जयगुरुदेवप्रेस नोट-14.04.2021, उज्जैन मध्य प्रदेश
*नया वर्ष हमको कुछ अच्छा दिखाई नहीं पड़ रहा-बाबा उमाकान्त जी महाराज*
सभी जीवों में एक ही प्राण, सभी मनुष्य हैं एक समान। सभी जीव और मनुष्य में परमात्मा की अंश जीवात्मा है। इस बात का ज्ञान कराने वाले वर्तमान के पूरे सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने हिंदू नववर्ष गुड़ीपड़वा के अवसर पर 13 अप्रैल 2021को अपने बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम उज्जैन से भक्तों को सतसंग में बताया कि नवरात्र का प्रथम दिन चैत्र शुक्ल का पहला दिन, इसको गुड़ी पड़वा भी कहते हैं। आज से हिंदी तिथि के हिसाब से नए वर्ष की शुरुआत हो रही है। अंग्रेजी तारीख के हिसाब से तो 1 जनवरी से ही नया वर्ष लग गया लेकिन आज हिंदू धर्म के अनुसार, हिंदू तिथि के अनुसार नए वर्ष का पहला दिन है।
*लोगों को शांति नहीं मिलेगी और चूक जाने पर भारी नुकसान होगा*
महाराज जी बताया कि प्रेमियों! यह नया वर्ष जो आज लग रहा है, ये नया वर्ष हमको कुछ अच्छा दिखायी नहीं पड़ रहा है। इसमें बहुत परेशानियां लोगों को आएंगी। शरीर से कष्ट, मानसिक कष्ट भी होगा। शांति नहीं मिलेगी, रुपया पैसा में भी लोगों को बरकत दिखाई नहीं पड़ेगा। मेहनत जिस हिसाब से लोग करेंगे बचत उस हिसाब से नहीं होगी। घाटा ज्यादा, नुकसान होगा। चूक जाने पर भारी नुकसान भी लोगों को होगा।
*आदमी टेंशन में नीति के विरुद्ध, शास्त्र के विरुद्ध, धर्म के विरुद्ध जीव हत्या और दूसरों को भी हत्या कर डालेगा*
महाराज जी ने कहा कि प्रेमियों! सम्भलकर चलने की लोगों को जरूरत है। ऐसा काम भी आदमी परेशानी में, टेंशन में कर डालेगा जो नहीं करना चाहिए। नीति के विरुद्ध, शास्त्र के विरुद्ध, धर्म के विरुद्ध जीव हत्या व दूसरों को भी मार डालेगा और खुद भी आत्महत्या कर डालेगा, परेशानी में। ऐसा यह वर्ष हमको दिखाई पड़ रहा है परेशानियों से भरा हुआ।
*प्रेमियों ! बहुत संभलकर के चलने की जरूरत है। खुद भी बचना और लोगों को भी बचाना*
महाराज जी ने कहा कि ऐसे समय में प्रेमियों बहुत सजग और संभलकर के चलने की जरूरत है। खुद भी बचना है और लोगों को भी बचाना है क्योंकि आप स्वार्थी नहीं हो। गुरु महाराज भी स्वार्थपरता खत्म करते रहे। स्वार्थी भाव जो लोगों के अंदर पैदा होता था, उसको खत्म करते रहे। उनको भी जोड़ते रहे। परमार्थ भी उन्होंने सिखाया और उनके जाने के बाद आप लोगों को भी परमार्थ सिखाया जा रहा, गुरु महाराज की बातों को याद दिलाया जा रहा है। प्रेमियों! आप तो परमार्थी हो।
*प्रेमियों! हमको तो विश्वास है जो 1 रोटी आपको मिलेगी अगर कोई भूखा आ गया तो उसको भी एक टुकड़ा दे दोगे*
महाराज जी ने कहा प्रेमियों! हमको तो यह विश्वास है की जो एक रोटी आपको मिलेगी, अगर कोई भूखा होगा तो उसमें से एक टुकड़ा उसको भी दे दोगे। जैसे शरीर को रोटी खिलाना पुण्य का काम होता है इसलिए जान बचाना भी पुण्य का काम होता है, अच्छा काम होता है, परमार्थी काम होता है। प्रेमियों! खुद भी संभल कर के चलने की जरूरत है जब तक अपना काम न पूरा हो जाए। अपना काम क्या है? इस मनुष्य शरीर के रहते-रहते जीवात्मा को अपने वतन, अपने घर पहुंचा दिया जाए। यह अपना काम है।
।।जयगुरुदेव।।
- परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन
मध्य प्रदेश, भारत
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