जयगुरुदेव
04.10.2024
प्रेस नोट
सांवेर (इंदौर)
*इधर-उधर भटकने से देवी-देवता नहीं मिलेंगे, आपके अंदर हैं, खोजो और पाओ -सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज*
*देखा-देखी में मत पड़ो, असली चीज को समझो, नकली चीज काम आने वाली नहीं*
बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष पूरे समरथ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 2 अक्टूबर 2024 इंदौर में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि अनाज, फल-फूल से पेट को दबा के भरना उपवास नहीं है। उपवास इसलिए किया जाता है ताकि अंदर की मशीन आंतडियां साफ हो जाए।
नींबू खारा होता है। नींबू को पानी में डाल के पिया जाए तो पेट साफ होता है लेकिन बादाम, काजू का भाव-खपत बढ़ जायेगा। घी चाहे मिलावटी ही क्यों न हो, लेकिन लायेंगे, हलवा बनाएंगे, सिंघाड़े का आटा लायेंगे, पूड़ी बनाएंगे खाएंगे, पेट और खराब करेंगे। नवरात्रि के बाद डॉक्टर के यहां लंबी लाइन लगेगी। कोई कहेगा डिसेंट्री है, कोई कोलेरा, कोई कुछ, कोई कुछ।
*देखा-देखी में मत पड़ो, असली चीज को समझो, नकली चीज काम आने वाली नहीं*
देखो, लोग नाचते-गाते हैं, कहते हैं कि बम बम बम बोलकर शंकर जी की बूटी भांग खाएंगे तब आवाज सुरीली निकलेगी, दारू पीके रात भर नाचेंगे तो देवी खुश हो जाएंगी। देवी इससे खुश नहीं होती है। गंजेड़ी भंगेड़ीयों ने शंकर जी को बदनाम कर दिया। वो तो अलग, प्रभु की याद की मस्ती में रहते हैं, नाम के रंग में रंगने की कोशिश करते हैं, तो न समझ पाओ, बताया जाए तो भी न अपनाओ, आप सतसंगी हो, देखा-देखी में पड़ जाते हो।
देखा-देखी में मत पड़ना नहीं तो यही पूजा, दंडवत, कथा दु:खदाई हो जाता है। न जानकारी में यह क्या फल देगा? करते चले जाते हो, फायदे के बजाय नुकसान हो जाता है। असली चीज को छोड़कर के नकली चीज में पड़ जाते हो। नकली चीज कभी काम आने वाली नहीं होती।
*नकली चीजों का त्याग करें,असली चीज को खोजें*
इतना जप तप अनुष्ठान नवरात्र का व्रत करते हुए भी आदमी को बरकत, सुख-शांति नहीं मिल रहा। आदमी परेशान है। समझो, आपको इधर-उधर कहीं भी भटकने की जरूरत नहीं है - यही घट भीतर सात समंदर, यही में मलमल नहाओ। मन मेरा विदेशवा न जाओ, घर ही है चाकरी।।
कबीर साहब ने कहा- संध्या तर्पण न करू, गंगा कबहूँ न नहाऊ। हरि हीरा अंतर बसे, वाही नीचे छांव।। वह हरि, प्रभु हीरा जो हमारे अंदर है, वह एक मणि अंदर में जल रही है, यदि वह मिल जाए तो उजाला ही उजाला है, जिसके लिए गोस्वामी जी ने कहा- राम नाम मणि दीप धर, जेहि देहरी द्वार। स्वामी भीतर बाहर जो चाहे सो उजियार।। वह अगर एक जगह जल जाए तब अंदर और बाहर उजाला ही उजाला है।
*अंदर बाहर उजाला किसको कहते हैं*
जैसे घर में देहरी या ऊंची जगह पर चिराग जला दो तो अंदर-बाहर रोशनी रहेगी। ऐसे ही जहां पर जीवात्मा बैठी है, यहां अगर प्रकाश हो जाए, जब वह जल जाएगा तो आंख बंद करोगे तो भी उजाला दिखेगा। अंदर में तो उजाला है ही- परम प्रकाश रूप दिन राती। नहीं कछु चाहिए दिया घृत बाती।। वहां तो दिया-चिराग की कोई जरूरत नहीं है।
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