【 *जो गुरु करें सो होय* 】

*तीन लोक नौ खण्ड में गुरु से बड़ा न कोय,*
*करता करे न करि सके, गुरु करे सो होय।।*


बाबा सावन सिंह जी एक पूरे महात्मा हुए हैं। उनके वक्त की घटना है। एक बार वे सिकन्दपुर से व्यास जा रहे थे। गांव से कुछ किलोमीटर चल कर स्टेशन जाना पड़ता था। बाबा सावन सिंह जी घोड़े पर थे और कई प्रेमी उनके पीछे-पीछे चल रहे थे।

रास्ते में अचानक एक जहरीले सांप ने सत्संगी भाई शादी को काट लिया। उस क्षेत्र के लोगों का कहना था कि उस जहरीले सांप के काटने पर तत्काल मृत्यु हो जाती थी। सांप के काटते ही भाई शादी का शरीर नीला हो गया। उसने वहीं दम तोड़ दिया। 

बाबा सावन सिंह जी कुछ दूर आगे निकल गये थे। एकाएक घोड़े को पीछे मोड़ा और यह सुनकर कि शादी को सांप ने काट लिया है कहा कि इसे घोड़े पर लादकर अस्पताल ले जाओ। 
प्रयास के बावजूद लोग उसे घोड़े पर लाद न सके। निर्जीव को घोडे़ पर लादना बहुत मुश्किल था।
बाबा जी ने फिर कहा कि देखो नीम का पेड़ हो तो उसकी एक टहनी ले आओ। दूर दूर तक वहां कोई पेड़ नहीं था। कटीली झाड़ियां चारों तरफ दिखाई देती थीं। 
बाबा जी ने फिर झाड़ी की एक टहनी मंगाई। टहनी को हाथ में लेकर बाबा जी उसे सांप के काटे हुए स्थान के चारों ओर घुमाने लगे। साथ ही बोले कि हमने सुना है कि सांप के काटे हुए जख्म पर टहनी घुमाने से उसका जहर उतर जाता है।

दो मिनट बाद सत्संगी भाई शादी के शरीर में हरकत हुई और वो उठकर बैठ गये। सामने बाबा जी को देखा। उनकी आंखों से अश्रुधारा वह चली और सतगुरु के चरणों में गिर पड़े।

शाकाहारी पत्रिका 28 से 6 सित. 2013

जय गुरु देव ★

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