*जयगुरुदेव*
*प्रेस नोट/ दिनांक 17.09.2021*
बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम, उज्जैन, मप्र.
*इसी कलयुग में सतयुग आने वाला है लेकिन युग परिवर्तन के समय होने वाली भारी जनधन की हानि को रोकना है।*
"कलयुग में कलयुग जाएगा और कलयुग में सतयुग आएगा" - इस बात का देश-विदेश में प्रचार करने वाले उज्जैन के विश्व विख्यात संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने वीरों की भूमि राजस्थान में 09 जुलाई 2017 को ये वैश्विक भविष्यवाणी की है,
आगे ऐसा परिवर्तन होगा कि जो लोगों के दिल और दिमाग में नहीं है। परिवर्तन करना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। परिवर्तन तो चुटकी बजाने में हो जाता है।
*परिवर्तन तो सोच लेने से हो जाता है लेकिन जन-धन की हानि उसमें बहुत हो जाती है।*
*इतिहास गवाह है कि जब-जब युग परिवर्तन हुआ, जन-धन की बहुत हानि हुई है।*
इतिहास बताता है कि जब त्रेता युग समाप्त हुआ तब जन-धन की हानि बहुत हुई। द्वापर समाप्त हुआ तब भी जन-धन की हानि बहुत हुई। ऐसे ही जब कलयुग समाप्त होगा तो जन-धन की हानि से क्या कोई बच पाएगा?
लेकिन हम यह चाहते हैं, हमारे गुरु महाराज भी यही चाहते थे कि जन-धन की हानि कम हो और लोगों में बदलाव आ जाए।
देखो! अवतारी शक्ति राम और कृष्ण में दयाल और काल धार दोनों थीं। राम ने कहा: काल रूप तिनकर मैं भ्राता। शुभ और अशुभ कर्म फल दाता।।
कृष्ण में भी दोनों धारें थी। दया की धार थी तो उन्होंने नंगे पैर दौड़ कर आ कर द्रौपदी की रक्षा किया और काल की धार भी थी। अठ्ठारह दिनों में महाभारत करवा कर ग्यारह अक्षौहिणी सेना और एक घंटे में छप्पन करोड़ यदुवंशियों को ख़त्म करवा दिया।
वे सभी अकाल मृत्यु में चले गए। कुरुक्षेत्र में आज भी लोगों को आवाजें आती हैं। प्रेत आत्माएं आज भी लड़ाई लड़ रही हैं और वहां के लोगों को घर-घर में घूमकर परेशान कर रही हैं।
*हम यह नहीं चाहते हैं की अकाल मृत्यु में लोग मरें, प्रेत योनि में चले जाएं और जो इस धरती पर रह रहे हैं उनको भी परेशान करें और खुद भी परेशान रहें।*
*प्रेमियों! लोगों को समझा करके बदलाव लाना ठीक रहेगा, जबरदस्ती का बदलाव ठीक नहीं है।*
प्रेमियों! समझा कर लोगों को बदलना ठीक रहेगा। जोर-जबरदस्ती से, सजा देकर के बदलाव लाना ठीक नहीं होता है।
संकल्प तो हमारे गुरु महाराज का है कि "कलयुग में कलयुग जाएगा, कलयुग में सतयुग आएगा।" लेकिन ये संकल्प प्रेमियों आप लोगों को पूरा करना है। वे तो संकल्प करके चले गए लेकिन जिम्मेदारी हमको और आपको दे गए।
जैसे बाप मकान बनाता है और जब उसका शरीर छूट जाता है तो अधूरे मकान को उसके बच्चे बना करके तैयार करते हैं। *ऐसे ही इस धरा पर सतयुग आप को लाना है।*
*जब लोग योग साधना करने लग जायेंगे तो*
*आत्मशक्ति द्वारा सारे विश्व को अपने कदमों में गिरा लेगें।*
आप थोड़ा हाथ-पैर ही हिलाओगे, विचार बनाओगे, बुद्धि जब लगाओगे, मेहनत थोड़ा शरीर से, धन से करोगे तब यह काम होने का है।
*परिवर्तन तो हो जाएगा, करो या न करो।*
प्रेमियों! कुछ करोगे तो श्रेय आप ही को मिलेगा, नहीं तो दूसरे लोगों को मिल जाएगा। काम तो हो ही जाएगा यह तो बात पक्की बात है।
लिंग पुराण के चालीसवें अध्याय में लिखा है, जगन्नाथ पूरिया की किताब में लिखा है, सूरसागर में लिखा है, और भी बहुत से धार्मिक ग्रंथों में लिखा हुआ है कि किस तरह धरती पर सतयुग आएगा।
सतयुग जब आ जाएगा तो खाने-पीने की कोई दिक्कत नहीं रह जाएगी। दोनों समय लोगों को भोजन मिलेगा, तन ढकने के लिए कपड़ा मिलेगा, लोग अध्यात्म वादी ईश्वर वादी होंगे, समय पर जाड़ा गर्मी बरसात होगी, लोग भजनानंदी होंगे।
*सतयुग योगी सब विज्ञानी* सब योग साधना करने लग जाएंगे, लोगों को आत्म शक्ति मिल जाएगी और आत्म शक्ति के द्वारा सारे विश्व को अपने कदमों में गिरा लेंगे।
*अध्यात्म सीखने के लिये पूरे विश्व के लोग भारत आयेंगे, भारत विश्व गुरु होगा।*
अध्यात्म सीखने के लिए, विज्ञान सीखने के लिए पूरे विश्व के लोग भारत आएंगे। भारत विश्व का गुरु होगा। थोड़ा सा समय उसमें है।
मेहनत कर लोगे तो जल्दी हो जाएगा। तो हम यह नहीं चाहते हैं कि मार काट करके, लोगों को खत्म करके सतयुग दिखाया जाए।
हम यह चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को सतयुग देखने को मिल जाए। उसका लाभ-फायदा ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिल जाए।
इसलिए मेहनत करो। *बराबर मैं भी मेहनत करता हूं।* इसीलिए करता हूं कि इस समय पर सेवा का, मेहनत का मौका मिला हुआ है और यह शरीर भी साथ दे रहा है।
शरीर जर्जर हो जाएगा, बुड्ढा हो जाएगा, दिन-ब-दिन तो शक्ति कम होती जाएगी, खत्म हो जाएगी फिर क्या कर पाऊंगा?
*इसलिए आप सब लोगों को भी इसमें लगने की जरूरत है।*
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