*सन्तमत की चेतावनियाँ* 6.
आंख जिससे भी वो, इक बार मिला लेते हैं।
फिर हमेशा के लिए, अपना बना लेते हैं।।
रूठे कोई लाख मगर, उसको मना लेते हैं।।
खींच के ध्यान उसे, पीछे लगा लेते हैं।।
जिसको ये दुनिया के, फन्दे से छुड़ा लेते हैं।।
सोये ये मुमकिन ही नहीं, उसको जगा देते हैं।।
दिल में एक बार जब, डेरा जमा लेते हैं।।
अब तू शरण गुरु की आया।।१
अब तू शरण गुरु की आया।।२
तबसे बहुत कुकर्म कमाया।
घूमता भूला फिरा बेहाल,
अब तू शरण गुरु की आया।।३
रहे फिरते भोगों की आस।
पापियों का था करता साथ,
अब तू शरण गुरु की आया।।४
तुम्हें है देख रहा संसार।
गुरु के शब्दों पर कर ख्याल,
अब तू शरण गुरु की आया।।५
गुरु को वो मारेंगे तान।
न करना गुरु का नीचा भाल,
अब तू शरण गुरु की आया।।६
तुम्हे सुन सुनकर होगा ताप।
इसी से अपनी चाल सम्हाल,
अब तू शरण गुरु की आया।।७
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हमारे गुरु जग में जग से न्यारे।।
जग में आप पधारे।
हमारे गुरु जग में जग से न्यारे।।
परबस दुःख सहें अपारे ।
बस आपहिं आप संभारे ।।
भटके जीव विचारे ।
तिन्हहि उबारन भू पर निर्मल,
सतगुरु सूर उगारे ।।
चेतन ग्रन्थि संवारे।
कुटिल कुबुध्दि नीच निन्दक,
जन हुए अलूक किनारे ।।
हरि सतगुरुहिं निहारे।
जयगुरुदेव बहुत समझायें,
सीख न सठ चित धारे ।।
★ जयगुरुदेव नाम प्रभु का ★
हे मन कहीं अटक न जाना ।।
सुन ले बात हमारी ।
केवल गुरु का दर्शन पाना,
हे मन कहीं भटक न जाना ।।
लाख कहे कोई थाह नहीं है ।
तुम सबको अनसुनी कर जाना ।
हे मन कहीं भटक न जाना ।।
काम न आवे पोथी ।
दृष्टि कहीं अटके नहिं तेरी,
हो बस एक निशाना ।
हे मन कहीं अटक न जाना ।।
काल को धक्का देना ।
गुरु स्वरूप पर ध्यान लगाकर,
गीत यह गाते जाना ।
हे मन कहीं भटक न जाना ।।
बीच न आवे कोई ।
मिट्टी दुई अब एक हुये,
गया अपना और बेगाना ।
हे मन कहीं भटक न जाना ।।
ह्रदय को भेंट चढ़ना ।
इसी यतन से सुन लो प्यारे,
गुरु मेहर को पाना ।
हे मन कहीं भटक न जाना ।।
मुझको भूल न जाना ।
मैं हूँ तेरी जन्म सहचरी,
मुझको संग लगाना ।।
हे मन कहीं भटक न जाना ।।
★ जयगुरुदेव चेतावनी 29 ★
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हो जाओ भव सागर से पार रे सतगुरु ने नाव लगाई
सतगुरु ने नाव लगाई गुरुदेव ने नाव लगाई ।।१।।
खेय रहे गुरुदेव पतवार रे, सतगुरु ने नाव लगाई ।।२।।
छूटे ये सारा संसार रे, सतगुरु ने नाव लगाई ।।३।।
हो जा माया भवर से पार रे, सतगुरु ने नाव लगाई ।।४।।
सुन लो अनहद की झनकार रे, सतगुरु ने नाव लगाई ।।५।।
खुल जायें तीनो लोक के द्वार रे, सतगुरु ने नाव लगाई ।।६।।
डोरी नाम लगावे पार रे, सतगुरु ने नाव लगाई ।।७।।
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Jaigurudev