*"दुनिया की चीजों में उलझे रहे तो अंतिम समय पर बडी तकलीफ होती है...."*

*जयगुरुदेव*
*सतसंग सन्देश / दिनांक 04.01.2021*

*सतसंग स्थलः आश्रम उज्जैन, मध्यप्रदेश*
*सतसंग दिनांक: 01.जनवरी.2022*

*"नये वर्ष में याद करो कि मौत आनी है, अगर दुनिया की चीजों में उलझे रहे तो समय निकल जायेगा..."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

संसार में इस माया के बाजार में भूले हुए मनुष्य को, उसके अंत समय में होने वाली भयंकर पीड़ा और उसके द्वारा अपनी जीवात्मा के कल्याण का उपाय न करने पर नर्क और चौरासी के चक्करों की याद दिलाने वाले,
इस समय के महान आध्यात्मिक गुरु उज्जैन वाले संत सतगुरु *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने नव वर्ष कार्यक्रम में 01जनवरी 2022 को आश्रम, उज्जैन, मध्यप्रदेश में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(Jaigurudevukm)* पर प्रसारित संदेश में बताया कि,

प्रेमियों! कुछ ऐसे भी लोग हैं जो कल थे, आज दुनिया में नहीं है। नया वर्ष नहीं देख पाए। आप को आज के दिन याद करने की जरूरत है कि हमारा भी समय पूरा होगा, हमको भी जाना है।

*"इन्सान इस समय पर जो करने में लगा हुआ है, वो सारी चीजें एक दिन छूट जाने वाली हैं..."*
अब यह भी सत्य है कि आदमी खाता है, कमाता है, बचाता भी है। मान-प्रतिष्ठा के लिए घर मकान बनाता है, लेकिन यह चीजें लेकर के दुनिया से कोई नहीं जाता है।
कहा है कि *क्या लेकर तू आया जग में, क्या लेकर तू जाएगा। सोच समझ ले रे मन मूरख, आखिर में पछताएगा।।*

*"दुनिया की चीजों में उलझे रहे तो अंतिम समय पर बडी तकलीफ होती है...."*
यह दुनिया की सारी चीजें छूट जाने वाली है। इसी में अगर उलझे रह गये तो अंत दु:खदाई। आखिर में बड़ी तकलीफ होती है।
तड़प-तड़प कर के लोग मरते हैं। हड्डी-हड्डी चटकती है जब यमराज का मुगदर हथौड़ा पडता है। वे यमदूत जब मशाल लेकर के आते हैं तो जो जीवात्मा शरीर खाली नहीं करना चाहती, उसको झुलसाते, मारपीट करते हैं।
उस समय पर खून पानी हो जाता, आंख की रोशनी खत्म, कान से सुनाई नहीं पड़ता, जुबान तुतली हो जाती है। मरने वाला सबको गुहार और आवाज लगाता है बेटे, चाचा, पत्नी आदि को। लेकिन उसकी आवाज कोई समझ नहीं पाता है।

*"मौत के समय यमराज के दूत मनुष्य शरीर को मार-मार के खाली कराते हैं...*"
साधकों और संतो के अलावा यमराज के दूत और किसी को नहीं दिखाई पड़ते हैं। लेकिन मरने वाले को दिखाई पड़ते हैं।
उस आखरी वक्त पर वो बहुत चिल्लाता है। कर्मों की सजा में यह भी दिखाई पड़ता है कि देखो! हमने भैंसा, बकरा को काटा था, वैसा हमको मार रहा है। हमारी तरफ दौड़ कर के हिंसक जानवर आ रहा है। हमने इनको मारा था।
कहा गया है कि *जो गल काटे और का, अपना रहा कटाय। साहब के दरबार में बदला कहीं ना जाय।।*

*"मनुष्य शरीर छूट जाने के बाद भारी तकलीफों की शुरुआत होती है..."*
बदला लेते हैं जानवर, वहां रास्ते में ही मिलते हैं। दांत से नोच लेते हैं, पंजा मार देते हैं। आज तो अज्ञानता में इनको मार कर के लोग खा रहे हैं। पेट को कब्रिस्तान बना दे रहे हैं।
जो मनुष्य शरीर पूजा का मंदिर, इबादत गाह था, उस को गंदा कर दे रहे हैं। लेकिन यह नहीं मालूम है कि इसकी सजा हमको भोगनी पड़ेगी।

बड़ी तकलीफ होती है। तकलीफों में तो यह पूरा समय निकल जाता है फिर नर्कों और चौरासी में जाना पड़ता है। *कोटि जन्म जब भटका खाया। तब यह नर तन दुर्लभ पाया।।*
करोड़ों जन्मों तक भटकना पड़ता है, तब यह दुर्लभ मनुष्य शरीर मिलता है।

*"कोई सोच भी नहीं सकता कि कितना अनमोल मनुष्य शरीर मिला है..."*
इसीलिए इसको अशरफुल, देव नारायणी शरीर कहा गया है, जिसके लिए देवता तरसते रहते हैं।
वो तो सत्रह तत्वों के लिंग शरीर में रहते हैं। लेकिन उनके अंदर रास्ता नहीं है जो रास्ता आपके अंदर हैं।
*किसका रास्ता? मुक्ति और मोक्ष का है।*

जीवात्मा को मुक्ति और मोक्ष दिला दो। ये कब मिलेगा? जब यह अपने पिता सतपुरुष के पास पहुंच जाएगी तब।
*फिर यह दुख के संसार में दुख झेलने के लिए नहीं आएगी।*



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