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जयगुरुदेव प्रार्थना 212.
Guru bhavsar tar jau ki naiya meri paar karo
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गुरु भवसागर तर जाऊं कि नैया मेरी पार करो||
मेरे बस में है मन नहीं आता,
तेरी भक्ति में विघ्न मचाता।
ऐसा कर दो जतन जिससे हो न पतन,
मैं सो न जाऊं। नैया मेरी पार करो||
जब मैं बैठूं भजन ध्यान करने
लगती बहुत गुनावन उठने।
अन्तर कर दो सफाई आँख कान खुल जाई।
मैं आनंद पाऊं। नैया मेरी पार करो||
मेरी कर दो गुरु ऐसी बुद्धि
जिससे होती रहे मेरी शुद्धि।
पापों से मैं बचूं नाम तेरा जपूँ।
तुम्हें निहारूँ। नैया मेरी पार करो||
पांच दुश्मन का मैं हूं सताया,
इनका तुम ही करोगे सफाया।।
स्वामी इनसे बचाओ, मुझको मुक्ति दिलाओ।
मैं निज घर पाऊं। नैया मेरी पार करो||
अपने चरणों में रखना लगाए,
आप ही मेरे और सब पराये।
राह के रोड़े हटा दो, भाव भक्ति बना दो।
मैं कुछ न जानूं। नैया मेरी पार करो||
स्वामी दे दो मुझे इतनी शक्ति,
जिससे होती रहे गुरु भक्ति।
आज्ञा सिर धरूं, तेरे रंग में रंगू
गीत गाऊं। नैया मेरी पार करो||
जयगुरुदेव प्रार्थना 213.
Charno me baba tere
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चरणों में बाबा तेरे रहे मन मेरा,
शाम सबेरे करूं सुमिरन तेरा।।
तुमने ही बाबा मेरी जिंदगी संवारी है,
फंसी मझधार में जब नैया हमारी है।
तेरी ही दुआ से खिला आंगन मेरा,
शाम सबेरे करूं सुमिरन तेरा।।
ऐसे पाई कृपा जैसे तरुवर की छाया है,
रोग शोक मिटे हुई कंचन काया है।
फूलों से भर दिया दामन मेरा,
शाम सबेरे करूं सुमिरन तेरा।।
बाबा तुमने हमको बड़े नाजों से पाला है,
गम के अंधेरो में भी तुमसे उजाला है।
घर में लगाओ मेरे पावन फेरा,
शाम सबेरे करूं सुमिरन तेरा।।
मन को लुभाये झूठी जग की ये माया है,
गुरु के ज्ञान से ही जीवन बच पाया है।
गुरु चरणों में बीते जीवन मेरा।।
शाम सबेरे करूं सुमिरन तेरा।।
अंखियों को मिले हरि दर्शन तेरा,
चरणों में बीते अब जीवन मेरा।।
जयगुरुदेव प्रार्थना 214.
Dayagar tumse dya mangte hn
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दयागार तुमसे दया मांगते हैं
खता के लिए हम क्षमा चाहते हैं
मैं हूं अधम अपराधी यहां पर
छोड़ो ना मुझको यहां पर डूबा कर
किए पाप जो हैं क्षमा चाहते हैं
अपने गुनाहों की क्षमा चाहते हैं
दयागार तुमसे दया मांगते हैं....
गया जो शरण में कभी ना हटाते
यही व्रत जगत में सदा से निभाते
करें व्रत का पालन यही चाहते हैं
जो गलती हुई है स्वामी क्षमा चाहते हैं
दयागार तुमसे दया मांगते हैं....
डूबा जो कोई देते उसको सहारा
चरण ही बने तेरे मेरा सहारा
यही बात मन की सदा मांगते हैं
अपने दुखों की दवा चाहते हैं
दयागार तुमसे दया मांगते हैं....
जयगुरुदेव प्रार्थना 215.
Hamare Swami se antaryami se
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हमारे स्वामी से अन्तर्यामी से जल्दी मिला दो गुरुदेव
जब से जग में आया हूं मैं दुख ही दुख उठाया
काल करम ने हमें फसाया चैन कहीं ना पाया
प्रभु अनामी से अन्तर्यामी से जल्दी मिला दो गुरुदेव
हमारे स्वामी से ____
ये नर तन मुस्किल से पाया घेर रही है माया
लख चौरासी योनि भोगा सुखि कभी न पाया
प्रभु अनामी से बीन धुन वाणी से जल्दी मिला दो गुरुदेव
हमारे स्वामी से ___
मात पिता और कुटुंब कबिला अपना कौन बता दो
मन को रोको मेरे गुरुवर निज नैना खुलवा दो
अलख अनामी से अन्तर्यामी से जल्दी मिला दो गुरुदेव
हमारे स्वामी से ____
एक लगन तुमसे मांगू चरनन शीश झुकाऊ
नाम जपूं गुरुवर मैं तेरा सतलोक को जाऊं
अगम अनामी से अन्तर्यामी से जल्दी मिला दो गुरुदेव।
हमारे स्वामी से अन्तर्यामी से जल्दी मिला दो गुरुदेव
प्रभु अनामी से बीन धुन वाणी से जल्दी मिला दो गुरुदेव
जल्दी मिला दो गुरुदेव।
जयगुरुदेव |
शेष क्रमशः पोस्ट न. 37 में पढ़ें
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Jaigurudev |
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