Santmat ki Chetavni 11.

【सन्त मत की चेतावनी】


जयगुरुदेव
शाकाहारी प्रचार अभियान, सत्संग, रैली आदि में जन-जागरण हेतु बोले जाने वाली-

【जयगुरुदेव चेतावनी 58.】*Jab sant sahara ban jaye*


जब सन्त सहारा बन जाये, 
तो काहे मन घबराए।
जब गुरु पूर्ण है मिला तुझे, 
तो काहे मन भरमाए।।

जब सन्त सहारा मिल जाए....
तो  काहे  मन  घबराए  ।।

किस जनम के पुण्य है जागे, 
जो पूर्ण गुरु है पाया।
तू प्रभु कृपा का पात्र बना, 
जो गुरु की शरण में आया।
द्वारे पर दीपक जले तेरे, 
तू अपना दीप जला ले।।

जब सन्त सहारा मिल जाये...
तो  काहे  मन  घबराए  ।।

शुभ घड़ी वो निश्चय होगी, 
दर्शन की प्यास बुझेगी।
तू मूक बना देखेगा, 
सतगुरु कृपा बरसेगी।
मन मगन रहे गुरु चरणों में,  
सतगुरु हैं साथ सदा रे।।

जब सन्त सहारा मिल जाए, 
तो काहे मन घबराए।
जो गुरु पूर्ण है मिला तुझे, 
तो काहे मन भरमाए।।

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【चेतावनी 59.】----------------------*Karle nij kaj javani me*


करले निज काज जवानी मे,
इस दो दिन की जिन्दगानी में ।।१।।

मेहमान जवानी जाती है,
फिर लौट कभी नही आती है ।
हे मूड़ इसे मत खो देना,
तू किस्से और कहानी में ।।२।।

शौभाग्य यह नर तन पाई है,
बड़े भाग्य जवानी आई है ।
भगवान इसी मे मिलते हैं,
क्यों ढूँढे पत्थर पानी में ।।३।।

तू इससे खोज गुरु की कर,
मिल जायँ तो न किसी से डर ।
गुरु ही सबकुछ के दाता हैं,
सुन ले क्या कहते वाणी में ।।४।।

क्यों इसको पाकर फूल रहा,
निज कर्तव्यों को भूल रहा ।
इन भोगों से मुख मोड़ देख,
फिर फ़र्क क्या है ज्ञानी में।।३।।

ज्ञानी ईश्वर का प्यारा है,
सेवक गुरु भक्त दुलारा है ।
जो गुरु कहते हैं मान उसे,
और कर भक्ति मर्दानी में ।।४।।

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【 चेतावनी 60. 】   ----------------------*Karo ri jatan sakhi sai*


करो री जतन सखी साईं मिलन की -२ ।।१।।

गुड़िया गुड़वा सूप सुपलिया,
तज दे बुद्धि लड़कैयां खेलन की।
करो री जतन सखी साईं मिलन की ।।२।।

देवता पित्तर भुइयां भवानी,
यह मारग चौरासी चलन की।
करो री जतन सखी साईं मिलन की ।।३।।

ऊँचा महल अजब रंग बंगला,
साईं की सेज वहाँ लागी फूलन की।
करो री जतन सखी साईं मिलन की ।।४।।

तन मन धन सब अर्पण कर वहाँ,
सूरत सम्हाल पड़े पइयाँ सजन की।
करो री जतन सखी साईं मिलन की ।।५।।

कहें कबीर निर्भय होय हंसा, 
कुंजी बताऊँ तोहे ताला खोलन की।
करो री जतन सखी साईं मिलन की ।।६।।

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【 चेतावनी 61. 】*Kehte hain kya gurudev sun*


कहते हैं क्या गुरुदेव,
सुन धर ध्यान प्यारे भाइयों,
परमार्थ का आधार है,
श्रमदान प्यारे भाइयों ।।

गुरु चरणों में सब देते हैं,
धन धान्य प्यारे भाइयों।
पर सबसे बढ़कर दान है,
श्रमदान प्यारे भाइयों ।।

सत्य कर्म ही तन धारण का,
परिणाम प्यारे भाइयों।
सत्कर्म तन धारण का,
परिणाम प्यारे भाइयों ।।

जल, थल, चर, नभ करते, 
परहित काम प्यारे भाइयों।
सब तीरथ चारों धाम हैं,
श्रमदान प्यारे भाइयों ।।

हज करने नाहक जाता है,
वह अनजान मुसलमान है।
जन्नत की पहली सीढी है,
श्रमदान प्यारे भाइयों ।।

कुछ करना वा मरना ही तो,
इस दुनिया का अंजाम है।
मरने के पहले कर लो कुछ,
श्रमदान प्यारे भाइयों ।।

यह तन ना किसी के भी आया है,
काम प्यारे भाइयों।
गुरु सेवा के हित कर दो,
कुछ श्रमदान प्यारे भाइयों ।।

तेरी सेवा से सतगुरु प्यारे,
करते तेरा काम है।
तेरा ही हित है करने में,
श्रमदान प्यारे भाइयों ।।

जो कहते हैं गुरुदेव तू,
सत्य मान प्यारे भाइयों।
परमार्थ का अंजाम है,
श्रमदान प्यारे भाइयों।।

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【 चेतावनी 62. 】*Karlo guru vakil*Dhun-  jivan hai bekar==================


करलो गुरु वकील, मुकदमा भारी है,
जनम जनम के पाप, बड़ा दुःख कारी है।।

काल करम में सब भरमाया,
पाप पुण्य दो नियम बनाया।
अपने छिपे निज धाम, मुकदमा भारी है।।
जनम जनम के पाप बड़ा दुःख कारी है।।

वहाँ न कोई मात पिता है,
वहाँ न कोई बंधू सखा है।
केवल सतगुरु एक, मुकदमा भारी है।
जनम जनम के पाप बड़ा दुःख कारी है।।

कहें गुरुदेव मुश्किल अटकेगी,
जब यम की फांसी खटकेगी।
गुरु बिन कोई न सहाय, मुकदमा भारी है।।
जनम जनम के पाप बड़ा दुःख कारी है।।

नाम रतन धन सतगुरु से लेकर,
सतगुरु से लेकर, स्वामी जी से लेकर।
भजन करो आठों याम, मुकदमा खारिज है।।

जनम जनम के पाप बड़ा दुःख कारी है,
करलो गुरु वकील, मुकदमा भारी है।।

जयगुरुदेव......

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【 चेतावनी 63.】*Kesa nata re jagat me*


कैसा नाता रे जगत में कैसा नाता रे।
मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे।।

माता कहे ये पुत्र हमारा, 
बहन कहे वीर मेरा।
भाई कहे ये भुजा हमारी, 
नारी कहे नर मेरा।।

पेट पकड़कर माता रोवे, 
बाहें पकड़कर भाई।
लपट झपट कर तिरिया रोवे, 
हंस अकेला जाई।।

जब तक जीवे माता रोवे, 
बहन रोवे दस मासा।
तेरह दिन तक तिरिया रोवे, 
फेर करे घर वासा।।

चार गजी चौ गजी मंगाया, 
चढ़ा काठ की घोड़ी।
चारों कोने आग लगाया, 
फूंक दिए जस होरी।।

हाड़ जले ज्यों लाकड़ी रे, 
केश जले ज्यों घांस।
सोने जैसी काया जल गई,
कोई न आयो पास।।

घर की तिरिया ढूढ़न लागी, 
ढूढी फिरे चहुँ दिशा।
कहत कबीर सुनो भाई साधू, 
छोड़ो जगत की आशा।।

कैसा नाता रे जगत में कैसा नाता रे।
मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे।।

जयगुरुदेव ★
शेष क्रमशः पोस्ट 12. में पढ़ें 🙏🏻👇🏼




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