जयगुरुदेव
◆● महाराज जी के अनमोल वचन ●◆
◆ जो जीवों पर दया करेगा, ईश्वर उसकी मदद करेगा।
◆ तीसरा नेत्र सबके पास है सच्चे संत सतगुरु की दया हो जाने पर खुल जाता है।
◆ साधक को गुरु के वचन पर कुर्बान होना चाहिए।
◆ शराब एक हजार बुराईयों की जड़ है अपराध और भ्रष्टाचार की जननी है, इसे आज ही छोड़ दीजिए।
◆ समर्थ गुरु कामिल मुर्शिद की तलाश करके रूहानी इबादत करो।
◆ अहंकार न करें यह विनाश का कारण बना देता है।
◆ पाप से बचो पाप समुद्र में भी नहीं समाता है।
◆ अहंकार क्रोध छल कपट दम्भ पाखण्ड से दूर रहने वाले को ही मालिक मिल सकता है।
◆ तीसरे तिल में आत्मा का साक्षात्कार होता है।
◆ बच्चों चरित्रवान रहकर मेहनत से पढ़ाई करो माता पिता की सेवा करो और बड़ों का सम्मान करो।
◆ बच्चों शाकाहारी रहो मांसाहार और नशे से दूर रहो।
◆ आगे ऐसा खराब समय आ रहा है कि नास्तिक व्यक्ति को भी खुदा भगवान एक मिनट में याद आ जायेगा।
◆ मन को सही करने का तरीका केवल सन्तों के पास होता है।
◆ महात्माओं के दरबार में जाति पाति ऊंच नीच का कोई भेद भाव नहीं होता है।
◆ जीवन का मूल सिद्धान्त तो सेवा और सत्य शब्द को पाने का है।
◆ अपने देवी देवता गुरु को सम्मान दिलाने के लिए दूसरों के पीर पैगम्बर एवं आराध्य की निंदा मत करो।
◆ परमात्मा का दर्शन मनुष्य शरीर में ही होता है।
◆ जल बचाओ, पेड़ बचाओ मां बहिनों की लाज बचाओ। मतभेद दूर कर देश बचाओ।
◆ मन मुखता से ही गुरु में दोष दिखाई देता है, और अभाव आता है।
◆ भगवान के बनाये मनुष्य शरीर रूपी मन्दिर मस्जिद को बचायें वर्ना सच्ची पूजा इबादत नहीं हो पायेगी।
◆ बिना अनुभव किए शाब्दिक ज्ञान अंधा है।
◆ क्रोध को पी जाओ क्रोध आवे तो चुपचाप बैठकर आंख बन्द करके मालिक को याद करने लग जाओ।
◆ गुरु भवसागर के बीच में खड़े खम्भे की तरह होते हैं जिसको पकड़ लेने से डूबने का भय खत्म हो जाता है।
◆ जीवन खत्म होते ही सब खत्म फिर दुनिया का कोई ज्ञान काम नहीं आयेगा।
◆ मन मनुष्य का राजा बन गया, जैसा वो कहता है उसी तरह से शरीर के अंग काम करने लगते हैं। मन को वश में करने का चीमटा संतों के पास में होता है।
◆ बच्चों को पाप से बचाने व नेक बनाने की जिम्मेदारी उनके माता पिता की होती है।
◆ छोटे बच्चे जो पाप करते हैं उसकी सजा माता पिता को मिलती है।
◆ जो जानवरों को मारता है पकाता है परोसता है खिलाता है और खाता है सबको बराबर पाप लगता है।
◆ पाप से बचो और भूल कर भी मांस मछली अण्डे का सेवन मत करो।
◆ सेवा से इंसान इंसान के दिल को जीत लेता है सेवा से मालिक भी रीझता है। सेवा करनी चाहिए।
◆ गुरु की वाणी में अपार शक्ति भरी हुई है।
◆ आत्मधन के बराबर कोई भी धन नहीं है। इसी धन से अर्थ धर्म काम मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।
◆ पांचों देवता आपके कर्मों से नाराज होकर विनाश के लिए तैयार खड़े हैं।
◆ ये मानव मन्दिर है इसी में वह मालिक मिलता है।
◆ अब ऐसा समय आ गया है कि आप सब लोग शाकाहारी चरित्रवान नशे से मुक्त देश प्रेमी बन जाओ।
◆ कुदरती कहर से बचत खोजो नही तो अस्तित्व ही मिट जायेगा।
◆ बाबा जी का यह उददेश्य कष्ट मुक्त हो देश विदेश।
◆ प्रेमी से प्रेमी मिलते हैं तो गुरु भक्ति दृढ़ होती है।
◆ मुसीबत के समय इम्तिहान ले लो। जयगुरुदेव नाम खुदा भगवान का ही है।
◆ विश्व बनें धर्मात्मा पापों का हो खात्मा।
◆ गुरु के वचन याद रखना आदेश का पालन करना मिशन की पूर्ति में सहयोग करना ही गुरु भक्ति है।
◆ किसी की भी निदा मत करो निन्दा करने से पाप का बोझ आता है।
◆ बहुत खराब समय आ रहा है बचत का रास्ता ले लीजिए।
◆ अन्दर की आंख व कान खुल जाने पर खुदा भगवान गाॅड एक ही दिखेंगे। एक ही जैसे आवाज सुनाई पड़ेगी।
◆ गुरु चैतन्य पुरुष होते हैं वे मोह निशा में नहीं सोते।
◆ होशियार हो जाओ। थोड़ी सी ना समझी विश्व युद्ध का कारण बन सकती है।
◆ विश्व युद्ध को टालने के लिए जिम्मेदार समय से विचार विमर्श कर लें।
◆ अपने विरोधी को सदा प्रेम व्यवहार से जीतो।
◆ मानव मन्दिर के ढहने से जान वापस नहीं आ सकती मन्दिर मस्जिद गुरु द्वारा तो फिर भी बन जाता है।
◆ कर्म करने का अधिकार केवल मनुष्य शरीर में हैं।
◆ गुरुमुख गुरु के हर आज्ञा का पालन करना अपना सौभाग्य समझता है।
◆ तकलीफों को दूर करने वाले महात्माओं के पास जाना चाहिए।
◆ देश की सम्पत्ति आपकी अपनी है इसको नष्ट करने का कोई कार्य मत करो।
◆ अन्तर में अमियरस मिल जाने पर निभ्या जिभ्या का स्वाद तीखी मिर्ची की तरह लगता है।
◆ ब्रहमचर्य से शरीर में ताकत और स्फूर्ति रहती है।
◆ परमात्मा और पूरे सन्त सतगुरु में कोई अन्तर नहीं है।
◆ मनुष्य भी चेतन मालिक भी चेतन, चेतन शरीर से चेतन की पूजा करेंगे तभी वह कुछ देगा।
◆ समरथ गुरु को खोजकर अपने शरीर के अन्दर स्नान तीर्थ और व्रत का फल प्राप्त किया जा सकता है।
◆ आप जीवन में सब जगह धोखा खा सकते हैं पर गुरु चरणों में नहीं।
◆ देश धर्म व दूसरों के हित में अपने हितों को त्यागना बलिदान कहलाता है।
◆ जीव हत्या आत्म हत्या महा पाप है।
◆ अच्छे आदमियों की जरूरत देश में सब लोगों को है। बुरे कर्माैं से बचाव रखो।
◆ अच्छे काम में लगे रहो और लोगों को लगाते भी रहो।
◆ हड़ताल तोड़फोड़ आन्दोलन धरना प्रदर्शन आगजनी यह किसी समस्या का हल नहीं हैं।
◆ सुख व दुख अच्छे व बुरे कर्मों के ही फल हैं जीव हत्या करोगे तो नर्को। की यातना भोगनी ही पड़ेगी।
◆ याद रखो एक दिन मौत आनी ही आनी है।
◆ समरथ गुरु से नामदान लेकर अपनी आत्मा को जगायीं फिर देश की ये नारियां देवी कहलायीं।
◆ परमार्थ की कमाई के लिये शान्त वातावरण सहायक होता है।
◆ श्वांसो की पूंजी गिन गिन करके खर्च करने के लिये मिली है कर्म के अनुसार उम्र घटती बढ़ती है।
◆ भाग्य पर भरोसा करो और परिश्रम करो।
◆ शरीर के लिये इकठ्ठा होने वाला सारा साजो सामान यहीं छूट जायेगा। कुछ वहां के लिये भी तो करो।
◆ सतगुरु चाहें तो पल भर में दया की वर्षा कर के काम बना दें।
◆ लूटपाट व रिश्वतखोरी का अन्न खिला करके परिवार व बच्चों का भविष्य खराब मत करो।
◆ सन्त की गति अगम अपारा। देते अमर पद करते भव पारा।
◆ बिना सतगुरु कोई राह न पाई महिमा उनकी कही ना जाई।
◆ पापी पेट के लिये ईमान मत बेचो मेहनत ईमानदारी अपनाओ।
◆ जैसे इकटठा पानी दूषित हो जाता है उसी तरह से धन संग्रह करने वाले के अन्दर विकार पैदा हो जाते हैं।
◆ जग के धन मानव प्रतिष्ठा ने किसी का भी बराबर साथ नहीं दिया इसमें लिप्त लोगों को धोखा ही मिला।
◆ याद रहे हर पशु पक्षी व मनुष्य में मालिक की अंश जीवात्मा है।
◆ खून बैमेल करके बीमारी मत पैदा करो। नशामुक्त शाकाहारी रहो।
◆ सुख और दुख मानसिक प्रभाव हैं दोनों में सम रहना चाहिए।
◆ मेहनत और ईमानदारी की कमाई जब बच्चों पर लगती हैं तो वे तरक्की कर जाते हैं।
◆ महात्मा की बात मानने पर ही तकलीफें दूर होंगी।
◆ ऐ इंसान एक एक दिन तेरी उम्र खत्म होती जा रही है। जिस लिये मनुष्य शरीर मिला वह भी काम तो कुछ कर।
◆ निज घट में प्रभु दर्शन पाओ। मानव जीवन सफल बनाओ।
◆ निदा बुराईको मन से हटाओ। दिल में प्रेम की जगह बनाओ।
◆ परमात्मा की प्राप्ति के लिये शाकाहारी रहो और लोभ लालच में मत पड़ो।
◆ गुरु व गुरु के वचन सदैव सामने रहें। जीवन का लक्ष्य जीते जी ईश्वर को पाना है।
◆ याद रहें सतसंग वचन से अच्छाई मिलती है। व बुराईयां दूर हो जाती हैं।
◆ रोटी खिलाने पानी पिलाने दवा खिलाने से जिस्म को आराम मिलता है।
◆ सच्चे संत के पास ही कर्म धोकर वैतरणी पार करने का रास्त होता है।
◆ दया इंसान का मूल धर्म है। लोगो में सुधार धार्मिकता से ही आयेगा।
◆ लायक बन जाईये आने वाले सतयुग को देखने के लिये।
◆उत्थान धर्म से और पतन पाप कर्म करने से होता है।
◆ देश भक्ति महान भक्ति है।
◆ साधक के सभी कार्य अंतःकरण की शुद्धि के लिये होने चाहिए।
◆ कर्मों के चक्कर से जीव अनेकों शरीर धारण करता है।
◆ गुरु आपके हर एक मनोभाव को देखता है।
◆ महापुरुषों की बात को याद रखकर उनके उपदेश का पालन करो।
◆ निदा बुराई को मन से हटाओ, दिल में प्रेम की जगह बनाओ।
◆ सतसंग और संतो का समागम भजन और पूजन ये प्रारब्ध में भी परिवर्तन ला देते है।
◆ झूठ बोली हुई बात कुछ समय के बाद भूल जाती है। सत्य बात हमेशा याद रहती है। इसलिए सत्य ही बोलो।
◆ महात्मा फकरी दरिया दरख्त की तरह से होते हैं। उनके पास आकर कोई भी फायदा ले सकता है।
◆ सच्ची इबादत में दुनिया की चीजों की ख्वाहिश नहीं होती।
◆ सौभाग्य से ही सन्त सतगुरु मिलते हैं।
◆ सोचो मौत के बाद कहां जाओगे ?
जयगुरुदेव
 |
Sant umakantji maharaj |
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ
Jaigurudev