तुम नकल करोगे तो नाक कट जायेगी । कहानी संख्या 46.

✵ असलियत : नकल नहीं भेद

किसी गाँव की एक स्त्री अपने पड़ोसन के घर आग मांगने गई। पड़ोसिन धान कूट रही थी। वह पतिव्रता थी और सेवा भाव में लगी रहती थी। जब स्त्री ने आग माँगा तो पड़ोसिन ने धान कूटने के लिए जो मूसल ऊपर उठाया था उसे हवा में ही छोड़ दिया और आग देने के लिए चल दी। 

उस स्त्री ने देखा तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ और पूछा कि बहन ! ये तुमने क्या जादू कर दिया जो मूसल हवा में ही रुक गया। पड़ोसिन ने कहा जादू तो कुछ नहीं किया। 

स्त्री ने पूछा कि तुम क्या करती हो घर में। वह बोली कि घर के काम काज करती हूं, पति की सेवा करती हूँ। वह औरत आग लेकर चली गई । 

उसने अपने पति से कहा कि मैं भी तुम्हारी सेवा करूंगी । उसने सेवा शुरू की तो उसका पति भी उसकी सेवा से तंग आने लगा। फिर उसने पड़ोसिन से कहा कि जब मैं धान कूटने बैठूं तो तुम आग माँगने आना । 

एक दिन वो धान कूट रही थी कि उसकी पड़ोसिन आग माँगने आ गई। उसने मूसल हवा में उछाला और ज्यों ही खड़ी हुई आग देने के लिए वैसे ही मूसल आकर गिरा और उसकी नाक कट गई ।

स्वामी जी महाराज ने कहा कि नकल मत करो। असलियत असलियत ही रहेगी । तुम नकल करोगे तो नाक कट जायेगी ।

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जय गुरु देव






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