*जयगुरुदेव | आरती* (Post no.3.)
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★ *Charan Sharan Ki Vandana* ★
गुरु बसो चित्त आय मेरे, बख्श दो निज नाम।।
आस तो तेरी दया की, जग से रहूं उदास।।
आठों याम तेरा ही सुमिरन, भाग मेरा धन।।
पतित पापी तर गया, गुरु शरण तेरी आय।।
राधास्वामी की दया से, भाग पूरण जाग।।
विमल प्रकाश अमी रस पीजे।।
आन चढ़ाऊं स्वामी दीनदयाला।।
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Jaigurudev