जयगुरुदेव *23. समर्थ संत सतगुरु सदा प्रेमियों के अंग संग*
श्री राधेश्याम मांवडिया पुत्र श्री भगवानराम सैनी गांव मांवडिया की ढाणी जि. झुन्झुनू राज. के रहने वाले सत्संगी हैं। परिवार के सभी सदस्य नामदानी हैं । दिनांक 19 अगस्त 2007 वार रविवार का दिन था। राधेश्याम जी चिड़ावा में टी-स्टाल चलाते हैं। रविवार को छुटटी का दिन था खेत में काम करने को चले गये।
राधेश्याम जी ने बताया कि मैं लेटे लेटे गुरु महाराज को याद कर रहा था और पांचों नामों को याद कर रहा था इतने में नींद आ गई। हुआ यह कि अचानक अन्दर से आवाज आई कि गुुहेरा ने काट लिया। आंखे खुली उठने को हुआ इतने में खेजड़ी के पेड़ के पास के बिल से गुहेरा निकला और दाहिने पांव के टकने के पास हल्का सा कट लगा गया।
राधेश्याम जी घबराये नहीं और गुरु महाराज से प्रार्थना कर दिया कि अब आप ही जानो। कुछ देर इधर उधर टहले, पानी पिया और फिर काम में जुट गये. बात 2 बजे की है, शाम 6 बजे घर आये, आकर घर पर अपने लड़के व पत्नी को सुनाया तो सब चिन्तित हो गये कि गुहेरा के काटने से इन्सान तुरन्त मर जाता है। कहने लगे कि आप आये क्यों नहीं।
राधेश्याम जी ने कहा कि मुझे कुछ नहीं हुआ गुरु दया से मैं ठीक हूं। लड़का बोला चलो डाक्टर के पास। चिड़ावा में सरकारी डाक्टर अनिल चौधरी से इंजेक्षन दवा लिया। डाक्टर ने पूछा कि क्या उपचार किया तो राधेश्याम ने बताया जयगुरुदेव बोला और मिटटी लगा लिया। डाक्टर ने कहा- कोई परेशानी है कहने लगे कुछ नहीं।
डाक्टर ने कहा कि ठीक है तुम्हारे गुरु महाराज की दया है। ये दवा ले लेना। गुरु की अपार अनन्त दया है अपने प्रेमियों पर। सदा प्रेमियों पर। सदा प्रेमीजन के अंग संग रहते हैं।
प्रेषक- शिवलाल कहरायल
जि. झुंझुनू राजस्थान
शेष क्रमशः पोस्ट न. 13 में पढ़ें 👇🏽
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