Satguru param dayal ri
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सतगुरु परम् दयाल री, कोई कदर न जानी,
दाता मेरे परम् दयाल री, कोई कदर न जानी।
जीव अनाड़ी जग झक मारे,
दुःख सुख संग बेहाल री। कोई कदर न जानी।।
छूटन की गुरु जुगत बतावे,
मेटे घट दुःख साल री। कोई कदर न जानी।।
दया वचन करनी फरमावे,
काटे जम का जाल री। कोई कदर न जानी।।
निस दिन तेरे अंग संग डोले,
जैसे माँ संग बाल री। कोई कदर न जानी।।
अन्त समय जब तेरा आवे,
आप होंय रक्षपाल री। कोई कदर न जानी।।
घट तेरे मे प्रकट करावें,
अपना रूप विशाल री। कोई कदर न जानी।।
पकड़ चरण तू निज घर चल दे,
हो गई परम् निहाल री। कोई कदर न जानी।।
जयगुरुदेव.....
जयगुरुदेव प्रार्थना 125.
Satguru tum mere bhagvan
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सतगुरु तुम मेरे भगवान, करो तुम मेरा भी कल्याण ||
मेरा माया मोह मिटाओ, मुझे सत का मार्ग दिखाओ,
करके दूर सभी अज्ञान, करो तुम मेरा भी कल्याण ||
मैने तुमसे लगन लगाई, मेरी टेर सुनो चित्त लाई,
मांगू एक यही वरदान, करो तुम मेरा भी कल्याण ||
भौतिक विषय न मन को भाये, ऐसा ज्ञान उसे हो जाये,
छूटे नही भजन व ध्यान, करो तुम मेरा भी कल्याण ||
साधन भजन की दे दो शक्ति, जिससे हो जाये मेरी मुक्ति,
जागे सुरत शब्द पहचान, करो तुम मेरा भी कल्याण ||
मेरे अन्त समय में आना, और निज धाम मुझे पहुँचाना,
तुम हो समरथ गुरु महान, करो तुम मेरा भी कल्याण ||
प्रार्थना 126.
Satlok ke nivasi
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सतलोक के निवासी नमो बार बार तुम,
धुरधाम के निवासी नमो बार बार तुम,
आया शरण तिहारी बाबा तार तार तुम।।
भक्तों को गुरुदेव ने निराश न किया,
मांगा जिन्हें जो चाहा वरदान दे दिया।
सचमुच तेरा भण्डार और बड़ा उदार तू,
आया शरण तिहारी बाबा तार तार तुम।।
बखान क्या करुं मैं तेरे चमत्कार का,
नित देखते हैं भक्त तेरे भजन ध्यान का।
ईशब्रह्म, पारब्रह्म, महाकाल तुम,
आया शरण तिहारी बाबा तार तार तुम।।
सतलोक को जाने का साधन बता दिया,
देकर जहाज नाम का पथ भी दिखा दिया।
सत्तपुरुष अलख अगम और अनामी तुम,
आया शरण तिहारी बाबा तार तार तुम।।
सत्संग विवेक देके सत भजन बता दिया,
काम, क्रोध, लोभ मोह सब हरा दिया।
शील क्षमा दया प्रेम के अवतार तुम,
आया शरण तिहारी बाबा तार तार तुम।।
प्रार्थना 127.
Sharan me aye hain
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शरण में आये हैं हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु भगवन।।
न हम में बल है न हममें शक्ति,
न हममें साधन न हममें भक्ति।।
तुम्हारे दर के हैं हम भिखारी,
दया करो हे दयालु भगवन।।
तुम ही हो सारे जग के सहारे,
तुम्ही हो सच्चे पिता हमारे।
तो सुध हमारी है क्यों बिसारी,
दया करो हे दयालु भगवन।।
जो हम बुरे हैं तो हैं तुम्हारे,
भले हैं जो हम तो हैं तुम्हारे।
तुम्हारे होकर भी हम दुखारी,
दया करो हे दयालु भगवन।।
प्रदान करदो महान शक्ति,
भरो हमारे में ज्ञान भक्ति।
तभी कहलाओगे पाप हारी,
दया करो हे दयालु भगवन।।
शरण में आये हैं हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु भगवन।।
जयगुरुदेव प्रार्थना 128.
Sabd bina sara jag andha
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शब्द बिना सारा जग अंधा, काटे कौन मोह का फंदा।।
शब्द बिना बिरथा सब धंधा, शब्द बिना जिव बंधन बंधा।
शब्दहि सूर शब्द ही चंदा, शब्द बिना जिव रहता गंदा।।
शब्द बिना सबही मति मंदा, शब्दहि नासहि शब्दहि पंदा।।
शब्द कमावे मिले अनंदा, शब्द बिना सबही की निन्दा।।
ताते शब्दहि शब्द कमाओ, शब्द बिना कोई और न ध्याओ।।
शब्द भेद तुम गुरू से पाओ, शब्द माहिं फिर जाय समाओ।।
शब्द अधर में करे उजारा, शब्द नगर तुम झाँको दवारा।।
शब्द रहे सबही से न्यारा, शब्द करे सब जीव गुजारा।।
शब्द जानियो सब का सारा, शब्द मानियो होय उबारा ।।
शब्द कमाई कर हे मीत, शब्द प्रताप काल को जीत।।
शब्द घाट तू घट में देख, शब्दहि शब्द पीव को पेख ।।
शब्द कर्म की रेख कटावे, शब्द शब्द से जाय मिलावे।।
शब्द बिना सब झूठा ज्ञान, शब्द बिना सब थोथा ध्यान।।
शब्द छोड़ मत रे अजान, सतगुरू कहे बखान।।
जयगुरुदेव प्रार्थना 129.
Shraddha ke bhav banao
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श्रद्धा के भाव बनाओ,
सतगुरु मेरी सुरत जगाओ।।
श्रद्धा मेरी बड़े दिन रैना,
दर्शन पाये बिन नही चैना।
अब तो दरश दिखाओ-
सतगुरु मेरी सुरत जगाओ।।
सुरत मेरी सत देश विराजे,
ऐसी लगन लगाओ-
सतगुरु मेरी सुरत जगाओ।।
मैं तो हूँ सतदेश की वासी,
आवागमन मिटाओ-
सतगुरु मेरी सुरत जगाओ।।
ना भावे या माया नगरी,
इससे मुझे बचाओ-
सतगुरु मेरी सुरत जगाओ।।
ना जानूँ मैं रीति प्रेम की,
अम्रत रस बरसाओ-
सतगुरु मेरी सुरत जगाओ।।
सुरत सुहागन चली पिया घर,
मांग मेरी भर देओ-
सतगुरु मेरी सुरत जगाओ।।
उड़ जाऊं या काल देश से,
ऐसे पंख लगाओ-
सतगुरु मेरी सुरत जगाओ।।
माटी से सोना कर दिया,
अब हीरा कर देओ
सतगुरु मेरी सुरत जगाओ।।
सुरत मेरी होवे असमानी,
ऐसी राह दिखाओ-
सतगुरु मेरी सुरत जगाओ।।
जय गुरु देव दया के सागर,
घर अपने ले जाओ-
सतगुरु मेरी सुरत जगाओ।।
जयगुरुदेव...
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