जन - जागरण हेतू - (post no. 3.)

●● जयगुरुदेव चेतावनी ●●

१०.【 Chalo mal mal ke karein snaan 】

चलो मल मल के करें स्नान गंगा में गुरुदेव की।

सतयुग में गंगा श्री विष्णु जी बहाये,
नारद जी करे स्नान गंगा में गुरुदेव की।।

त्रेता में गंगा श्री राम जी बहाये,
हनुमत जी करे स्नान गंगा में गुरुदेव की।।

द्वापर में गंगा श्री कृष्ण जी बहाये,
अर्जुन जी करे स्नान गंगा में गुरुदेव की।
गोपी ग्वालों ने करें स्नान गंगा में गुरुदेव की।।

कलियुग में गंगा सभी सन्तों ने बहायी,
कितनो ने किये स्नान गंगा में गुरुदेव की।।

अब जो न नहाये सन्तों की गंगा में,
नरकों में करे स्नान, भटको चौरासी खान,
गंगा में तुम काल की।।

अब तो हैं गंगा जयगुरुदेव जी बहाये,
आकर के करो स्नान, हो जाओ भव से पार,
गंगा में गुरुदेव की।।



११. 【 चेतावनी- Chhod kar sansar jab  】


छोड़ कर संसार जब तू जाएगा। 
कोई न साथी तेरा साथ निभाएगा।।

गर प्रभु का भजन किया ना, 
सत्संग किया न दो घडि़याॅं।
यमदूत लगाकर तुझको,
ले जायेंगे हथकडि़यां।
कौन छुड़वायेगा- कोई न साथी...... 

इस पेट भरन की खातिर,
तू पाप कमाता निसदिन।
शमशान में लकड़ी रखकर,   
तेरे आग लगेगी एक दिन।
खाक हो जायेगा- कोई न साथी........

सत्संग की बहती गंगा,
तू इसमें लगा ले गोता।
वरना इस दुनिया से,
जाएगा एक दिन रोता।
फिर पछताएगा- कोई न साथी.....

क्यों कहता मेरा मेरा,
यह दुनिया रैन बसेरा।
यहां कोई न रहने पाता,
है चंद दिनों का डेरा।
हंस उड़ जाएगा- कोई न साथी....

गुरुदेव चरण में निशदिन, 
तू प्रीत लगा ले बन्दे।
कट जायेंगे सब तेरे,
ये जन्म-मरण के फंदे।
पार हो जायेगा- कोई न साथी.....


१२. 【Darbar me sacche satguru ke】

दरबार मे सच्चे सतगुरु के,
दुःख दर्द मिटाये जाते हैं;
दुनिया के सताये लोग यहाँ
सीने से लगाये जाते हैं।।

ये महफ़िल है मस्तानों की,
हर शख्स यहाँ पर मतवाला।
भर भर कर जाम इबादत के,
यहाँ सबको पिलाये जाते हैं।।

ऐ जग वालों क्यों डरते हो,
इस दर पर शीश झुकाने से।
ऐ नादानों यह वह दर है,
सर भेंट चढ़ाये जाते हैं।।

इल्जाम लगाने वालों ने,
इल्जाम लगाये लाख मगर।
तेरी सौगात समझ करके,
हम सिर पर उठाये जाते हैं।।

जिन प्यारों पर ऐ जग वालों,
हो खास इनायत सतगुरु की।
उनको ही सन्देशा आता है,
और वो ही बुलाये जाते हैं।।

दरबार मे सच्चे सतगुरु के, दुःख दर्द मिटाये जाते हैं...
दुनिया के सताये लोग यहाँ सीने से लगाये जाते हैं।।



१३. 【Dharm ki apne raksha karega agar】

धर्म की अपने रक्षा करेगा अगर,
तो ये जीवन सफल तेरा हो जायेगा।
पाप करता रहेगा तो मरते समय,
अपने कर्मों पे सिर धुन के पछतायेगा।।

रह सदाचारी बन के तू संसार में,
कोई दुःख तुझसे पहुंचे किसी को नहीं।
तेरे तन को भी आनन्द होगा बहुत,
और धर्मात्मा जग में कहलायेगा।।

जो तन और मन से वचन से अगर,
पाप कर्मों से बचता रहेगा सदा।
उसकी हो आत्मा को यहां शान्ति,
जाके आनंद परलोक में पायेगा।।

पाप कर्मों से पैसा कमा कर अगर,
और परिवार का तूने पालन किया।
घोर दुःख और संकट को भोगेगा तू,
अपना परिवार तेरे न काम आएगा।।

धर्म अनुकूल अपना तू कर्तव्य कर,
ओर संसार में सत का व्यवहार कर।
रख भरोसा सदा अपने गुरुदेव पर,
फिर तो संकट में भी मन न घबराएगा।।



१४. 【Desh vasi naya ek sandesha】

देशवासी नया एक संदेशा सुनो,
इस धरा पर ही 'सतयुग' उतर आयगा|
हैं नहीं वक्त ज्यादा कुछ ही वर्षों में,
देश-दुनियाँ का नक्शा बदल जायगा||

जयगुरुदेव की है ये पेशनगुई,
वक्त नाजुक बहुत सामने आ रहा|
जितने पापी-कुकर्मी हैं दुनियाँ में अब,
इनका नामों-निशा भी न रह जायगा||

चेतो प्यारे सभी! धर्म पर आ डटो,
उस खुदा की, नबी की इबादत करो|
वर्ना सतयुग के आने के पहले से ही,
बच्चा तेरा "कचूमर" निकल जायगा||

सतयुग आने पर बीघे में सौ मन मिले,
और कोई दुखी भी न रह जायगा|
सब में मानव सदाचार आ जायगा,
धर्म का राज्य भारत में छा जायगा||

दूध घी की सुधा धार बह जाएंगी,
३०-३२ में सोना भी बिक जायगा|
चूडियों में भी हीरे जडे जायेंगे,
ऐसा सुन्दर सुगम वक्त आ जायेगा||

जो भी पैगाम अब तक सुना आपने,
वो सभी आखों के सामने आ जायेगा|
थोडा धीरज धरो, नेक करनी करो,
वर्ना " कुदरत का थप्पड" भी लग जायेगा||

शेष क्रमशः पोस्ट 4. में पढ़ें ...

( परम पूज्य बाबा जयगुरुदेव जी महाराज  )
जयगुरुदेव 

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Jaigurudev