*"कोरोना रूप बदल कर फिर से आ रहा है, कुल मिला कर के ये तकलीफ ही है..."* *- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

जयगुरुदेव आध्यात्मिक सन्देश*जयगुरुदेव*
*सतसंग सन्देश / दिनांक 05.01.2022*

*सतसंग स्थलः आश्रम उज्जैन, मध्यप्रदेश*
*सतसंग दिनांक: 01.जनवरी.2022*

*"कोरोना रूप बदल कर फिर से आ रहा है, कुल मिला कर के ये तकलीफ ही है..."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

इस समय के त्रिकाल दर्शी संत सतगुरु उज्जैन वाले *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने नववर्ष कार्यक्रम के अवसर पर उज्जैन आश्रम आए हुए और यू-टयूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(Jaigurudevukm)* पर प्रसारित संदेश को ऑनलाइन सुनने वाले भक्तों को बताया कि,
देखो! कुछ लोग किसान हो, खेती करते हो। आपके मन में बेईमानी नहीं आनी चाहिए। नीयत आपकी खराब नहीं होनी चाहिए।
थोड़ा ही मिलेगा, उसमें बरकत हो जाएगी। ज्यादा लेने की कोशिश मत करो। *कोई भी अनाज में मिलावट मत करो।*

*"गुरु के वचनों का जो पालन करते हैं, उनके बच्चे उन्हीं आदर्शों पर चलते हैं और तरक्की कर जाते हैं।"*
ऐसे-ऐसे प्रेमी भक्त हुए हैं गुरु महाराज के। कह दिया, बच्चा! दूध में पानी मत मिलाना तो उनको दूध को जब बर्तन में डालना होता था तो हाथ पोंछ करके दूध को डालते थे।
दूध देखना भी होता था, कैसा है? तो हाथ धो कर, पोंछ कर दूध में हाथ डालते थे कि एक कतरा भी पानी का उसमें न चला जाए।
जब वचन का पालन किया तो उनके जो भी लड़के बच्चे रहे, उनके आदर्श पर चलने लग गए। तरक्की कर गए उस लाइन में। *थोड़ा ही मिले और बरकत मिल जाए तो आगे बढ़ जाता है।*

*"किसान अनाज के अलावा और भी खेती कर लो,*
*जड़ी-बूटीयों की आगे चल कर भारी जरूरत पड़ेगी।"*
लोभ लालच मत करो। अगर आपको जरूरत है कि लड़का, बिटिया का ब्याह करना है, लड़के को पढ़ाई-लिखाई करानी है तो आप अनाज के अलावा और भी खेती कर लो जिसमें आपको आमदनी हो जाए।
आप जब चारों तरफ नजर दौडाओगे तो फिर एक भी काम ठीक से पूरा नहीं हो पाएगा। *आप जो खेती करते हो, उसमें डट कर के खेती करो।*

*"नीम, गिलोय, घृतकुमारी, तुलसी आदि, आगे इनकी जरूरत पड़ेगी।"*
लड़के पढ़ लिख गए, खाली न बैठाओ, कहीं न कहीं नौकरी करवा दो, काम करवा दो या कोई व्यापारिक दृष्टिकोण से खेती करो।
आगे चल कर के जरूरत पड़ेगी नीम, घृतकुमारी, तुलसी, गिलोय आदि की। यही दवाएं आगे काम आएंगी।
*बाकी अंग्रेजी दवा जो चल रही हैं, रुकावट तो इससे आती है, लेकिन मर्ज नहीं जाता है।*

*"कोरोना रूप बदल कर फिर से आ रहा है,*
*कुल मिला कर के तकलीफ ही है।"*
देखो! यह हुआ कि कोरोना खत्म हो गया। कोरोना फिर बढ़ रहा है, फिर आ रहा है। अब उसी का कई रूप हो गया। अब जिसके मन में जो आता है, वही नाम रख देता है।
कुल मिला कर के तकलीफ ही है। *तो तकलीफें तो अभी बढ़ेंगी लोगों की।* इससे बचने का उपाय जितने भी बुद्धिजीवी, डॉक्टर, वैज्ञानिक हो, इसको सोच कर के रखना।

*"आध्यात्म से ही सारे विज्ञान निकले हैं..."*
देखो! आध्यात्म में सब कुछ समाया हुआ है।आध्यात्म की जिसको जानकारी हो जाती है, उसके सब समझ में आ जाता है।
आध्यात्मिक विज्ञान की जिनको जानकारी हो जाती है, वह सब समझ जाते हैं। जड़ी-बूटियां यह जितनी भी है, प्रकृति ने बना कर के रखा है।
किसके लिए है? यह सब मनुष्य के लिए ही है लेकिन जानकारी नहीं हो पाती है। जैसे मृगा सुगंधी की तलाश में वन-वन घूमता रहता है, जबकि कस्तूरी उसके अंदर रहती है।
ऐसे ही आदमी भटकता रह जाता है, जानकारी नहीं हो पाती है। *देखो! जानवर बीमार होने पर जड़ी-बूटी खाते हैं, भोजन बंद कर देते हैं। वह संयमित होते हैं, तो सब जड़ी बूटियों की आगे चलकर जरूरत पड़ेगी।*

jaigurudev


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