*जयगुरुदेव*
*सन्देश / दिनांक 19.12.2021*
*सतसंग स्थलः चरखारी रोड, राठ, जिला हमीरपुर, उत्तरप्रदेश*
*सतसंग दिनांक: 19.दिसम्बर.2021*
*"तीज त्यौहार आते हैं बुराइयों को छोड़ने के लिए.."*
*"आज पूर्णिमा के दिन बुराइयों को त्यागने का संकल्प ले लो।"*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
जीवों को कुदरत के प्रकोप से बचाने के लिए, दिन रात अथक परिश्रम कर रहे,
उज्जैन वाले पूज्य संत "बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 19 दिसंबर 2021 को चरखारी रोड, राठ, जिला हमीरपुर उत्तरप्रदेश में दिए संदेश में बताया कि,
जब से शराब का, नशीली गोलियों का, नशे की जड़ी-बूटियों का प्रचलन ज्यादा बढा, तब से अपनी मां, बहन बहु को भी पहचान नहीं पाते हैं।
आंखों के सामने पर्दा, कालिमा आ जाती है, अंधा हो जाता है आदमी।
जब से मांसाहार बढ़ा मांस का सेवन करने लगे, खून में गर्मी जब से आई तब से लोगों की पहचान खत्म हो गई।
*ये किसकी भूमि है?*
रामकृष्ण, महावीर, बुद्ध, परशुराम, कबीर, गोस्वामी, पलटू, नानक, शिवदयाल महाराज, राधा स्वामी की भूमि है, यह हमारे गुरु महाराज का कार्य क्षेत्र है।
*गुरु महाराज बुंदेलखंड में आए।* इस भूमि पर लोगों ने क्या-क्या गलती किया? किस तरह की सजा मिली है? इसको आप देखो।
रावण बहुत विद्वान था। गलत काम करने की वजह से उसकी तपस्या की शक्ति खत्म होती थी। फिर भी राम के अंदर उतनी शक्ति नहीं थी कि वो रावण को मार पाते।
उन्होंने परशुराम जी से प्रार्थना करके दो कला शक्ति मांग करके लिया था, फिर रावण को मार पाए थे।
*"रामचरितमानस को पढ़ने-सुनाने वाले,*
*गोस्वामी जी के स्तर के न होने की वजह से सही मतलब नहीं बता पाते हैं..."*
गोस्वामी महाराज जी ने सब लिख रखा है, कुछ नहीं छोड़ा। यह सब उन्होंने उदाहरण देकर के समझाया और लिखा।
उन्होंने घट में राम का जो चरित्र हो रहा है उसे राम चरित मानस में लिखा। लेकिन उदाहरण देकर के इसलिए समझाया कि समझ में लोगों के आ जाए।
*सीधी बात अगर आपको बताई जाए तो समझ नहीं पाओगे।*
उदाहरण देकर जब समझाया जा रहा है, तब बात को समझोगे। उत्तर कांड में सब आध्यात्मक के बारे में ही है। सारे कांड उन्होंने अलग-अलग लिख रखे हैं, सब में अलग-अलग चीजें आई हैं।
इसलिए बता रहा हूं कि आप लोग रामचरितमानस पढ़ते हो। रावण के सामने बड़े-बड़े देवता ठहरते नहीं थे। इतना वीर था लेकिन तीन बुराई उसमें थी मांस खाता, शराब पीता था और जब बुद्धि खराब होती थी दूसरे की मां बहन की पहचान आंखों से खत्म कर लेता था।
*देखो! उसका क्या हश्र हुआ?*
एक लाख पूत सवा लाख नाती। ता रावण घर दिया ना बाती।।
देखो! एक अबला की लाज जब जाने लगी थी तब महाभारत हुआ, कारण बना।
ग्यारह अक्षौहिणी सेना और छप्पन करोड़ यदुवंशी इसी वजह से खत्म हुए थे। क्योंकि नीयत खराब हो गई थी, आंख का पानी मर गया था, दूसरे के धन के लोभ लालच में।
*"अवतारी शक्तियां बात मानने पर दया और न मानने पर सजा देती हैं..."*
अवतार आते हैं समझाते और बताते हैं। अगर लोग मान जाते हैं तो दया बरसा देते हैं वरना काल का रूप धारण कर लेते हैं।
राम को देख लो, कई रूपों में रहे। दया करके पत्थर को नारी बना दिया और जब युद्ध करने को हुआ धनुष बाण उठा कर के रौद्र रूप धारण कर लिया।
ऐसे ही कृष्ण ने बहुत समझाया। मान जाओ और पांडवों को भी दे दो कुछ हिस्सा। लेकिन कौरवों ने कहा सुई की नख के बराबर भी जमीन नहीं देंगे।
तब बोले विनाश काले विपरीत बुद्धि।
ये जो काम करने के लिए जो आते हैं, जैसे भगवान राम, कृष्ण, बुध्द, परशुराम कहा गया, ये आते हैं काम करने के लिए, धर्म की स्थापना के लिए और दुराचारीयों के संहार के लिए।
*तो इनके अंदर दोनों धार होती है, दया धार और काल धार।*
देखो! राम ने खुद कहा कि मैं तो काल का काम भी करता हूं और दया भाव भी है मेरे अंदर। जो दया के घाट पर बैठता है उसको दया देता हूं और जो काल का स्थान पर रहता है उसको सजा भी देता हूं।
कृष्ण के अंदर दया भाव आखरी समय तक रहा।
*"तीज त्यौहार बुराइयों को छोड़ने के लिए आते हैं..."*
कौरव और रावण का विनाश इसी चाल-चलन की वजह से खराब हुआ। अभी तक जैसा रहा, वैसा रहा लेकिन यह अमावस्या, पूर्णिमा, तीज त्यौहार जो आते हैं, इस दिन बुराइयों को छोड़ा जाता है।
इसलिए आप भी अपनी बुराइयों को छोड़ दो और अपना चाल-चलन, विचार-भावना सही रखो। *अगर खान-पान, चाल-चलन, विचार-भावनाएं सही नहीं करोगे तो जो बचे हो वह भी त्रस्त हो जाओगे।*
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JaiGuruDev |
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