सन्त दूरदर्शी होते हैं

" जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव "

एक समय का वाकया है।
एक आला फकीर अपने शागिर्दों के साथ किसी शहर में जा रहे थे। रास्ते में मालूम हुआ कि वहाँ वबा (महामारी) फैली हुई और लोग मर रहे हैं। आप रुक गए और वापसी का इरादा जाहिर किया।
शागिर्दों को शंका हुई और पूछा कि क्या आप मालिक की तक़दीर से पलट रहे हैं? आला फकीर ने मौज में फ़रमाया हाँ ! हम मालिक की एक तक़दीर से मालिक की दूसरी तक़दीर की तरफ जा रहे हैं।
क्योंकि अब वहां पर मालिक की तक़दीर से कुदरत अपना काम कर रही है। यानी अगर किसी इलाक़े में वबा मालिक की तरफ से है तो दूसरे इलाके में सुकून भी उस मालिक की तरफ से है, और इंसान को चाहिए कि उस मालिक को याद कर सुकून की तरफ जाए और अपने आप को तबाही से बचाए।
वक्त के आला फकीर परम पूज्य "संत उमाकान्त जी महाराज" ने अभी 01 जनवरी 2020 को बाबा जयगुरुदेव आश्रम उज्जैन, मप्र, भारत में प्रातः काल के सतसंग में वर्तमान दौर के बारे में स्पष्ट रूप से खुलासा कर इस का निदान भी बतलाया।
मौज फरमाते हुए 15 जनवरी से 15 फरवरी 2020 तक धुआंधार प्रचार का आदेश दिया। जब सड़कें निरापद नहीं थीं और माहौल सुलग रहा था, तब आला फकीर के आदेश पालना में उनके मुरीद सुबह-दोपहर-शाम प्रभु, खुदा, गाॅड के पावन नाम 'जयगुरुदेव' की नाम ध्वनि करते शाकाहार का महत्व बतलाते हुए देश-दुनिया से विनती प्रार्थना कर रहे थे।
यह आदेश तब समीचीन हो गया जब एक छोटा सा वायरस पूरी दुनिया में तबाही मचाने के लिए निकल पडा।  लेकिन उसके बवाल को रोकने 8/9 फरवरी 2020 में बावल आश्रम, हरियाणा में शाकाहार प्रचार के लिए और अगले बीस दिनों की मौज आला फकीर कर देते हैं।
भला अब किसी की क्या मजाल जो संत महापुरुष का संकल्प पूरा नहीं हो पाता। क्योंकि बाज़ दफा समझाने की कोशिशों के बावजूद यह तो अंतिम चेतावनी दी जा रही थी। जब अन्य स्थानों पर सतसंग आदि के कार्यक्रम स्थगित हो रहे होते हैं तब 8/9/10 मार्च 2020 को उज्जैन आश्रम पर होली का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ और तब आला फकीर परम पूज्य "बाबा उमाकान्त जी महाराज" मौज फरमाते हैं कि ये उस मालिक का हुकुम है, जो अपने हाथ से ख़ुद को हलाकत में मत डालो।
अभी सन् 2020 के जनवरी, फरवरी और मार्च माह ही हुए हैं, यह तो अभी ट्रेलर है, पूरी पिक्चर तो अभी देखना बाकी है। लेकिन उस मालिक, उस खुदा, उस गाॅड के पावन नाम 'जयगुरुदेव' की नाम ध्वनि करते यह कुदरती जलजला भी पार हो जायेगा। आला फकीर परम पूज्य "संत उमाकान्त जी महाराज" की मौज है कि इस तरह नाम ध्वनि करते रहने की,
"जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव"
तो अब रजा में राजी रहने में ही भलाई है, क्योंकि संत न होते जगत में, तो जल उठता संसार।

" जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव "



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