● *जयगुरुदेव प्रार्थनाएं* ● (post no.4)

*प्रार्थना 18*
 *Aao aao mere man ke vasi*
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आओ आओ मेरे मन के वासी,
तेरे बिन छाई मन में उदासी।।

रैन निंदिया न दिन चैन पाऊं,
नीर नैनों से निस दिन बहाऊं।
मीन सागर में हो जैसे प्यासी।
तेरे बिन छाई मन में उदासी।।

नाम तेरा गुरुदेव जी गाऊं,
दिल के दुखड़े तुम्हीं को सुनाऊं।
मन के अंदर आ जाओ प्रकाशी।
तेरे बिन छाई मन में उदासी।।

विरह अग्नि में अब न जलाओ,
प्यारी प्यारी सुरतिया दिखाओ।
काहे डाली गले प्रेम फांसी,
तेरे बिन छाई मन में उदासी।।

नाम बहिया किनारे लगाओ,
नाथ चरणों की दासी बनाओ।
मत कराओ जगत बीच हांसी,
तेरे बिन छाई मन में उदासी।।

जय गुरु देव


*प्रार्थना 19*
*Guru jivan ki ye niya*
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गुरु जीवन की ये नैया किनारे से लगा देना,
मुझे संसार सागर की तरंगों से बचा लेना ||

यहाँ मद लोभ कामादिक मगर मुँह खोल बैठे हैं,
कृपा कर इनके पंजों से गुरु मुझको बचा लेना ||

चली अज्ञान की आंधी नही कुछ सूझता मुझको,
भटकता हूँ अंधेरे में परम् ज्योति दिखा देना ||

यहां कोई नहीं ऐसा जिसे रोकर पुकारूँ मैं,
तुम्ही हो नाथ एक मेरे तुम्ही मेरी खबर लेना ||

जगत के प्यार मैं मैने सदा ठोकर ही खाई है,
यहां कोई नहीं अपना मुझे चरणों में रख लेना ||



*प्रार्थना 20*
*Guru ka Sahara*
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गुरु का सहारा मिला गर ना होता,
तो गफलत में सब उम्र यूं ही में खोता।।
तबाही हुई खूब होती हमारी,
क्या सत क्या असत्य जान पाया ना होता ।।

हुई फिक्र होती ना प्रभु के मिलन की,
चला जाता दुनिया से यूं सोता सोता ।।
ना पानी में पाता ना पत्थर में पाता,
जो घट का यह ताला खुलाया ना होता ।।

प्रभु साध हरदम जो खोजे सो पावे,
यह विश्वास मन को भी आया ना होता ।।

ना साथी कोई अंत में साथ देता,
जो साथी ना गुरु को बनाया में होता ।।
हमारे से लाखों यह खानों में पिटते,
मनुज रूप सतगुरु बनाया ना होता ।।



*प्रार्थना 21*
*Gurudev daya itni kar do*
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गुरुदेव दया इतनी कर दो,
हम को भी तुम्हारा प्यार मिले।
कुछ और भले ही मिले न मिले,
गुरु दर्शन का अधिकार मिले।।

इस जीवन में जीना मुश्किल,
यह जीवन भी क्या जीवन है।
जीवन तब जीवन बनता है,
जब जीवन का आधार मिले।।

इस मारग पर चलते चलते,
सदियां ही नही युग बीत गए।
मिल जाये पथिक मारग असली,
हमको मुक्ति दातार मिले।।
कुछ और भले ही मिले न मिले,
गुरु दर्शन का अधिकार मिले।।

हम जनम जनम के प्यासे हैं,
गुरु तुम करुणा के सागर हो।
करुणा निधि के करुणा रस की,
इक बूंद हमे इस बार मिले।।
कुछ और भले ही मिले न मिले,
गुरु दर्शन का अधिकार मिले।।

सब कुछ पाया इस जीवन में,
बस एक तमन्ना बाकी है।
हर प्रेम पुजारी को अपने,
मन मन्दिर में दातार मिले।।

कब से गुरु दर्शन पाने को,
हम आस लगाये बैठे हैं।
पल दो पल भीतर आने की,
अनुमति अनुपम सरकार मिले।।
कुछ और भले ही मिले न मिले,
गुरु दर्शन का अधिकार मिले।।

जिसने जो कुछ तुमसे माँगा,
उसने है वही तुमसे पाया।
दुनिया को मिले दुनिया लेकिन,
हमको तो तेरा दरबार मिले।।
कुछ और भले ही मिले न मिले,
गुरु दर्शन का अधिकार मिले।।


*प्रार्थना 22*
*Guru Mile agam k vasi*
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गुरु मिले अगम के वासी ।
सतगुरु मिले अगम के वासी।
स्वामी मिले अगम के वासी ।।

जन्म जन्म के भरम मिटाए,
छूट गई जम फांसी ।
सतगुरु मिले अगम के वासी।।

कर सत्संग सार रस पाया,
काट दई चौरासी।
सतगुरु मिले अगम के वासी।।

दया करी सुरत चढ़ी गगन पर, 
पाया पद अविनाशी ।
सतगुरु मिले अगम के वासी।।

अमरलोक में वासा कीन्हा,
नित खेलूं पिव पासी।
सतगुरु मिले  अगम के वासी।।

अलख अगम के पार सिधारी, 
राधास्वामी धाम निवासी।
सतगुरु मिले  अगम के वासी।।

दयाल निहाल करो गुरु मेरे,
मैं उनकी निज दासी।
सतगुरु मिले अगम के वासी।।



*प्रार्थना 23*
*Guru mohi apna rup dikhao*
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गुरु मोहि अपना रूप दिखाओ..२
यह तो रूप धरा तुम सर्गुण, जीव उबार कराओ।
रूप तुम्हारा अगम अपारा, सोई अब दरसाओ।
देखूं रूप मगन होय बैठूं, अभय दान दिलवाओ।
यह भी रूप पियारा मोको, इसही से उसको समझाओ।
बिन इस रूप काज नही होई, क्यों कर वाही लखाओ।
ताते महिमा भारी इसकी, पर वह भी लखवाओ।
वह तो रूप सदा तुम धारो, या ते जीव जगाओ।
यह भी भेद सुना मै तुमसे, सुरत शब्द मारग नित गाओ।
शब्द रूप जो रूप तुम्हारा, वा मे अब भी सुरत पठाओ।
डरता रहूँ मौत और दुःख से, निर्भय कर अब मोहि छुड़ाओ।
गुरु मोहि अपना रूप दिखाओ......

शेष क्रमशः पोस्ट न. 5 में पढ़ें  👇🏽

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जयगुरुदेव ●

Baba jaigurudev ji maharj

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1 टिप्पणियाँ

  1. आपकी पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी, एवं ऐसी पोस्ट को पब्लिश करना बहुत जरूरी है लोगों के लिए यह बहुत ही हेल्प करेगी। ऐसे लेखक को बहुत-बहुत धन्यवाद Very good informationJai Guru Dev

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Jaigurudev