जयगुरुदेव प्रार्थना संग्रह (Post no. 40.)


*जयगुरुदेव प्रार्थना 241*
Mohi sumiran sikha do guru
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मोहि सुमिरन सिखा दो, गुरु पैयां परुँ।
सत डगरिया दिखा दो, गुरु पैयां परुँ।।

मुक्ति द्वार यह नर तन पाया, 
पर गुरु भक्ति का भेद न पाया। 
सच्ची भक्ति सिखा दो, गुरु पैयां पहुँ । मोहि...

पड़ा हूँ साधन की खटपट में,  
सन्त कहें परमेश्वर घट में। 
मोहि दरशन करा दो, गुरु पैयां परुँ । मोहि..

सद्गुरु ब्रह्मा विष्णु महेश्वर,
साक्षात् सद्गुरु  परमेश्वर। 
मोहि निश्चत करा दो, गुरु पैयां परुँ। मोहि.. 

बिना कृपा कोई जान न पाए, 
चाहे जितनी बुद्धि लगाये। 
मोह का परदा हटा दो, गुरु पैयां परुँ। मोहि



*जयगुरुदेव प्रार्थना 242*
Gurudev mujhe apne charno me laga lo
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गुरुदेव मुझे अपने चरणों में लगा लो, 
निज दास बना लो। 
कि और मेरा कोई नहीं ।।

भटक भटक तेरे दर पे पड़ा हूँ। 
पतितों में नामी बेईमानी बड़ा हूँ। 
तेरे बिन मुझको अब कौन सुधारे, 
मैं हूं तेरे सहारे, कि और 

दुनिया में देखा कुछ सार नहीं है। 
तेरे बिन दूजा दातार नहीं है। 
तेरे ही दर पे सब हाथ पसारे, 
दुख सब का तू टारे, कि और

दुनिया में ढूंढा, कहीं प्यार नहीं है। 
तेरा जैसा सच्चा कोई यार नहीं है।। 
बिछुड़ा हुआ हूं अब नाथ सम्भालो,
कृपा कर डालो, कि और 

तेरे विन जीवों को ठौर कहा हैं।
तेरे जैसा दानी कोई और कहां है।।
भक्तों का तुमने भव-बंध छुड़ाया। 
नहीं देर लगाया, कि और

मेरी बारी में क्यूं देर लगाया है। 
ये दासानुदास भी तेरे चरणों में आया है।। 
तेरे बिन जग में कोई और न मेरा। 
तेरे चरणों में डेरा, कि और



*जयगुरुदेव प्रार्थना 243*
Mere guruvar tumhi do sahara
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मेरे गुरुवर तुम्हीं दो सहारा, 
और कोई सहारा नहीं है ।। 

अपना कहकर जिसे मैं बुलाऊँ, 
ऐसा कोई हमारा नहीं है ।। 

नाव मँझधार में है हमारी,
कोई किश्ती खेवैया नहीं है। 

मैं कहाँ जाऊँ अब नाथ मेरे, 
कहीं दीखता किनारा नहीं है।। 

तेरे दरबार का हूं मैं मुजरिम, 
मैं हूं पापी मेरा पाप हर लो। 
और किसकी करूँ आश गुरुवर, 
कहीं मेरा गुजारा नहीं है ।।


*जयगुरुदेव प्रार्थना 244*
Pitu matu sahayak swami sakha
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पितु मात सहायक स्वामी सखा, 
तुम ही एक नाथ हमारे हो। 

जिनके कछु और आधार नहीं, 
तिनके तुम ही रखवारे हो।।

भूले हैं हरि हम तुमको तो,
तुम हमरी सुधि न बिसारे हो ।

महाराज महा महिमा तुम्हारी, 
समझे बिरले बुद्धिवारे हो।।

उपकारन को कछु अन्त नहीं, 
छिन ही छिन जो विस्तारे हो ।

सुख शान्ति निकेतन प्रेम निधे,
मन मन्दिर के उजियारे 'हो ।।

इस जीवन के तुम जीवन हो,
इन प्रानन के तुम प्यारे हो । 

तुम सा प्रभु पाया जयगुरुदेव,
सबके तुम नाथ सहारे हो।।



*जयगुरुदेव प्रार्थना 245*
Jab se mile mere satguru ji
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जब से मिले मेरे सतगुरु जी, 
जाग उठी तकदीर मेरी ।। 

दिल के अन्दर नाम तेरा, 
होठों पर पैगाम तेरा। 
आँखों में तसवीर तेरी ।।
जाग उठी 

तू सारे जग का पालक है, 
तू मेरे मन का मालिक है। 
सच कहंदी है जमीर मेरी।। 
जाग उठी ... 

अब दुनिया से मुख मोड़ लिया, 
तेरे चरणों में चित्त जोड़ लिया। 
सब हो गई दूर पीर मेरी ।। 
जाग उठी 

तू ही सुन्दर श्याम प्यारा है 
गुरु ही जीवन उजियारा है। 
सब कर दी माफ तकसीर मेरी।। 
जाग उठी


*जयगुरुदेव प्रार्थना 246*
Kripa ki na hoti jo adat tumhari
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कृपा की न होती जो आदत तुम्हारी।
तो सूनी ही रहती अदालत तुम्हारी।।

जो दीनों के दिल में जगह तुम न पाते। 
तो किस दिल में होती इबादत तुम्हारी ।।१।। 

गरीबों की दुनिया है आबाद तुम से। 
गरीबों से है बादशाहत तुम्हारी ।।२।।  

न मुलजिम ही होते न तुम होते हाकिम । 
न घर घर में होती हिफाजत तुम्हारी ।।३।। 

तुम्हारी ही उलफत के दृग बिन्दु हैं ये । 
तुम्हें सौंपते हैं अमानत तुम्हारी ।।४।।



*जयगुरुदेव प्रार्थना 247*
Guru ki murat man me dhyana
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गुरु की मूरत मन में ध्याना ।
गुरु के शबद मन्तर मन माना ।।

गुरु के चरण हृदय लै धारो ।
गुरु पारब्रह्म सदा नमस्कारो ।।

मत कोई भरम भूलो संसारी ।
गुरु बिन कोई न उतरसि पारी ।।

भूले को गुरु मारग पाया। 
अवर तियाग हरि भक्ति लाया।।

जन्म मरण की त्रास मिटाई।
गुरु पूरे की बे-अन्त बड़ाई ।।

जिन्ह पाया तिन्ह गुरु ते जाना ।
गुरु कृपा ते मुगध मन माना ।।

गुरु प्रसादि उर्ध कमल विगाशै।
अन्धकार में भया प्रकाशै ।।

गुरु करता गुरु करने योगः।
गुरु परमेश्वर है भी हौगः ।।

कहे नानक प्रभु एहो जनाई।
गुरु बिन मुक्ति न पाइये भाई ।।


*जयगुरुदेव प्रार्थना 248*
Satguru par Lagao meri naiya
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सतगुरु पार लगाओ मेरी नैया।
स्वामी जी पार लगाओ मेरी नैया।
मैं तो बही मझधार, लगाओ मेरी नैया।
सतगुरु पार लगाओ मेरी नैया।।

जित जाऊं तित काल सतावे, भोर कामना विकार
लगाओ मेरी नैया सतगुरु पार।।

काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह में, भरम रही हर बार।
लगाओ मेरी नैया...

मैं अनजान तुम सब कुछ जानो, गुरु मेरे अगम अपार।
लगाओ मेरी नैया...

मैं दुखियारी तड़प रही हूं,  नित तेरे दरबार।
लगाओ मेरी नैया...

समरथ जानी शरण में आई, हे मेरे सरकार।
लगाओ मेरी नैया...

मुझ अबला की लाज बचाओ, समरथ दीन दयाल।
लगाओ मेरी नैया...

जयगुरुदेव दया के सागर, सुनलो दीन पुकार।
लगाओ मेरी नैया...

सतगुरु पार लगाओ मेरी नैया।।


जयगुरुदेव |
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लोक और परलोक दोनों बनाने वाले महामंत्र देने वाले ~ परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज


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