*जयगुरुदेव*
*प्रेस नोट / दिनांक 02.11.2021*
*सतसंग स्थलः बाबा जयगुरुदेव आश्रम, उज्जैन, मध्यप्रदेश / दिनांक: 01.नवम्बर.2021*
*"जिस राजा के राज्य में प्रजा दु:खी हो, वो राजा अपने कर्तव्य का पालन नहीं कर पा रहा हो तो वो नर्कगामी होता है...."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
राजा और प्रजा दोनों के सुख-आराम के लिए समय-समय पर सही मार्गदर्शन देने वाले, समाज को सही दिशा देकर खुशहाली-तरक्की का मार्ग प्रशस्त कर अपने धर्म व जिम्मेदारी का पूर्ण निर्वाहन करने वाले,
इस समय के पूरे महापुरुष, उज्जैन वाले पूज्य संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 01 नवंबर 2021 को आश्रम उज्जैन, मध्यप्रदेश में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित सायंकालीन सतसंग में बताया कि,
प्रेमियों! यह संतों का देश है और संतों का आगमन समय-समय पर इस धरती पर हुआ। उन्होंने स्वयं दु:ख झेल कर दूसरों के दुख तकलीफ को दूर किया है।
पहले जब फकीरों-महात्माओं से राजा, बादशाह जुड़े रहते थे, उनके पास आना-जाना रहता था, *उनके उपदेश के अनुसार जब कार्य करते थे तब पूरा राज धर्म का पालन करते थे।*
*राजधर्म का पालन क्या है ?*
*हर प्रजा सुखी रहे, ऐसी व्यवस्था बना दी जाए। खुद व्यवस्था ऐसी नहीं बनती है तो लोगों को ईश्वर वादी, खुदा परस्त, आध्यात्मिक बना दिया जाए तो किसी चीज की कमी नहीं रहेगी।*
*जब उनकी रूह में रूहानी ताकत, आत्म बल आ जाएगा, जिस मनुष्य शरीर को जिस्मानी मस्जिद, मानव मंदिर कहा गया जब वह साफ-सुथरा रहेगा और उससे इबादत-भजन करेंगे तो वो मालिक, देवता खुश हो जाएगा और समय-समय पर हर चीज को मुहैया करा दे देंगे।*
*तो राजधर्म का पालन करने के लिए राजा संत -महात्माओं से जुड़े रहते थे तो प्रजा सुखी रहती, धन - धान्य की कोई कमी नहीं रहती। लेकिन*
*जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी।*
*सो नृपु अवसि नरक अधिकारी।।*
*जिस राजा के राज्य में प्रजा दुखी रहती है वह राजा अपने कर्तव्य का पालन नहीं कर पा रहा है इसलिए कहते हैं वह नर्क गामी होता है।*
*राज धर्म का पालन करने के लिए राजा संत -महात्माओं के मार्गदर्शन, सलाह से काम करते हैं तो प्रजा सुखी और धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है।*
*पुण्य क्षीण होने पर स्वर्ग बैकुंठ से वापिस मृत्युलोक आना पड़ता है तो मुक्ति-मोक्ष कैसे मिलेगा?*
कहते हैं बुरा करोगे तो नर्क जाओगे और अच्छा करोगे स्वर्ग जाओगे लेकिन जब अच्छे कर्म खत्म हो जाते हैं तब उनको 'पुण्य क्षीणे, मृत्यु लोके' यानी मृत्युलोक में फिर आना पड़ता है।
*इसलिए पूरे संत सतगुरु की शरण मे जा कर उनसे जीते जी मुक्ति-मोक्ष मिलने का रास्ता 'नामदान' ले कर इस बार-बार के जन्म-मरण चौरासी के चक्कर से छूट कर प्रभु प्राप्ति कर अपना मनुष्य जीवन सफल बना लेना चाहिए*
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param pujya baba umakant ji maharaj |
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Jaigurudev