*जयगुरुदेव* (post no.6)

स्वामी जी महाराज का आदेश- प्रार्थना रोज होनी चाहिए|
*Bhog vasna man Me dhari* 
◆ प्रार्थना 30 ◆

भोग वासना मन में धरी,
मो से सत्संग कियो न जाय।
मैं चाहूं छोड़न भोगन को, 
देख भोग मन अति ललचाय।।

सत्संग वचन सुनूं मैं कैसे, 
मन रहे अनेक तरंग उठाये।।
चित्त चंचल मेरा चहुँ दिशि धावे,
सुरत शब्द में नहीं ठहराय।।

निरभय होय भरमें संसारा, 
नई कामना नित्त जगाये।।
बिन सतगुरु मेरा कोई नहीं जग में, 
जो यह बेड़ा पार लगाय।।



◆ प्रार्थना 31◆
*Guru sadhan bhajan bada Dena*

गुरु साधन भजन बड़ा देना,
मेरे मन को शांत बना देना।।
मेरी नैया पार लगा देना ।। गुरु साधन.... 

संसारी व्याधा में फंसकर,
मेरा मन व्याकुल रहता है।
बन्धन से मुक्त करा देना ।   
गुरु साधन... मेरे मन को शांत बना देना।।

मैं भवसागर में डूब रहा, 
मैं विषय भोग में भूल रहा।
निज रूप का बोध करा देना। 
गुरु साधन... मेरे मन को शांत बना देना।।

दिन रात तुम्हारा ध्यान रहे, 
जिव्या पर तुम्हारा नाम  रहे।
आनंद सिन्धु में समा लेना।  
गुरु साधन... मेरे मन को शांत बना देना।।

आंखों में तुम्हारी सूरत हो, 
मोहिनी तुम्हारी मूरत हो।
यों अंत समय दर्शन देना। 
गुरु साधन... मेरे मन को शांत बना देना।।

तुम करुणा मय सुख सागर हो, 
दीनन जन के प्रतिपालक हो।
मुझे प्रेम पीयूष पिला देना।

गुरु साधन भजन बड़ा देना।
मेरे मन को शांत बना देना।।



Guru raham najar karna
◆ प्रार्थना 32 ◆
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गुरु रहम नजर करना बच्चो का पालन करना।
बाबा रहम नजर करना बच्चो का पालन करना ।।१।।

जाना तुमने जगत पसारा सब ही झूठ जमाना।
बाबा रहम नजर करना बच्चो का पालन करना ।।२।।

मै अँधा हूँ बन्दा आपका मुझको प्रभु दिखलाना।
मे अंधा हूं बन्दा आपका मुझको चरण दिखलाना।
बाबा रहम नजर करना बच्चो का पालन करना ।।३।।

दास गणु अब क्या बोले थक गई है मेरी रसना।
दास गणु अब क्या बोले थक गई है मेरी रसना।
बाबा रहम नजर करना बच्चो का पालन करना ।।४।।



Guru ka Sahara
◆ प्रार्थना 33 ◆
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गुरु का सहारा मिला गर ना होता,
तो गफलत में सब उम्र यूं ही में खोता।।

तबाही हुई खूब होती हमारी,
क्या सत क्या असत्य जान पाया ना होता ।।

हुई फिक्र होती ना प्रभु के मिलन की,
चला जाता दुनिया से यूं सोता सोता ।।

ना पानी में पाता ना पत्थर में पाता,
जो घट का यह ताला खुलाया ना होता ।।

प्रभु साध हरदम जो खोजे सो पावे,
यह विश्वास मन को भी आया ना होता ।।

ना साथी कोई अंत में साथ देता,
जो साथी ना गुरु को बनाया में होता ।।

हमारे से लाखों यह खानों में पिटते,
मनुज रूप सतगुरु बनाया ना होता ।।




Guruji mere bhav bandhan
◆ प्रार्थना 34 ◆
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गुरु जी मेरे भव बन्धन को तोड़ो-२

काल कैद में बहु दिन बीते,
अब निज पद मन जोड़ो।
गुरु जी मेरे भव बन्धन को तोड़ो।।

मन उत्पात मचावत बहु विधी,
अजहुँ तो यहीं मोड़ो-
गुरु जी मेरे भव बन्धन को तोड़ो।।

सब विधि निर्बल हुआ असहाई,
मैं अबला जानि न छोड़ो।
गुरु जी मेरे भव बन्धन को तोड़ो।।

तन धन सुह्रद सनेही जितने,
पन्थ के कंटक रोड़ो।
गुरु जी मेरे भव बन्धन को तोड़ो।।

सुगम पन्थ से निर्बन्धन करि,
शीश काल गुरु फोड़ो-
गुरु जी मेरे भव बन्धन को तोड़ो।।

तुम्हें छोड़ नहीं और भरोसो,
मैं यह कहत निचोड़ो।
गुरु जी मेरे भव बन्धन को तोड़ो।।

जयगुरुदेव ●
शेष क्रमशः पोस्ट न. 7 में पढ़ें  👇🏽

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Baba jaigurudev ji maharaj


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