*विश्वास फलःदायकम् - अपने समरथ गुरु पर विश्वास करोगे तो फल मिलेगा।*

*जयगुरुदेव*
*प्रेस नोट/ दिनांक 17.10.2021*

*सतसंग स्थलः आश्रम जयपुर, राजस्थान/ दिनांक: 12.अक्टूबर.2021*

*विश्वास फलःदायकम् - अपने समरथ गुरु पर विश्वास करोगे तो फल मिलेगा।*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

आगामी खराब समय से बचाने के लिए उपाय बता कर, सतगुरु के सामर्थ्य पर सब तरह से विश्वास दिलाने वाले, प्रेम-भक्ति को दृढ़ बनाने वाले, इस समय के पूरे संत सतगुरु,
उज्जैन वाले *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 12 अक्टूबर 2021 को आश्रम जयपुर, राजस्थान में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित संदेश में बताया कि,
पहले बहुत सुखी जीवन था। लोग कहते थे स्वर्ग जैसा है गृहस्थ जीवन और अब नरक जैसा हो रहा है। घर छोड़ कर भाग रहे है, मार-काट, खून-खराबा, मुकदमे बाजी हो रही है। यह परेशानियों का घर हो गया। यह सुख-शांति का घर अब नहीं रह गया। 

*प्रेमियों! गुरुजी महाराज जब शरीर में थे तब भी और अब भी आपकी मदद कर रहे हैं।*
प्रेमियों! आप नामदानियों का रास्ता अलग है।
आपका परमार्थी रास्ता है। परमार्थ को अपनाओ। गुरु जो सक्षम है, उनको हमेशा सामने रखो।
देखो प्रेमियों! जब गुरुजी महाराज शरीर मे थे तब भी और अब जाने के बाद भी आपकी मदद कर रहे हैं। उस समय आपके दिखने, अनुभव में आता था लेकिन अब आप अगर अंतर में याद रखोगे, गुरु को मस्तक पर सवार रखोगे, गुरु के बताए रास्ते पर चलोगे तो आज भी आपको अनुभव होगा और पहले से ज्यादा अनुभव होगा।

*आने वाले बुरे समय में प्रेमियों, आपकी मदद होगी। दुनिया वालों को तीसरे दिन तो आपको दूसरे दिन, उनको एक टाइम तो आपको दोनों टाइम मिलेगा भोजन।*
आप लोग बराबर सुमिरन, ध्यान, भजन में लगे रहो और विश्वास करो की अगर दुनिया वालों को तीसरे दिन भोजन मिलेगा तो आपको दूसरे दिन ही भोजन जरूर मिल जाएगा।
उनको एक टाइम मिलेगा तो आपको दोनों टाइम मिलेगा लेकिन जब विश्वास हो जाएगा तब।
*विश्वास फल:दायकम। विश्वास ही फलदाई होता है।* विश्वास अगर नहीं हुआ तो फिर समझो कि कोई भी चीज हो, फलदाई नहीं होती। एक बार तो विश्वास करना ही पड़ता है। विश्वास करो। 

*इस संसार मे जितना ही फैलाव करोगे, उतना ही फंसोगे।*
ज्यादा फैलाव मत करो। फैलाव में फंस जाते हो। भोग क्यों बनाया? भोगने के लिए बनाया, सृष्टि को चलाने के लिए बनाया।
और आप भी गृहस्थ आश्रम में रहते हो, सृष्टि चलाना है, एक-दूसरे का लेना-देना जो बीबी, बच्चों, पति, पत्नी, रिश्तेदारों का, जो यह सब रिश्ता जोड़ दिया गया, हित-मित्रों का, वह भी आपको अदा करना है और रहना इसी में है।
*तो सब काम करो लेकिन इसमें फंसो नहीं। फंस जाओगे तो फिर उसी में उलझ जाओगे, फिर निकल पाना बड़ा मुश्किल हो जाएगा।*

*सुमिरन, ध्यान, भजन नियम से बराबर रोज करते रहो।*
और बाकी जो समय है यानी भजन, सुमिरन, ध्यान का, उसमें समय आप निकाला करो। देखो! जैसे कोई मुकदमा आ जाता है, व्यापार का काम, नौकरी में दौरा बन जाता है और घर में काम हो तब भी घर के काम को छोड़कर जाते हो।
ऐसे ही आप समय निकाल लिया करो। इतनी देर हमको ध्यान, भजन, सुमिरन करना ही करना है। नहीं बैठोगे तो फिर यह मन नहीं बैठने देगा। दो दिन, चार दिन नहीं बैठोगे तो बैठने नहीं देगा। बैठने लगोगे तो फिर मन मानेगा।
ट्रेन-बस में भी जा रहे हैं तो वहां भी मन कहेगा, चलो खाली बैठे हो, शांत वातावरण है तो आंख बंद कर लो, ध्यान लगा लो। मन की आदत बन जाती हैं।
शरीर से आदत बना देता है। चाहे अच्छे काम की हो या बुरे की। इसलिए अच्छे काम की आदत डालो। अच्छाई को ही ग्रहण करो।

*प्रेमियों! बुरे लोग जब अपनी बुराई जल्दी नहीं छोड़ते तो आप अच्छाई मत छोड़ो, पकड़ो रहो।*
देखो! बुरे लोगों को समझाते रहो लेकिन वह बुराई अपनी जल्दी नहीं छोड़ते हैं तो आप अपनी अच्छाई क्यों छोड़ देते हो?
इसलिए अच्छाई को पकड़े रहो। अच्छी चीज तो हमेशा अच्छी है। *सत्य तो हमेशा सत्य है।* असली चीज को आप लेकर कहीं भी जाओ, सोना, रुपया, चांदी तो वह हमेशा आपके लिए लाभकारी होगा।
नकली चीज लेकर चले जाओ तो भूखे मर जाओगे, एक रोटी भी कोई नहीं देगा।
प्रेमियों! असल को पकड़ो। यह सब नकली है। यह दुनिया, दुनिया की चीज, यह सब क्या है? सपना है। सपना असली नहीं होता है। केवल थोड़े समय के लिए है।
*परिवर्तनशील संसार है इसलिए असल को पकड़ो।*



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