*स्वामी जी का सन्देश*

● *पुत्रियों पर ध्यान दें -* ●


आज बड़े शहरों में जो वातावरण देखने में आ रहा है उससे उम्मीद की जाती है  कि कुछ ही समय बाद संसार में लोग वर्ण शंकर हो जायेंगे। कोई भी किसी की बहु बेटी का भेदभाव नहीं रक्खेगा और सबके मन चंचल हो जायेंगे।

हमारी देवियों ने तो अपना जामा उतारकर लाखों कोस दूर कर दिया। जो शर्मिन्दगी का जामा देवियां पहना करती थीं उसके अन्दर उनका तेज छुपा रहता था। लेकिन जिस दिन से हया शर्म चली गई है उस दिन से उनके मन पर मानो काली सिकुड़ी धारियां चमकने लगी हैं। शरीर के अंगो को खोलना और आधा शरीर कपड़े से ढकना केवल यह जाहिर करता है कि सतीत्व जा रहा है और आगे अन्धकार आ रहा है। 

नारियां जब सत्संग नहीं पाती हैं तो उनका मन सदा संसारी रहता है और देख देखकर अन्दर मन चंचलता करता रहता है। मौका पाकर उभार पैदा कर देता है जिससे मन नीच रास्ता पकड़ लेता है और अन्त मे नारियां भ्रष्ट रास्ता ग्रहण कर लेती हैं।

शहर के वासियों को चाहिए कि अपनी लड़कियों पर पूरा पूरा ध्यान रक्खें। आठ वर्ष की अवस्था से लड़कियों को आजादी हरगिज न देवें। माता अपनी पुत्री की निगरानी बहुत सचेत के सहित करें। जब किसी घर के लड़के जिनकी उमर बारह वर्ष की है, घर में आवें उस वक्त माता पिता की  निगहबानी होना अति आवश्यक है कि अपनी लड़की को स्वतंत्र न होने देवें।
 आठ वर्ष की उम्र से लड़कियां संसारी बातें भली भांति समझने लगती हैं और उनके मन पर बहुत बुरा असर होता है। जब लड़कियां अपने मन की चंचल हो जाती हैं तब तो तुम समझ लो कि उनके सात्विक जीवन में एक तरह का भविष्य में अवश्य कलंक लगेगा।

जितने सत्संगीजन हैं उनको अवश्य यह करना होगा कि अपनी पुत्री को बहुत संभालकर रक्खें। शहर के जो लोग पढ़े लिखे हैं वह चाहते हैं कि लड़कियां आजादी के साथ रहें परन्तु आज तो आजादी है, भविष्य उनका समय बर्बादी का होगा। मैंने लड़कियों का जीवन बहुत ऊंचा बनाया जो आज देखने में आ रहा है। आज लड़कों को और  लड़कियों को ऐसी हवा खिलाई जाती है जिस हवा के द्वारा विष पैदा हो जावे दोनों का जीवन नष्ट अर्थात पतन का हो जावे।

शाकाहारी पत्रिका 28 से 6 सित. 2013


● *क्या आपको पता है कि-* ●


★ सतगुरु मनुष्य नहीं हैं, सबकुछ कर्ता हैं। सत्तनाम,सत्तपुरुष, अलख, अगम, अनामी सब सतगुरु ही हैं। कुल मालिक हैं उनसे बड़ा कोई नहीं, अनेकों ईश्वर, ब्रह्म, पारब्रह्म को वे पैदा करने वाले हैं और उनके हुक्म से सब चलते हैं और बराबर उनसे डरते रहते हैं।

★ सहसदल कंवल में निरंजन भगवान रहते हैं। वह अनोखा देश है। वहां एक हजार बत्ती की ज्योति है। वह नजारा अजीवों गरीब है। राम भगवान का अवतार इसी देश से हुआ था। दोनों आंखों के पीछे बैठी हुई जीवात्मा भजन ध्यान करके जब सहसदल कंवल में पहुंचकर निरंजन भगवान का साक्षात्कार करती है तो वहां के आनन्द के मुकाबले यह दुनिया गन्दगी और बदबू का भण्डार मालूम पड़ती है।

★ मनुष्य की आयु का एक-एक मिनट हिसाब में है। कब बीमारी आयेगी यह पहले से निश्चित है। जब तक उस बीमारी की मियाद खत्म न हो जाय कोई दवा लाभ न करेगी। या तो कोई ऐसा हकीम या डाॅक्टर न मिलेगा या उसकी समझ में रोग नहीं आएगा। मियाद खत्म होने पर जब आराम होता है तो मामूली सी दवा फायदा कर जाती है।

★ भविष्य में जो कोई काश्तकारों के कर्जे का ब्याज माफ करेगा वही देश में राज करेगा। बाबा जयगुरुदेव की यह घोषणा है।

★ देश और दुनिया में भारी परिवर्तन होगा। छोटा मोटा परिवर्तन नहीं होगा। ऐसा परिवर्तन होगा कि सब चकाचौन्ध रह जाएंगे। महात्माओं के वचन कभी गलत नही होते हैं। वे त्रिकालदर्शी होते हैं। परिवर्तन की आवाज वैचारिक क्रान्ति की आवाज बाबा जयगुरुदेव जी देश में सर्व प्रथम लगा चुके हैं।

शाकाहारी सदाचारी बालसंघ,
२८ से ६ जून २०१३
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● *सतगुरु का पत्र साधक को* ●


बुराईयां आ गईं हैं तो उन्हें छोड़ने का प्रयास करो। मालिक से प्रार्थना करते रहो, दया की भीख मांगते रहो। जो कहा जाय उसे मानोगे तो दया हो जाएगी। शंका मत करो। एक ही निशाने पर रहो तभी काम बनोगे। 
अपनी तरफ देखो अपनी बुराईयों को देखो तभी सुधार होगा और सच्चा रास्ता पकड़ लोगे। दूसरों की तरफ देखोगे, निन्दा आलोचना में लगोगे तो भजन ध्यान कभी नहीं बनेगा और न हीं बुराईयां छूटेंगी।
इसके अलावा भजन का पक्का इरादा बनाना जरुरी है। रोज भजन का समय निश्चित करलो तो अच्छा है। संकल्प शक्ति द्वारा इस मार्ग में सफलता मिलती है। आंखों के ऊपर तीसरे तिल में जीवात्मा जब पहुंचती है तब बुरी प्रवत्तियों से नफरत हो जाती है।



★ *स्वामी जी ने कहा* ★
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●  जब सत्संग शुरु हो जाय तो चलना फिरना बन्द। अपनी-अपनी जगह पर जहां मिल जाय वहीं बैठ जाओ। वार्तालाप करोगे, कुछ बोलूंगा, शब्द निकल जायेगा। बात समझ में आयेगी नहीं। इसलिए बातों को सुन लो।


●  यहां देखो अपने सद्भाव और सहयोग से लोग जमीन पर पड़े हुए हैं। इसमें अमीर गरीब सब हैं पर कोई भेदभाव नहीं। नींद में कोई भेदभाव नहीं होता। नींद आती है तो यह नहीं देखती कि जमीन पर हूं या गद्दी पर। नींद आई और सो गया यह सब चीजें स्वभाव और आदत की हैं। नींद सबको एक तरह से आती है। नींद आई तो सब बराबर सब कुछ भूल जाते हैं।


●  जो उपासना जो साधना हम लोग कर रहे हैं, नामधन जमा कर रहे हैं उसके बदले में कुछ भी नहीं है। वह अनमोल धन है हम उसे जमा कर रहे हैं। बाबाजी घर में रहकर तपस्या कर रहे हैं करवा रहे हैं। तप करने से बड़ी सामग्री मिलती है। सामग्री को त्याग दिया जाय तो निःसन्देह भगवान मिलता है।


●  सत्संगियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो जो सूचना दें वो सत्य हो। गलत सूचना का भंडा फूट जाता है। सूचनायें अपनी जगह पर प्राप्त हुईं जिसने सूचना उल्टा करना चाहा उनके सामने सत्य आ गया और उनका झूठ भी सामने आ गया।

साभार,
शाकाहारी पत्रिका 28 से 6 मई 2010
shakahari patrika 28 may
JAIGURUDEV


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