*महापुरुषों के जाने के बाद लोग आंतरिक साधना को छोड़ बाहरी आडंबर में फंस जाते हैं।*

*जयगुरुदेव* 
*प्रेस नोट/दिनांक 05 अगस्त 2021*
रजनी विहार आश्रम, जयपुर, राजस्थान

*महापुरुषों के जाने के बाद लोग आंतरिक साधना को छोड़ बाहरी आडंबर में फंस जाते हैं।*

रूढ़िवादिता और बाहरी आडंबरों में न फंसने और गुरु की बताई हुई आंतरिक साधना कर अपनी रूहानी और आध्यात्मिक तरक्की पर फोकस करने का उपदेश देने वाले,

उज्जैन के परम संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 4 अगस्त 2021 को जयपुर, राजस्थान में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(Jaigurudevukm)* चैनल पर प्रसारित सतसंग में बताया कि,

देखो प्रेमियों! महापुरुष जब काम करके चले जाते हैं तो उनकी यादगार में लोग जगह-जगह मंदिर-मठ-आश्रम, पूजा-पाठ का स्थान बना लेते हैं और अक्सर संतमत के रास्ते को लोग छोड़ देते हैं।

यह भजन-पूजन, यह जो अविनाशी की पूजा है, उस सचखंड के मालिक की पूजा, जो साधना आपको बताई गई, उसको लोग छोड़ देते हैं। वही समाधि की पूजा, वही पूजा-पाठ-आरती में लग जाते हैं तो क्या बन जाता है? पंथ।

*गुरु महाराज का हमको पंथ नहीं बनाना है। लेकिन गुरु महाराज के प्रेमी ही गुरु महाराज को भूल न जाएं, उसके लिए भी हमको कुछ करना है।*

*विदेशों में भी प्रेमी यथा शक्ति भंडारा बना-खिला रहे हैं।*

गुरु महाराज का भंडारा कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को उज्जैन आश्रम पर होता था। देश-विदेश के प्रेमी नहीं पहुंच पाए तो हमने कहा मासिक भंडारा शुरू करो। फिर वहां जाते थे, खाते थे, खिलाते थे, प्रसाद ग्रहण करते थे, लोगों को लाते थे तो सब लोग आप हर महीने कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को शुरू करो।

अपने आश्रमों में तो सब जगह शुरू हो गया। पहले से जो भंडारे चल रहे थे, वे तो चल ही रहे हैं। लगातार 100 के करीब भंडारे पूरे देश में चल रहे हैं। विदेशों में भी चल रहे हैं ,अपने प्रेमी जहां-जहां हैं। 15-16 देशों में तो मैं गया। जहां ज्यादा प्रेमी हो गए, आश्रम-मंदिर बना लिया और भूखों को भोजन प्रसादी खिलाते हैं। जैसे अपनी संस्था और आप लोग करते हो वैसे ही विदेशों में भी लोग कर रहे हैं।

*इस तिथि के बहाने गुरु को, वचनों को और उनकी बताई साधना को याद रखो।*

आप भूल न जाओ, लोग भूल न जाएं इस तिथि को। तिथि के बहाने महापुरुष याद आएंगे, गुरु याद आएंगे। भंडारा चालू कर दिया गया है। तो पीछे भी त्रयोदशी को बहुत भंडारे चालू हो गये और जो लोग ऑनलाइन संदेश को सुन रहे हो, जहां पर भी आप लोग हो, यथाशक्ति एक जगह इकट्ठा होकर पक्का खाना बना लो, कुछ मीठा भी बना लो। खुद भी खा लो और लोगों को खिला दिया करो।

*नामदान की इच्छा-तड़प अब लोगों में जग रही है।*

आश्रमों पर, जहां-जहां आश्रम है, सब लोग करते हैं। आप लोग भी व्यवस्था बना लो। अब तो गुरु महाराज की दया से राजस्थान में भी कई आश्रम हो गए। सीकर जिला में भी दो-तीन आश्रम हो गए। अभी मैं जाऊंगा सीकर। नाम दान के लिए सब लोग व्याकुल हो रहे हैं।

*नामदान को जो लोग समझ लेते हैं, उनके अंदर तड़प जग जाती है। उधर काफी दिनों से नामदान हुआ नहीं। गुरु महाराज का भंडारा भी हो जाएगा।*

Jaigurudev


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