बच्चियों! चुटकी सेवा निकालकर भूखे असहायों को भंडारे में खिलाओ और उस मालिक से खूब बरकत लो-बाबा उमाकान्त जी महाराज

जयगुरुदेव
प्रेस नोट-छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश

*बच्चियों! चुटकी सेवा निकालकर भूखे असहायों को भंडारे में खिलाओ और उस मालिक से खूब बरकत लो-बाबा उमाकान्त जी महाराज*

विश्व विख्यात परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी वर्तमान के पूरे सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 9 फरवरी 2021 को छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश में सत्संग सुनाते हुए बताया कि अपने लोगों को गुरु महाराज ने बहुत दिया। बहुत से लोग दसवां अंश निकालते रहे। गुरु महाराज की सेवा का, कमाई का और दसवांश के बदले 100 गुना के बजाय और भी कितने गुना ज्यादा गुरु महाराज ने दे दिया। कुछ लोगों को आप जो पुराने नाम दानी हो आपको अनुभव भी है।

*नीयत से होती है बरकत*

आप देखो नीयत से बरकत होती है। पहले क्या था? बच्चियां माताएं सुबह-शाम जब भोजन बनाने के लिए जाती थी, चावल बनावे तो चावल एक चुटकी निकाल करके रख देती थी। आटा बनावे तो आटा रख देंती। दाल बनावे तो दाल रख देंती। कोई भूखा आ जाए उसको खिला दें या कहीं भंडारा हो रहा है वहां पर दे देती। 5 आदमियों का खाना बनता था, एक आदमी और आ जाए तो वो भी खा लेता था, कम नहीं पड़ता था। और जो भी कुत्ता और गाय के लिए निकालते थे तो वो भी बच जाता था। अब आप समझो मन भरे और खाते दबाते चले जाओ फिर भी कहते हैं आज मन नहीं भरा। और थोड़ा ही खालो कहते हैं, मन भर गया, मन प्रसन्न हो गया तो आप समझो नीयत से बरकत होती है।

*आप चुटकी निकालना शुरू कर दो बच्चियों और फर्क देखो*

आप चुटकी निकालना शुरू कर दो बच्चियों, देखो कितना फर्क पड़ता है। आपके मध्य प्रदेश में बहुत से भंडारे चल रहे हैं और खूब बंटा लॉक डाउन के समय में। असहायों को खूब भोजन कराया प्रेमियों ने और लगातार अब भी भंडारे चला रहे हैं। मध्यप्रदेश में ही 10 भंडारे से ज्यादा लगातार चल रहे हैं। चित्रकूट, खजुराहो, पंचमढ़ी, ओम्कारेश्वर में तीर्थ स्थानों पर, धार्मिक स्थानों पर, पर्यटन स्थानों पर लगातार चल रहे। बना-बना कर के प्रेमी सामान बांटने के लिए जाते हैं तो उन्हीं भंडारों में आप दे सकते हो, भंडारे चलते रहेंगे। और भंडारे भी चल जाएंगे।

*भूखों को भोजन खिलाना होता है पुण्य का काम*

भूखे को खिलाना बड़ा पुण्य का काम होता है। बराबर भंडारे चलाते रहना प्रेमियों। हमको बड़ी खुशी हुई। दूसरे प्रांतों में भी खूब चल रहे। आपके अयोध्या में दो भंडारे चल रहे हैं, आपके प्रयागराज में चल रहे हैं, आपके ऋषिकेश में चल रहा है। आपके सोमनाथ में 28 तारीख को गया था, मैं वहां चालू करा कर आया। महाराष्ट्र में भी सब जगह चल रहे हैं।

*प्रेमियों आपको भंडारा चलाते रहने में कोई दिक्कत नहीं होगी*

मैंने कहा है लोगों से आपको प्रेमियों भंडारा चलाते रहने में दिक्कत नहीं होगी। यह हमारी बच्चियां चुटकियों में भंडारा चला देंगी। अब आप तो चाहे इस चुटकी को समझो, हम तो उस चुटकी को समझ रहे हैं। ऐसे ही चुटकी निकाल-निकाल करके सारे भंडारे चलाती रहेंगी।

*हमारे कोई अपना बच्चा नहीं, हम आध्यात्मिक दृष्टिकोण से आपको अपना बच्चा मानते हैं*

हमने तो प्रेमियों से कह दिया है हमारे कोई बच्चे तो है नहीं, ना कोई बीवी है, ना कोई हमने घर बनाया, ना घर बसाया। हम तो छोटे थे। गुरु महाराज के पास आ गए थे। 40ओं साल उन्होंने रखा अपने पास। बच्चे की तरह से माना। हर तरह से उन्होंने बताया, सिखाया और वह इल्म दिया जो आपको दूंगा। जो आपके सामने बोलने लायक बना। गुरु महाराज कहा करते थे कि हमारे कोई अपने बच्चे नहीं हैं लेकिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से मैं तुम सब लोगों को अपना बच्चा मानता हूं। तो मैं काम तो गुरु महाराज का ही कर रहा हूं। आप समझो उन्हीं के पद चिन्हों पर चल रहा हूं। जब वह आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अपना बच्चा मानते थे तो हम भी आपको अपना बच्चा ही मानते हैं। तो यह बच्चे आपके अपने बच्चे समझो हमारे बच्चे समझ लो। यह बच्चियां समझ लो हमने तो कहा यह हमारी बच्चियां चुटकी से भंडार चला देंगी, खूब खिलाते रहो।

जयगुरुदेव

- परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम उज्जैन (म.प्र) भारत

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