➽ महात्माओं की वाणी में ऋद्धियां सिद्धियां भरी होती हैं पर तुम उनको अपने अन्दर उतारते ही नहीं हो। उनके एक एक शब्द को पी लो तुम्हारा काम बन जाये।
➽ इच्छा किसी की पूरी नहीं होती धन से नहीं होती, सामानों से नहीं होती, राज पाट से नहीं होती। कमी बराबर बनी रहेगी। आखों के ऊपर आओ वहां ऋद्धियां सिद्धियां मिलेंगी।
➽ तुम रोज याद करते रहो कि तुमने नये साल में तीन बातों का संकल्प लिया है। पहला मेहनत और ईमानदारी से काम करने का, दूसरा झगड़े झंझट से बचने का और चुप रहने का और तीसरा भजन करने का। भजन रोज करना, किसी दिन भी नागा मत करना।
➽ संसार से बचकर चलो। यह तो टेड़ा संसार है। काम क्रोध लोभ मोह की ज्वाला जल रही है। क्रोध तो चाण्डाल का रूप है और सबका नाश कर देता है।
➽ मैंने समझाने सुनाने में कोई कमी नहीं रक्खी पर आप समझे नहीं । आप समझते रहे कि बाबाजी कोई राजपाट चाहते होंगे जबकि मैं बराबर कहता हूं कि यहां से लेष मात्र भी साथ नहीं जायेगा तो राजपाट चाहूंगा ? राजपाट वाले तो वैसे ही रो रहे हैं। अब हमने इनसे कह दिया कि अब कोई और बात नहीं अब केवल भजन करो।
➽ भजन करो। भजन का मतलब भजो यानि भागो और अपने देश चलो। भजन से ही सब काम सुलभ हो जायंगे। बच्चा मांगते हो, धन मांगते हो। अपने लिये यानी अपनी जीवात्मा के लिए कुछ नहीं मांगा।
➽ तुमको पता नही है कि जब महापुरुष नामदान देते हैं तो क्या होता है ? हमारे स्वामी जी महाराज कहा करते थे कि नामदान देने के बाद महापुरुषों के सामने अंधेरा हो जाता है लेकिन उनके पास साधन है वो सफाई कर लेते हैं। तुम्हारे पास क्या साधन है कि सफाई कर लोगे।
➽ प्रार्थना करनी है तो गुरु के आगे करो तो तुम्हारी प्रार्थना की सुनवाई होगी। जब वो चले जायेंगे तो तुम प्रार्थना करते रहो तो कोई सुनवाई नहीं होगी। उनके सामने प्रार्थना करलो कुछ कमाई कर लो।
➽ हरि के जन हो जाओ तो हरिजन हो गये। हरि का जन बने नहीं हरि को पाया नहीं और हरिजन कहलाने लगे। हरिजन बहुत उत्तम होता है।
➽ साधन भजन में शुरु शुरु में तो रगड़ाई करनी पड़ती है। मेहनत करना पड़ता है। जब सुरत नाम को पकड़ लेती है और चढ़ाई होने लगती है तब रास्ता आसान हो जाता है।
➽ नाम का शब्द का नशा उतरता नहीं है बस एकबार चढ़ जाना चाहिए। और नशे तो दवा दारू के उतर जाते हैं लेकिन जब घट में बाजे बजने लगते हैं तब वह आनन्द मंगल है।
➽ जब जीवात्मा स्वर्ग, बैकुण्ठ शक्ति लोक और ईश्वर लोग को पार करती हुई त्रिकुटी यानी ब्रह्म पद में पहुंचती है तब उसे यह मालूम होता है कि सर्वज्ञ है उससे कोई जगह खाली नहीं है। वहां पहुंच कर वो ताकत वर हो जाती है और ईश्वर से अधिक शक्ति और प्रकाश उस जीवात्मा में हो जाता है।
➽ जब गुरु के दर्शन अन्तर में होते हैं तब सुरत को गुरु की दया का एहसास होता है। गुरु हर मण्डल में मिलता है और सुरत की सम्हाल करता रहता है, काल व माया के छल फरेबों से बचाता रहता है।
➽ जो नामदान का काम करे शब्द की कमाई करे वही नाम दानी है।
➽ तुम लोग इतना पैसा खर्च करके यहां आते हो यह सोच करके कि वहां चलेंगे सत्संग सुनेंगे सेवा करेंगे। लेकिन हम आकर बैठ जाते हैं और बुलाते रहते हैं फिर भी देर से आते हो तो तुम्हारे आने का फायदा क्या?
➽ तुम उठते बैठते खाते पीते, चलते फिरते सोते जागते हर वक्त गुरु को याद करते रहो तब तुम्हारा प्रेम बढ़ता जाएगा और गुरु भी बराबर तुमको याद करते रहते हैं। तुम अगर बिसर गए तो प्रेम नहीं। इसीलिए हर वक्त गुरु की दया रहे, प्यार बना रहे।
➽ हमेशा जगे रहो यानी होश में रहो। घर ग्रहस्थी में काम करते रहो पर नाम को पकड़े रहो। आप नीचे रहो, नाम को अपने ऊपर रक्खो। सुरत अभी पिट रही है। बीच पाट मे आ गई तो पिस जाएगी। नाम रूपी कील के साथ लग जाएगी तो बचेगी।
➽ जब तक शरीर साथ दे रहा है थोड़ी बहुत ताकत है तो भजन कर लो, कुछ अपनी जीवात्मा के लिये कमाई कर लो। शरीर का क्या ठिकाना काम करना बन्द कर दे तो क्या करोगे? बुढ़ापा तो आना ही है।
➽ महापुरुष जो कहते हैं उसे आप न तो समझते हो और न ही पूछते हो। तुम भरम में रह गए जो हो इसी में समय निकल जाता है। आलस मत करो, सोओ मत, नही तो समय निकल जाएगा। यह श्वांसो की पूंजी है जहां खतम हुई शरीर नीचे गिर जाएगा।
➽ एक प्रेमी थे अहमदाबाद में उनके पास बहुत पैसा हो गया तो वो विदेश चले गए। मैंने उनको समझाया कि वहां क्यों जा रहे हो क्या मिलेगा तुमको वहां पर मेरी बात नहीं समझे चले गए। वहां किसी साथी के साथ अपना सब पैसा लगा दिया धन्धे में और सब चला गया । अब फिर वापस आए है अब क्या किया जाय। महात्माओं की बात मानते नहीं।
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