जयगुरुदेव
24.02.2023
प्रेस नोट
जोधपुर (राजस्थान)
*पूरे सन्त कहते कम हैं, दिखाते ज्यादा है, उनकी बातें गंगा जल की तरह होती हैं*
*बुद्ध सन्त नहीं थे, बल्कि अवतारी शक्ति थे*
*सन्त महापुरुषों ने मांस कभी नहीं खाया*
अपने सतसंग की गंगा में सबको सराबोर करने वाले, भक्तों के कर्मों की धुलाई करने वाले, बाहरी गुणों के साथ-साथ अंदर की शुद्धता लाने वाले, कहने से ज्यादा दिखाने वाले, अनुभव कराने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 1 सितम्बर 2021 सांय जोधपुर आश्रम (राजस्थान) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में अंगुलिमाल वाले प्रसंग सुनाते हुए बताया कि बुद्ध सन्त नहीं थे बल्कि अवतार हुए हैं। अवतरित शक्तियां सुधार का ही काम करती हैं। लोगों के खान-पान, चाल-चलन को ही सही करती है। शरीर के आराम के लिए ही यह शक्तियां आती है। उनकी सीमा यहीं तक रहती है लेकिन आदमी से बढ़कर के वे काम करते हैं इसीलिए लोग उनको भगवान कहने लगते हैं। उस समय पर पूज्य होते हैं। बाद में उनकी फोटो की, मूर्ति की पूजा होने लगती है, लोग (उनकी याद में) स्थान बना लेते हैं।
*सन्तों की बातें गंगा जल की तरह होती है*
सन्तों की बात गंगा जल की तरह होती हैं, खराब होने वाली नहीं होती है। गुरु महाराज (बाबा जयगुरुदेव) के सतसंग को आपको पढ़ते, सुनते रहना चाहिए। जब सतसंग के वचनों की चोट मन के ऊपर पड़ती है तब यह मन दुनिया की तरफ से हटता है और गुरु के प्रति प्रेम पैदा करता है। देवी-देवता जिनसे कुछ मिल सकता है, उनकी तरफ प्रेम पैदा करता है। उनकी पूजा-उपासना कैसे की जाए, कैसे उनको खुश किया जाए ताकि वो भौतिक शरीर के लिए कुछ दे दें, यह कैसे पता चलता है? सन्तों की बातों को अमल करने से, सुनने से और समझने से। कहा भी गया है- सतसंग जल जब कोई पावे, मैलाई सब कट कट जावे।
*पूरे सन्त कहते कम हैं, दिखाते ज्यादा है*
महाराज जी ने 29 मार्च 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि पूरे सन्त कहते कम हैं, करा करके दिखाने वाले ज्यादा होते हैं। अब इच्छा पैदा करना भी जरूरी होता है। यदि प्रभु के पाने की, देवी-देवताओं के इसी मनुष्य शरीर में दर्शन करने की इच्छा नहीं पैदा होगी तो कितना भी देर आदमी को भजन पर बैठाओ डंडा लिए, भजन पर बैठा रहे, उससे कुछ होने वाला नहीं है। और अगर तड़प पैदा हो गई, आदमी की इच्छा अगर जग गई, ज्ञान अगर हो गया कि यह मनुष्य शरीर कुछ समय के लिए भगवान की प्राप्ति के लिए ही मिला है। और हम जो दुनिया का काम करने लगे हुए, फंसे हुए हैं, इस तरह से फंसने के लिए नहीं मिला। दुनिया का काम करने के लिए तो शरीर मिला है, उतना ही करो जितना खा करके, पहन करके, इस शरीर को आराम दे करके फिर भजन कर लिया जाए। और जब आदमी को जानकारी हो जाती है तब वो इसमें फंसता नहीं है।
*सन्त महापुरुषों ने मांस कभी नहीं खाया*
महाराज जी ने 3 फरवरी 2021 सायं भरूच गुजरात में बताया कि सन्तमत में कहीं मांस और शराब का नाम ही नहीं हैं। जितने भी सन्त आये, किसी ने भी मांस नहीं खाया। महापुरुषों ने भी मांस नहीं खाया। लेकिन अपने मन से लोगों ने उसी में तमाम शाखाएं बना ली, तमाम गद्दीयां जगह-जगह पर मठ मंदिर बना लिया। वक़्त के सन्त सतुगुरु से ही जीवात्मा का निज घर जाने का असला काम होगा।
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Jaigurudev Anmol vachan |
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