*जयगुरुदेव*
*सतसंग सन्देश / दिनांक 06.01.2022*
*सतसंग स्थलः आश्रम उज्जैन, मध्यप्रदेश*
*सतसंग दिनांक: 01.जनवरी.2022*
*"सभी पार्टी के लोग चुनाव आयोग से मिल कर नीति बनाओ कि चुनाव के समय खून-खराबा न हो..."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
देश की उन्नति के लिए वर्तमान व्यवस्था में जरूरी सुधार करने की प्रार्थना करने वाले, पक्के देश भक्त, महान समाज सुधारक,
उज्जैन वाले संत सतगुरु *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 01जनवरी 2022 को आश्रम उज्जैन, मध्यप्रदेश में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(Jaigurudevukm)* पर प्रसारित संदेश में बताया कि,
सरकार में बहुत से खर्चे और विभाग ऐसे हैं, जिनको लोग जानते ही नहीं हैं, जनता के लिए कोई उपयोग ही नहीं है। चुनाव की ऐसी प्रक्रिया बनी हुई है की वाहवाही में इनको मजबूरन खर्च करना पड़ता है।
*यह कोई अपने घर से खर्चा करते हैं?*
सब जनता का पैसा जो राज कोष में जमा है, उसको खर्चा करते हैं। खर्चा जब ज्यादा हो जाता है, उसका भार तब गरीब जनता के ऊपर ही आता है।
टैक्स के रूप में देना पड़ता है। गरीब आदमी टैक्स भले ही न दे, लेकिन जो साबुन, तेल, नमक, हल्दी के ऊपर जो टैक्स लग गया, दाम बढ़ गया, उसको तो देना ही देना है। *हर किसी को कुछ न कुछ महंगाई बढ़ने से देना ही पड़ता है।*
*"टैक्स आगे बहुत बढ़ेगा, महंगाई को कोई रोक नहीं सकता है..."*
महंगाई इसी वजह से बढ़ती है कि व्यापारी उत्पादन करता है और टैक्स उस पर बढ़ गया तो दाम बढ़ाना पड़ता है। जो कुछ भी खर्चा ज्यादा हो रहा है दिखावे में, यह हो रहा है कि हमारे लिए कर रहे हैं।
पार्टीयों वाले अलग-अलग घोषणा कर रहे हैं, वे तो पब्लिक को लुभाने के लिए ही कर रहे हैं। कुछ लोग तो यह सोच बैठे हैं कि हमको सत्ता में आना नहीं है तब वह मुंह से बोलने में अतिश्योक्ति ही बोलते हैं।
*अतिश्योक्ति यानी बढ़ चढ़ कर बोलना।*
जब कुछ नहीं कर पाना है, करने की जगह पहुंच भी नहीं पाना है तो फिर कम क्यों बोला जाए? ज्यादा बोला जाए। जब सुनता है तो कहता है कि उन्होंने यह कहा तो हमको यह करना चाहिए।
इससे टैक्स बढ़ेगा, बहुत बढ़ेगा। आगे आप देख लेना कि महंगाई बहुत बढ़ेगी, उसे कोई रोक नहीं सकता है। सारा बोझा जनता के, गरीब के ऊपर आएगा।
एक बार टैक्स जब बढ़ जाता है, तरीका मालूम हो जाता है कमाई का, तो बढ़ता ही चला जाता है।
*लेकिन जो गरीब है वह तो महंगाई की मार से और नंगा होता चला जाता है।*
*"सभी पार्टी के लोग चुनाव आयोग से मिलकर नीति बनाओ कि चुनाव के समय खून-खराबा न हो..."*
इसलिए हमारी यह प्रार्थना है कि ज्यादा बढ़ चढ़ कर के काम मत करो। जितने भी पार्टी के लोग हो, देश के शुभचिंतक हो, आपसे हमारी यह प्रार्थना है कि सब लोग मिल कर के चुनाव की एक नीति, चुनाव आयोग के साथ बैठ कर के बनाओ।
खर्चा ज्यादा न हो, जिससे आए दिन खून-खराबा न हो। चुनाव के समय में खबर आती है कि दंगा-फसाद हो गया, कैंडिडेट मार दिए गए, ऐसा हो गया, वैसा हो गया। *ऐसी चीजें क्यों हो? तो आप एक रूपरेखा बना लो।*
*"सत्ता में चुपचाप रहते हैं और जब सत्ता से हट जाते हैं तो वही विरोध करने लगते हैं...."*
देखो! जब लोग सत्ता में रहते हैं, तब तो चुपचाप रहते हैं। और जब सत्ता से हट जाते हैं, विपक्ष में बैठते हैं तो उसी बात का विरोध करने लगते हैं।
आप कुछ लोगों ने विरोध में बोलने की आदत ही डाल दी, नीतियों का विरोध करो। *कहा गया है कि विपक्ष मजबूत होना चाहिए कि जिससे सत्ता पक्ष निरंकुश न हो जाए।* लेकिन मुद्दे की लड़ाई लड़ो।
*"संसद में एक-एक मिनट में हजारों का खर्चा होता है, सब जनता को देना पड़ता है..."*
बहुत खर्चा होता है, जब संसद और विधान सभा चलती हैं। शाही खर्चा जिसको कहा गया है। प्रजातंत्र में इनको राजा बताया गया है। *राजा का कितना खर्चा होता है? इनको समझने की जरूरत है।*
एक-एक मिनट में हजारों रुपए का खर्च आता है तो किसको देना पड़ता है? जनता को। जनता के लिए नियम और कानून बनाते हैं, जनता की बातों को प्रतिनिधि वहां पहुंचाते हैं फिर उसका निराकरण खोजा जाता है।
*और आप काम न होने दो, यह ठीक नहीं है।*
परिवर्तन शील संसार है, परिवर्तन शील व्यवस्था भी है, व्यवस्थाएं बदलती रहती हैं।
*"सत्ता पक्ष से जनता नाराज हुई तो उनको सत्ता से हटा देगी...."*
देखो! स्टेट में, सरकारें अलग-अलग हैं। पहले जो सत्ता में थे, अब विपक्ष में बैठ रहे हैं। और जो विपक्ष में हैं, कभी सत्ता पक्ष से जनता नाराज हुई तो उनको सत्ता में ले आएगी।
तो एक ऐसी नीति बननी चाहिए कि जिससे मुद्दे का विरोध हो। ऐसे लोग प्रदर्शित न करने लग जाएं की बहुत बोलें और मुंह बंद कर दिया, चलने नहीं दिया संसद और विधानसभा को।
*यह तारीफ अपनी आप मत कराओ, यह आप लोगों से मेरी प्रार्थना है।*
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BabaUmakantJIMaharaj |
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