✧ बाबा जी ने फरमाया ✧

जय गुरु देव
✧ बाबा जी ने फरमाया ✧

 सन्त उन्हें कहते हैं जो सत्तलोक में नित्य आते जाते हैं। उनके आदेश को ईश्वर, ब्रह्म, पारब्रह्म महाकाल कोई भी टाल नहीं सकते। ऐसे सन्त महापुरुष के शरीर से कोई भी जीव स्पर्श हो जाय तो उसकी चौरासी कट जाती है, और उसे अगला जन्म मनुष्य का मिल जाता है। चींटी, कीड़ा, मच्छर, मक्खी आदि कोई भी जीव हो उसे मनुष्य शरीर प्राप्त हो जाता है। ये उनकी दया नहीं है बल्कि उनके शरीर का गुण है। 

 सन्त जिस पेड़ के नीचे बैठ जाते हैं या उसका फल खा लेते हैं, जिस गाय भैंस का दूध पी लेते हैं, जो जीव उनके पैरों से स्पर्श हो जाता है वो सब मनुष्य शरीर के अधिकारी हो जाते हैं। आबादी क्यों बढ़ी इस रहस्य को कोई नहीं जानता।

✧ इस बात को समझ लो कि गुरु हर वक्त शब्द रूप में तुम्हारे साथ रहते हैं और बराबर सम्हाल करते रहते हैं।
तुम्हारा कोई भी काम उनसे छिपा नहीं है।

 आदेश का पालन करो। आदेश यही है कि भजन करो जिससे तुम्हारी आंख और कान खुल जाय फिर स्वर्ग बैकुण्ठ आदि दिव्य लोकां की रचना दिखायी पड़ने लगे और आकाशवाणी सुनायी देने लगे।

✧ ये सूरज चांद और तारे जो दिखायी देते हैं ये सब के सब नकली हैं। ये ऊपर के चांद, और सितारों के प्रतिबिम्ब हैं। ऊपर के चन्द्रलोक व सूर्यलोक में जाने का रास्ता मनुष्य शरीर मे दोनों आंखों के पीछे से गया हुआ है। ऊपर के लोकों में दिव्य रचना है और प्रकाश ही प्रकाश है, अंधेरे का नाम नहीं।

 खराबी तमक में होती है। हम आप लोगो को हमेशा समझाते हैं कि नये नये लोग आयेंगे, उनसे प्यार से मिलो, झटका पटकी मत करो। कुछ कह दे तो बर्दाश्त करो। ये मैं जानता हूं कि आपमें उनसे भी ज्यादा क्रोध है पर तुमको बर्दाश्त करना चाहिए।

 तुम्हारे घर से नये नये बच्चे आते हैं। अभी उन्होने न कुछ सुना न समझा आप उनको खड़ा क्यों करते हो? आप खड़े हो जाओ। सबकी भाषा समझनी चाहिए।

 आप चुप रहो। कुदरत सब इंतजाम कर देती है। वह तो चेतन है सजा दे देगी। आपका रास्ता तलवार से भी ज्यादा तेज है। प्रेम प्यार से रहो विचार से रहो। इधर सत्संग हो रहा था उधर झटका पटकी हो गयी। तुमको उधर जाने की क्या जरूरत थी ? बर्दाश्त करना चाहिए था। आप अपनी चीज काम में ले लो। दूसरों का क्या खरीदते हो ? उसका असर तुम पर होता है। क्रोध चाण्डाल होता है। यह मैंने इसीलिए कहा क्योंकि इसकी जरूरत थी।

✧ मेरी बात सुनो। बरसात में अनाज इकटठा करते हो वो यहां लाते हो, सड़ जाता है घुन लग जाता है क्यांकि भीग जाता है। इसलिए चैत में जब फसल तैयार होती है तो सम्हाल कर रक्खो पानी न पड़ने पावे वैशाख में इकटठा कर लो। पहले से तैयार हो जाओ। भीड़ बहुत आने वाली है। यह मत समझो कि बाबाजी नहीं निकले तो लोग नहीं आयेंगे। अभी गुरुपूर्णिमा आ रही है फिर भण्डारा आयेगा। भण्डारा चलता है कितने लोग खायेंगे। इसीलिए कह रहा हूं कि वक्त ऐसा आ रहा है। अपनी सुविधा से यहां पहुंचा दो।

 कलयुग में अन्न में प्राण हैं इसीलिए इसकी रक्षा करो। इसकी इज्जत और कदर करनी चाहिए । जो अन्न की बेइज्जती करता है वो दर दर की ठोकर खाता है। खूब खाओ पर एक टुकड़ा बर्बाद मत करो। मैं फिर कहता हूं कि अनाज इकटठा कर लेना। तुम्ही लोगों के काम आयेगा। मैं कितना खाता हूं, इतना तो में यहीं पैदा कर लेता हूं। 
अन्न ही लड़े अन्न ही कूंदे । अन्न न मिले तो फौज लड़ना बन्द कर देगी। साधू भी तपस्या तभी करेंगे जब रोटी मिलती रहेगी। पहले के युगों में अन्न के बिना भी रहा जा सकता था पर कलयुग में अन्न मिलना चाहिए, अन्न में ही प्राण हैं।

✧ जब मौका मिले तब दर्शन करो, सत्संग करो। सुस्ती करते हो अपना बड़ा भारी नुकसान करते हो। पिछले दिनों लिखकर भेजा था कि जितने भी सत्संगी हैं सब लोग आकर दर्शन दे जाना पर चूक गए। न सेवा रहा, न प्रेम भाव रहा, न वचनों को माना, सूख गए।

 नाम याद करो कुछ भजन करो सुमिरन करो तब सत्संग समझ में आयेगा। खाली ऐसे ही बैठ जाओगे तो कुछ समझ में नहीं आयेगा। नामदान मिला। न समझ में आये तो बार बार पूछना चाहिए। जो साधक होगा वो अपनी देखी तो नहीं बतायेगा पर जो तुमने लिया है वह तुमको समझायेगा, बताएगा, पक्का करा देगा।

✧  हमारे स्वामी जी महाराज के पास एक आदमी आया। आकर चुपचाप खड़ा हो गया। उन्होने पूछा जो ले गया था कुछ कर के ले आया है या ऐसे ही आ कर खड़ा हो गया ? उनका मतलब ये था कि जो नाम लेकर गया था तो कुछ कमाई की या नहीं। उससे कहा कि जा भाग जा और कुछ कमाई कर। उसे बात लग गई। वह भजन मे लग गया और आता जाता रहा। चोट लगने की बात है। चोट लगे और लगन लग जाय तब काम बनता है। 

 तुम अपने को देखो जैसे तुम रो रहे हो वैसे ही दूसरे सब रो रहे हैं। तुम समझते हो कि दूसरे सब अच्छे हैं तुम्ही दुखी हो। पर अगर किसी दूसरे की गठरी खोल दी जाय तो तुम भागोगे सुनोगे नहीं और यह सोचोगे कि इसको इतनी तकलीफ ? हम तो इससे बहुत अच्छे हैं।

  अपने विकारों को निकालने के लिये तुल जाओगे तब तुम्हारा काम बनेगा, मन रूकेगा। सत को पकड़ लोगे तो सब धोखा मन का निकल जायेगा। ज्ञान को पकड़ लोगे अज्ञान निकल जायेगा। इसीलिए गुरु के पास जाओ, सत्संग सम्हाल कर करो। अपनी खराब चीज उनको दे दो, उनसे अच्छी चीजें ले लो। वो जो बताएं उसे सम्हाल कर रखो, चरणों में नमन करो।

 यहां आते हो तो सूली का कांटा कर दिया जाता है। कांटा तो चुभेगा ही। यह मन बहकाता है गुरु ने दया नहीं की, दुआ आशीर्वाद नहीं दिया। उधर गये तो वहां शूली तैयार है फिर भागकर इधर आते हो। तुम्हें सब्र नहीं।

 आप शब्द का अपमान करते हो और इन जड़ चीजों का सम्मान करते हो। भजन सूक्ष्म है, मन को सूक्ष्म रखो चित्त और बुद्धि को सूक्ष्म रखो तब भाजन बनेगा।

 मैं ऐसे ऐसे लोगों को दिखा दूं जो दस दस रिवाल्वर रखते थे। उनके नाम से कोई कुछ नहीं कर सकता था। सत्संग सुना फिर विवेक हो गया और सब छोड़ दिया। रिवाल्वर जमीन में गाड़ दिया दुबारा हाथ नहीं लगाया। कोई गाली भी दे दे तो चुप। हमने अपने कानों से लोगों को कहते सुना कि पता नहीं कौन से बाबाजी आये थे इतना खुंखार था ये जब और ये अब साधू बन गए।

 दो हजार लग गया है। इसमें कम बोलो, मेहनत ईमानदारी से काम करो और चुप रहकर भजन करो। ताकि किसी का जहर तुम पर न चढ़े। मतलब कि समझा रहा हूं कि ताकि तुम यह न कहो कि बाबा जी ने समझाया नहीं। चुप रहो भजन करो ताकि तुमको बरक्कत मिले। 

  सबके सामने राष्ट्रपति कितने दिनों से बदहोश रहा और चला गया कोई कुछ कर सका ? इससे पता चलता है कि अपने लिये कुछ नहीं किया। महात्माओं के पास जीवात्माओं का धन है पर आप ने कभी मांग की ? आप मांगोगे भी तो यही जड़ चीजें।

 पहले किताबें थोड़ी थीं बच्चे याद कर लेते थे। आज किताबों का बोझ इतना बढ़ गया कि पढ़ते पढ़ते बच्चे पागल हो जाते हैं। लोग कहते हैं कि नकल मत करो। आपको सोचना चाहिए कि इतना किताबों को बोझ लाद दिया बच्चा कहां तक याद करेगा ?

  पहले सरल भाषा थी। पढ़ने सीखने में भी सरल बोल चाल में सरल। अब कहने लगे कि अंग्रेजी पढ़ोगे तब डिग्री मिलेगी। सच ये है कि अगर सही विद्या होती तो जन मानस हीरा हो जाता।

✧ पहले आबादी कम थी। अब आबादी बहुत बढ़ गयी है। आपको पिछली चीजों को सोचना चाहिए आप इसमें उलझ गये। आपको पता नहीं कि ईश्वरीय विद्या क्या है? सबके सिर पर सुदर्शन चक्र नाच रहा है।

साभार, स्वामी जी ने कहा
जय गुरु देव
Baba jaigurudev ji maharaj


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