*ऐसी योजना बनाओ कि इस वक्त का जान बचाने वाला भगवान का नाम जयगुरुदेव पूरे विश्व में लोगों के कान तक पहुंच जाए*

जयगुरुदेव

11.10.2023
प्रेस नोट
बावल (हरियाणा)

*ऐसी योजना बनाओ कि इस वक्त का जान बचाने वाला भगवान का नाम जयगुरुदेव पूरे विश्व में लोगों के कान तक पहुंच जाए*

*एक समय ऐसा आएगा कि जयगुरुदेव नाम से ही पूरे विश्व को शांति मिलेगी*

वक़्त के सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 3 फरवरी 2021 सांय भरूच (गुजरात) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 

गुरु महाराज के जगाये हुए नाम जयगुरुदेव में पूरी शक्ति उस प्रभु की भरी हुई है। आज आपको बताया जा रहा है कि एक समय ऐसा आएगा कि जयगुरुदेव नाम से ही पूरे विश्व को शांति मिलेगी। आपको ये नही मालूम है कितना बड़ा परिवर्तन होगा। होने को तो बहुत जल्दी हो जाए, चुटकी बजाने में हो जाए लेकिन मरेंगे बहुत। 

अभी तो बचाया जा रहा है। आप जितने भी धार्मिक हो, आप लोगों को बचाओ, उन्हें शाकाहारी, नशा मुक्त, धार्मिक बनाओ। सत्य, अहिंसा, सेवा, परोपकार रूपी धर्म को धारण कराओ। थोड़ी-थोड़ी देर सभी लोग अपने-अपने तरीके से उस प्रभु को याद करने लग जाएं क्योंकि लोगों ने प्रभु को, भगवान को ही याद करना बंद कर दिया। खाने-पीने, ऐश-आराम के चक्कर में भूल गए, इसी की नकल करने लग गए। पहले के समय में लोग अच्छी चीजों की नकल करते थे। साधक, साधक की नकल करता था कि वो आठ घंटा बैठते हैं तो हम छः ही घंटा बैठे, दस घंटा बैठे। वो सब भूलते चले जा रहे हैं।


*अभी थोड़ा समय है, बचने और बचाने का*

थोड़ा समय अभी है। शुरुआत तो ही गई है। युद्ध का धुआं तो दिखाई पड़ने लग गया, बहुत से लोग मरने लग गए। गुरु महाराज भविष्यवाणी करके गए थे तो बहुत सी भविष्यवाणियां तो कम हो गई। कम कर देते हैं महात्मा, महापुरुष बाद में कम कर देते हैं। गुरु महाराज ने बहुत सी भविष्यवाणियों को कम कर दिया। लेकिन थोड़ी बहुत तो रहेगी ही। जब नहीं मानेंगे तब क्या होगा? "लक्ष्मण बाण सराहो, भय बिन होय न प्रीत" समुद्र नहीं मान रहा था तब राम ने कहा लक्ष्मण! तुम्हारा बाण उठाओ। 

अब ये समुद्र ऐसे नहीं मानेगा। एक बाण छोड़ो, सब कुछ सूख जाए, इसमें पानी ही न रह जाए। अब "ताल सून बिन नीर प्यारे गुरु बिना, है सूना मनुष्य शरीर प्यारे गुरु बिना।" ताल, नदी, समुद्र की शोभा तब रहती है जब उसमें पानी रहता है। सूखी नदी कोई देखने जाता है? लेकिन नदी में जब खूब पानी आता है तब लोग देखने जाते हैं, समुद्र देखने जाते हैं जब उसमें पानी रहता है। तब समुद्र घबराया। देखो तमाम इतिहास भरे पड़े हैं। अब कोई पढ़ता, सुनता है? अब तो मोबाइल से, निंदा बुराई चुगली से ही फुर्सत नहीं है। अब तो, आज क्या बनाया दीदी आपने, कलौंजी बनाया, परांठा बनाया या खीर बनाया, आज तो मैंने यह किया, आज तो मैंने यह पिक्चर में देखा, आज तो मैंने यह सीखा, यही सब होता है। तो सोचो वो समय था। कभी ऐसा हुआ था और अब ऐसा फिर होगा।


*दूसरों को खत्म करने के लिए हथियार मत बनाओ*

परिवर्तन होता है तब मरते बहुत हैं। त्रेता गया तब बहुत मरे। द्वापर गया तब बहुत मरे। कलयुग में ही कलयुग जाने, कलयुग में ही सतयुग आने की बात मिलती है, तो मरेंगे बहुत। धुआं तो दिखाई पड़ने लगा है। अब जहां धुआं उठता है तहां आग जलती है। धुआं थोड़ी सी हवा माफिक पा गया, बस उसमें आग जलने लग जाती है। तो समझो ये जो हथियार बना रहे हैं, किसके लिए? दूसरों को खत्म करने के लिए। वो यह नहीं सोच रहे हैं कि लकड़ी काटने के लिए बनाई यही कुल्हाड़ी अगर फिसल गई तो हमारे ही बदन में, पैर में लगेगी। इसलिए होशियारी रखनी चाहिए। हम ये नहीं कहते हैं कि रक्षा के लिए हथियार न रखो लेकिन दूसरे पर हमला तो न करो। अरे भाई जब आपके सामने कोई बात आवे, ऐसा कोई जानवर आ जाए, कोई कुत्ता आ जाए, तब उसको लाठी दिखा दो। लाठी, छड़ी लेकर चलो लेकिन उससे दूसरे को मारो, काटो, सताओ तो नहीं। 


*विनाश के बन रहे कारण में मुसीबत के समय जयगुरुदेव नाम होगा मददगार*

तो प्रेमियों ये सब विनाश के कारण बन रहे हैं। लेकिन उस समय पर, हर मुसीबत में जो ये मददगार जयगुरुदेव नाम जो भी बोलेगा, कुछ न कुछ उसकी मदद तो जयगुरुदेव नाम करेगा ही करेगा। इसलिए ऐसी व्यापक योजना आपकी बननी चाहिए कि पूरे विश्व के लोगों के कान तक जयगुरुदेव नाम पहुंच जाए। ये भगवान का नाम है, जान बचाने वाला नाम है, सुख शांति देने वाला नाम है।



 अपने असला काम को प्राथमिकता से करने की शिक्षा देने वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज 

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