*जयगुरुदेव* (post no.6)
देख भोग मन अति ललचाय।।
मन रहे अनेक तरंग उठाये।।
सुरत शब्द में नहीं ठहराय।।
नई कामना नित्त जगाये।।
जो यह बेड़ा पार लगाय।।
गुरु साधन भजन बड़ा देना,
मेरे मन को शांत बना देना।।
मेरी नैया पार लगा देना ।। गुरु साधन....
मेरा मन व्याकुल रहता है।
बन्धन से मुक्त करा देना ।
मैं विषय भोग में भूल रहा।
निज रूप का बोध करा देना।
जिव्या पर तुम्हारा नाम रहे।
आनंद सिन्धु में समा लेना।
मोहिनी तुम्हारी मूरत हो।
यों अंत समय दर्शन देना।
दीनन जन के प्रतिपालक हो।
मुझे प्रेम पीयूष पिला देना।
गुरु साधन भजन बड़ा देना।
मेरे मन को शांत बना देना।।
◆ प्रार्थना 32 ◆
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गुरु रहम नजर करना बच्चो का पालन करना।
बाबा रहम नजर करना बच्चो का पालन करना ।।१।।
बाबा रहम नजर करना बच्चो का पालन करना ।।२।।
मे अंधा हूं बन्दा आपका मुझको चरण दिखलाना।
बाबा रहम नजर करना बच्चो का पालन करना ।।३।।
दास गणु अब क्या बोले थक गई है मेरी रसना।
बाबा रहम नजर करना बच्चो का पालन करना ।।४।।
◆ प्रार्थना 33 ◆
तो गफलत में सब उम्र यूं ही में खोता।।
क्या सत क्या असत्य जान पाया ना होता ।।
चला जाता दुनिया से यूं सोता सोता ।।
जो घट का यह ताला खुलाया ना होता ।।
यह विश्वास मन को भी आया ना होता ।।
जो साथी ना गुरु को बनाया में होता ।।
मनुज रूप सतगुरु बनाया ना होता ।।
अब निज पद मन जोड़ो।
गुरु जी मेरे भव बन्धन को तोड़ो।।
अजहुँ तो यहीं मोड़ो-
गुरु जी मेरे भव बन्धन को तोड़ो।।
मैं अबला जानि न छोड़ो।
गुरु जी मेरे भव बन्धन को तोड़ो।।
पन्थ के कंटक रोड़ो।
गुरु जी मेरे भव बन्धन को तोड़ो।।
शीश काल गुरु फोड़ो-
गुरु जी मेरे भव बन्धन को तोड़ो।।
मैं यह कहत निचोड़ो।
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Baba jaigurudev ji maharaj |
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Jaigurudev