने, रहने का इंतजाम कर लो, बरसात से बचने के लिए घर मकान बना लो, *यह सब काम करो, लेकिन इसमें फंसो नहीं।*
शादी ब्याह बच्चे हो गए हैं तो उस कर्तव्य का पालन करो। जो आपको रोटी बनाकर खिलाता है, उसको कमाकर खिलाना भी है। जिन बच्चों से आपको उम्मीद है कि दो रोटी का हमारे सहारा बनेंगे, उनको पढ़ाना लिखाना, अपने से अच्छे ओहदे पर पहुंचाना, अपने से ज्यादा मान-सम्मान दिलाना, *यह आपका कर्तव्य भी है।*

*"समय से चेतो। जितना समय जीवन का बचा है, उसमें अपना असली काम कर लो।"*
लेकिन! इसी में फंसे मत रहो नहीं तो जीवन का यह समय निकल जाएगा। *फिर अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।*
जब खेत को चिड़िया चुगने जाएं तब रखवाली करो, बैठे रहो, डंडा पटकते रहो, क्या मतलब है? जब फसल सूख गई, आग लग गई तब कुआं खोदने से क्या मतलब?

*तो कहा गया कि समय से चेतो।* यह जितना समय आप लोगों का निकल गया उमर का, वापस आना नहीं है।
लेकिन जो बचा है? उसमें अपना काम करो। यह जो भी काम कर रहे हो, घर मकान, रुपया पैसा, मान प्रतिष्ठा इज्जत कमा रहे हो यह दूसरों के लिए है।
जब आंख बंद हो जाएगी तो दुनिया संसार से बाकी सब लोग की तरह आपको भी जाना पड़ेगा क्योंकि मनुष्य शरीर में हो।
जो पेड़ फलता है, वो झड़ता है; जो आग लगती है, वो बुझती है; जो पैदा होता है,वो वह मरता है। आपको भी जाना पड़ेगा, इस दुनिया संसार छोड़ करके।
*तो यह चीजें आपके कोई काम आएंगी? यह सब दूसरे के काम आएंगी।*
तो वो काम करो, ऐसी दौलत प्राप्त करो जो कभी खत्म न हो। दुनिया की सारी विद्या, दौलत जहां खत्म होती है वहां से आध्यात्मिक विद्या और दौलत की शुरुआत होती है। *वह आध्यात्मिक ज्ञान, वह आध्यात्मिक दौलत भी थोड़ा प्राप्त कर लो।*

*"मनुष्य शरीर किराये के मकान की तरह से है, इसे एक दिन खाली कर देना पड़ेगा..."*
*आध्यात्मिक ज्ञान क्या है?*
यही है कि मनुष्य शरीर किराए के मकान की तरह से है, एक दिन इसको खाली कर देना पड़ेगा। इसमें जो बैठी हुई जीवात्मा है उसको जगाओ। वह परमात्मा की अंश है। उसको वहां तक पहुंचाओ।
*जब यह वहां पहुंचने लग जाएगी तो सारी विद्या,सारा धन आपके पास आ जाएगा।*

*"आपके अंदर त्याग और तपस्या आ जाय तो आप समझ जाओगे कि सुख भोग में नहीं, त्याग में है..."*
अगर आपको जरूरत नहीं है और अगर जरूरत है तो आपकी इच्छा पूरी हो जाएगी। अगर आपके अंदर त्याग और तपस्या आ जाए, तो आप यही सोचोगे कि भोग में सुख नहीं है, योग में सुख है। सूखी रोटी या पकवान खाने के बाद भी सुबह बदबूदार लेट्रिन ही बाहर निकलता है।
जब इस चीज की जानकारी हो जाएगी तब, *साईं अपने भगत को सूखी रोटी देय। चुपड़ी मांगत मै डरूँ, सूखी छीन न लेय।।*

*"जिस समय मन मांगे, उस समय उसको मत दो,*
*तो उधर से मन हट जाएगा..."*
लेकिन मन नहीं मानता है। जब वचन को बराबर याद करते रहते हैं, जब बच्चे को बाप कोई चीज रटा देता है कि बेटा ऐसा मत करना तो
*वह चीज रट जाती है।* आज यह चीज रटने की जरूरत है कि कम खाओ। जो चीज नुकसान करें, मन मांगे, उस समय उसको खाओ ही नहीं।
*बाद में जब इच्छा की तृप्ति हो जाएगी, मन हट जाएगा तब थोड़ा बहुत डाल दोगे तो नुकसान नहीं करेगा।*

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