Sant bodh
*6. मनुष्य शरीर*
यह मनुष्य शरीर किराये का मकान है, साढ़े तीन हाथ का । यह अमोलक शरीर है। किराये पर यह मकान तुम्हें काल भगवान यानी ईश्वर ने दिया है, गिन कर श्वांसों में । श्वांसो की पूँजी जो तुम्हें दिया है उसको पूरा होते ही वह तुम्हें इस शरीर में से जबरजस्ती निकाल लेगा , और तुम्हारा यह शरीर धरती पर गिर पड़ेगा।
इसलिये इस शरीर के रहते हुए अपना काम कर लो जिसको करने के लिये तुम्हें यह शरीर दिया गया है। यदि इस बार भी तुमने अपना काम नहीं किया तो वह फिर तुम्हें नर्कों में और चौरासी लाख योनियों में तुम्हारे कर्मानुसार डाल देगा।
यह अमोलक और दुर्लभ मनुष्य शरीर फिर जल्दी मिलने वाला नहीं ।
*7. जयगुरुदेव अमृतवाणी (आत्मा)*
इस अमोलक मनुष्य शरीर में तुम्हारी यह जीवात्मा दोंनो भौहों के बीचो बीच के सीधाई में पिछले हिस्से में बैठी हुई है। वह चेतन है और शरीर जड़ है। आत्मा चेतन है और चेतन परमात्मा की अंश है। चेतन चेतन एक हो जाती है इसलिये चेतन से चेतन को पकड़ना है। चेतन आत्मा के धार से इस शरीर की सारी इन्द्रियाँ काम करती हैं और शरीर में से आत्मा के निकलते ही कोई भी इन्द्रिय काम नहीं करती शरीर ही मर जाता है।
शरीर जड़ है।
इसलिये समझ लो कि तुम चेतन हो, जड़ नहीं हो चेतन और जड़ का मेल नहीं। अगर पैर कट जाय तो लोग कहते हैं कि अभी जिन्दा है। हाथ कट जाय तो लोग कहते हैं कि अभी जिंदा है लेकिन जब आत्मा को शरीर में से खीचकर बाहर कर दिया जाता हैे तो लोग कहते हैं कि फलाँ आदमी दुनियाँ में अब नहीं है। तो तुम समझ लो कि तुम शरीर नहीं हो हाथ पैर नहीं हो , आँख कान नहीं हो बल्कि तुम चेतन आत्मा हो।
*8 अपना काम -*
इस शरीर का कोई भरोसा नहीे। किस वक्त काल अपना मकान खाली करा लेगा कुछ पता नहीें। बीस वर्ष, पचास साल या साठ साल जो तुम्हारा गुजर गया वह फिर नही मिलने वाला, और इतने सालों में तुमने अपना कोई काम नहीं किया, तो अब से चेत लो और जो समय अभी बाकी है उसी में रास्ता ले लो और भजन करलो, जीते जी अपना काम करलो।
रास्ता देने के लिये, रास्ता बताने के लिये, तुम्हारे घर का पता बताने के लिये मैं तुम्हारे सामने हूं। और अभी समझ में नही आता है तो अपने मरने के पहले जब भी तुम्हारी इच्छा में आ जाय कि भगवान के पाने का रास्ता ले लूं, तो मेरे पास चले आना, तुम्हें नाम पता भेद सब दे दिया जायेगा। चल पड़ना।
*★ जयगुरुदेव ★ 9. समय का सदुपयोग -*
दिन रात के 24 घण्टे आपके पास है और 24 घण्टे इस नाशवान दुनिया के कामों में खतम कर देते हो। दिन में खेती बारी, दफ्तर दुकान का काम करो, शाम को बाल बच्चों की सेवा करो और चौबीस घण्टे में से ढाई घण्टा भजन के लिये रख लो। रास्ता लेकर उसमें भजन करलो।
जब भजन करने का सच्चा रास्ता तुम्हें मिल जाय तो सुमिरन, ध्यान, भजन उसमें कर लो, जैसे बताया जाय। सुबह कर लो दिन में कर लो, रात मे कर लो जब भी तुम चाहो अपना काम प्रतिदिन कर लो और यदि इतने पर भी टाइम नहीं मिलता तो पाखाना जाते हो उसी में वहीं कर लेना पर देखना साधना में गिर मत जाना और यदि पाखाना जाने में भी नहीं कर सको तो अपने चुल्लू भर पानी में नाक गड़ा कर मर जाना।
हमेशा यह याद रखो -
*दुनिया के काम कभी खत्म न होंगे*
*और बन्दे, एक दिन हम ना होंगे ।*
*10. जयगुरुदेव ★ पत्थर नहीं ★*
अरे भाई, यह मेरा शरीर कोई पत्थर का थोड़े ही है, मुझे भी सर्दी गर्मी लगती है कभी तबियत मेरी भी खराब हो जाती है, मैं तो खुद ही तुमसे मिलते रहता हूँ। लेकिन यह कि निकला नही कि तुम बेतहासा टूट पड़ते हो इससे तकलीफ होती है, ऐसे टूटते हो कि हाथ पैरों मे देखो कि तुम्हारे नाखुन से खून निकल आता है, यह ठीक नही, भाव में इतना बदहोश मत हो जाओ कि धक्का लग जाय लोग गिर पड़ें।
लाइन लगा लो, मैं तुम्हे देखता हूँ तुम मुझे सामने देखो, अपनी आखँ सामने रखो सिर नीचे मत झुका लो, एक एक करके मैं तो सबको देखता हूं सबकी सुनता हूं किसी को छोड़ता नहीं।
अपनी बात तुम आगे से कहो चाहे पीछे से कहो बाबा जी कोई बहरे थोड़े ही हैं, सब सुनता हूँ । पत्थर का मंदिर भी कुछ देर के लिये बन्द कर दिया जाता है मैं तो हमेशा तुम्हारे बीच रहता हूँ फिर भी कभी थोड़ा आराम चाहिये । देखो दिन - रात गर्मी हो या जाड़ा या बरसात हो, हमेशा मेहनत मैं करता रहता हूँ ताकि तुम्हारा काम बन जाये, कुछ तुम मेहनत करो कुछ मैं मेहनत करुँ इसी में काम बन जायेगा।
-- Baba JaigurudevJi Maharaj
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