7. ★ जयगुरुदेव ★ छोटी कहानी की बड़ी सीख ★
*कर्मों का लेना देना*
गुरु महाराज कहतें हैं कि बेटा बन कर, बेटी बनकर, दामाद बनकर और बहु बनकर कौन आता है ? जिसका तुम्हारे साथ कर्मों का लेना देना होता है। लेना देना नही होगा तो नही आयेगा।
सेठजी ने कहा जो तुम्हारे पास पैसा है वो उतने के उतने ही पड़ा हैं तुम मुझे दे दो मैं कारोबार में लगा दूं तो पैसे से पैसा बढ़ जायेगा, इसलिए तुम दे दो।
फौजी ने सेठजी को पैसा दे दिया। सेठ जी ने कारोबार में लगा दिया। कारोबार उनका चमक गया, खूब कमाई होने लगी, कारोबार बढ़ गया।
तब तक कुछ ही दिन के बाद सेठजी के घर में लड़का पैदा हो गया, अब सेठजी और खुश, कि भगवान की बड़ी दया है। खूब पैसा भी हो गया, कारोबार भी हो गया, लड़का भी हो गया, लेने वाला भी मर गया सेठजी बहुत खुश। तब तक वो लड़का होशियार था पढ़ने में समझदार था । सेठजी ने उसे पढ़ाया लिखाया, जब वह पढ़ लिखकर बड़ा हो गया तो सोचा कि अब ये कारोबार सम्हाल लेगा, चलो अब इसकी शादी कर दें।
अब उसने सोचा कि चलो, बच्चे की शादी हो गई अब कारोबार सम्हालेगा। लेकिन कुछ दिन में बच्चे की तबियत खराब हो गई।
अब सेठ जी डाॅक्टर के पास, हकीम के पास, वैद्य के पास दौड़ रहे हैं। वैद्य जी जो दे रहे हैं दवा खिला रहे हैं, और दवा असर नहीं कर रही, बीमारी बढ़ती ही जा रही। पैसा बरबाद हो रहा है, और बीमारी बढ़ती ही जा रही है, रोग गठ नही रहा, पैसा खूब लग रहा है। अब अन्त में डाॅक्टर ने कह दिया कि ला-इलाज मर्ज हो गया, इसको अब असाध्य रोग हो गया, ये बच्चा दो दिन में मर जायेगा।
सेठजी ने कहा, ये बच्चा जवान था, हमने सोचा बुढ़ापे में मदद करेगा। अब ये बीमार हो गया शादी होते ही। हमने इसके लिये खूब पैसा लगा दिया, जिसने जितना मांगा उतना दिया लेकिन आज डाॅक्टरों ने जवाब दे दिया, अब ये बचेगा नहीं। असाध्य रोग हो गया, लाइलाज मर्ज हो गई। अब ले जाओ घर दो दिन में मर जायेगा।
आदमी ने कहा अरे सेठजी, तुम क्यों दिल छोड़ रहे हो। मेरे पड़ोस में वैद्य जी दवा देते हैं। दो आने की पुड़िया खाकर मुर्दा भी उठकर खड़ा हो जाता है। जल्दी से तुम वैद्य जी की दवा ले आओ।
उन्होनें कहा भाई क्यों रोना धोना। बोले- इस सेठ का एक ही जवान लड़का था वो भी मर गया इसलिए सब लोग रो रहे हैं। सब दुखी हो रहे हैं।
महात्मा बोले- सेठजी रोना क्यों, बोले महाराज जिसका जवान बेटा मर जाये वो रोयेगा नही तो क्या करेगा।
बोले तो आपको क्यों रोना, बोले मेरा बेटा मरा तो और किसको रोना।
कहने लगे हां कारोबार के लिए पैसा मिला था तो खुशी तो थी।
बोले कि और उस दिन तो आपकी खुशी का ठिकाना ही नही था।
बोले कि किस दिन? अरे जिस दिन फौजी मर गया, सोचा कि अब तो पैसा भी नहीं देना पड़ेगा। माल बहुत हो गया, कारोबार खूब चमक गया, अब देना भी नहीं पड़ेगा बहुत खुश थे। बोले हां महाराज! खुश तो था।
बोले और उस दिन तो आपकी खुशी का ठिकाना ही न था, पता नही कितनी मिठाईयां बट गईं। बोले किस दिन? अरे जिस दिन लड़का पैदा हुआ था। बोले महाराज लड़का पैदा होता है तो सब खुश होते हैं मैं भी हो गया तो क्या बात।
तो जब इतनी बार खुश हो गए तो जरा सी बात के लिए रो क्यों रहे हो।
महाराज ये जरा सी बात है। जवान बेटा मर गया ये जरा सी बात है।
महात्मा बोले- यह वही घोड़ी है । जिसने जवानी में उसको धोखा दिया इसने भी जवानी में उसको धोखा दे दिया।
जब तुम्हारे साथ कर्मो का लेन देन है, कर्मो का लेन देन पूरा हुआ चला गया रोना किसलिए।
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2 टिप्पणियाँ
Inspiring
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