*Prarthnayen | प्रार्थनायें* (post no.10)
परम् पूज्य स्वामी जी महाराज व महाराज जी का आदेश...
*प्रार्थना रोज होनी चाहिए एवं २-३ प्रार्थना -*
*सभी प्रेमियो को याद होनी चाहिए।*
Lagao meri naiya satguru par.
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मे वही जात जग धार।
लगाओ मेरी नईया सतगुरु पार ।।१।।
लगाओ डूबी खेप किनार।
लगाओ मेरी नईया सतगुरु पार ।।२।।
दिखाऊँ जग का वार और पार।
लगाओ मेरी नईया सतगुरु पार ।।३।।
शब्द संग खेय उतारूँ पार।
लगाओ मेरी नईया सतगुरु पार ।।४।।
नाम धुन घट मे सुन झनकार।
लगाओ मेरी नईया सतगुरु पार ।।५।।
भंवर जहाँ पड़ते बहुत अपार।
लगाओ मेरी नईया सतगुरु पार ।।६।।
सतगुरु दीन्हा पार उतार।
लगाओ मेरी नईया सतगुरु पार ।।७।।
Likhne vale tu Hoke
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मेरे ह्रदय बिच सतगुरु का प्यार लिख दे।।
मेरे नेनो में गुरु का दीदार लिख दे।
मेरे ह्रदय बिच सतगुरु का प्यार लिख दे।।
कानों में शब्द झनकार लिख दे।
मेरे ह्रदय बिच सतगुरु का प्यार लिख दे।।
तन मन धन उन पर वार लिख दे।
मेरे ह्रदय बिच सतगुरु का प्यार लिख दे।।
चाहे तू सारा संसार लिख दे।
मेरे ह्रदय बिच सतगुरु का प्यार लिख दे।।
मेरे ह्रदय बिच सतगुरु का प्यार लिख दे।।
Man re kyon guman ab
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मन रे क्यों गुमान अब करना ।।
मन रे क्यों गुमान अब करना ।।
मन रे क्यों गुमान अब करना ।।
मन रे क्यों गुमान अब करना ।।
मन रे क्यों गुमान अब करना ।।
मन रे क्यों गुमान अब करना ।।
मन रे क्यों गुमान अब करना ।।
मन रे क्यों गुमान अब करना ।।
मन रे क्यों गुमान अब करना ।।
Man tu bhajo guru ka nam
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मत करना अभिमान,
जाय बसे शमशान,
इससे कर कछु काम,
संग ना जाये छदाम,
आये किया विश्राम,
अन्त ना आवें काम,
भजन करो आठो याम,
पावेगा आराम,
चलो त्रिकुटी धाम,
मिले पुरुष सतनाम,
Keso khel racho
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कैसी भूल जगत में डारी,
बालक होकर रोवन लागो,
होय मगन मस्ती में डोले,
होय झगड़ालू झगड़त लाग्यो,
चोरी करे जब बाजे चौरटो,
कहत कबीर सुनो भाई साधु,
Bhakti dan guru dijiye
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देवन के देवा हो।
करिहौ पद सेवा हो।।
सुन्दर वर नारी हो।
गुरु आन तुम्हारी हो।।
साहब सुन लीजौ हो।
अपना कर लीजै हो।।
Me to aaya sharan
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सतगुरु प्यारे। मेरी नैया है तेरे सहारे।।
ध्यान में तेरी सूरत बसी है।
मेरी धीर बंधाओ, मन की प्यास बुझाओ,
सतगुरु प्यारे। होके व्याकुल तुम्ही को पुकारें।।
फन्द काटे नहीं कट रहे हैं।
माया वरन सताये मन काबू न आये।
सतगुरु प्यारे। काटो संसारी बन्धन हमारे।।
हाल जिससे कहूं अपना जाकर।
सब ही स्वारथ दिखायें सारे रिश्ते सताएं।
सतगुरु प्यारे। पाप कर्मों से मुझको बचा रे।।
शब्द से अब सुरत को मिला दो।
निज धाम लखाना, मुझको मुक्ति दिलाना।
सतगुरु प्यारे। होके व्याकुल तुम्ही को पुकारें।।
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Baba Jaigurudev ji Maharaj |
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Jaigurudev