एक वाकया.....अति संक्षेप में.....
रूहानी काफिले के एक "पड़ाव" के जिम्मेदार...प्रशासन से कार्यक्रम की अनुमति लेने गये.....
निचले स्तर के कर्मचारी ने आवेदन देख.....तमाम नियम कायदे कानून सुना डालें.....
झिड़कते हुए, अपमानित कर आवेदन लौटाते बोला यह परमिशन कतई नहीं हो सकती.....
संगत के जिम्मेदार रूआँसें लौटे.....संगत की गोष्ठी में सभी को वस्तुस्थिति बतलाई.....
संगत गहरे सोच में.....किसी को कोई रास्ता, कोई उपाय नजर नहीं आ रहा.....
एक ने सुझाव दिया क्यों ना इस स्थिति से पूज्य "महाराज जी" को अवगत कराया जाये.....
पहले तो सभी ने कहा.....इतनी सी बात भला कैसे पूज्य "महाराज जी" को बतलायें.....?
फिर विचार करा तो.....इसके अतिरिक्त और कोई राह नजर न आई.....
पूज्य "महाराज जी" से संपर्क कर.....पूरी बात बतलाते दया मांगी.....
पूज्य "महाराज जी" ने मौज फरमाई....."काम हो जायेगा सबसे बड़े अधीकारी से मिलो".....
अब.....?.....जब निचले ने ही स्पष्ट मना कर दिया.....सबसे बड़ा.....वो तो.....?
....."गुरू महाराज के हर आदेश का पालन तो हर हालात में होना ही चाहिए".....
जब जिम्मेदार संगत की गोष्ठी से लौट रहे तो आफिस सामने आया....अंदर गये.....
बड़े साहब के सहायक (पीऐ) मिले.....उनके पूछने पर परमिशन की अर्जी सामने कर दी.....
सहायक (पीऐ) अर्जी लेकर बोले....."चलिए आपको मैं साहब से ही मिलवा देता हूँ....."
बड़े साहब अर्जी देख बोले "पहले इसमें कनिष्ठ अधीकारी की अनुशंसा तो लिखा लाईये....."
इतने में सहायक (पीऐ) मोबाइल लेकर अंदर आये, साहब से बोले संबंधित कनिष्ठ अधिकारी
आपसे चर्चा करना चाह रहे.....उनकी आपस में विषयगत चर्चा हुईं.....फिर बड़े साहब ने पूछा
"अरे यह जयगुरूदेव वाले आयें हैं कार्यक्रम की परमिशन मांग रहे....क्या करना है.....?"
उधर से कनिष्ठ अधिकारी बोले "अरे ये "जयगुरूदेव" वाले हैं.....आप तो परमिशन दे दिजिये,
कोई परेशानी नहीं, कोई समस्या नहीं, आप जैसा कहेंगे, मै वैसी अनुशंसा लिख दूंगा.....
फिर बोले....."मेरी उनसे बात करवा देवें उनसे 'जयगुरूदेव' कहना है....."
इधर संगत के जिम्मेदार उनसे चर्चा करें.....उधर बड़े साहब ने अनुमति लिख दी.....
जब कक्ष से सभी बाहर आये तो सहायक (पीऐ) बोले.....
"मैनें पहली बार इतनी जल्दी अनुमति मिलते देखी....वो "रूहानी ताक़त" ने हमसे अपना कार्य
करवाया....."आपको मालूम नहीं ?...आज रविवार है, रात्री के समय है.....वो तो साहब कल से
तीन दिवस के अवकाश पर जा रहे हैं, जरूरी कार्य पूर्ण करने हैं इसलिए आफिस खुला है....."
खैर.....!
हम अक्सर भूल जाते हैं.....
हम शहंशाहों के शहंशाह बादशाहों के बादशाह युग महापुरूष
परम पूज्य परम संत "बाबा जयगुरूदेव जी महाराज"के बच्चे हैं.....
और उनके जानशीन, धरती के सरताज.....
पूज्य परम संत "बाबा उमाकांत जी महाराज".....
"रूहानी काफिला" दिनांक 02 अक्टूबर 2016 को उज्जैन आश्रम (मध्यप्रदेश) से प्रारंभ हुआ था .....
जय गुरू देव.....
शेष क्रमशः अगली पोस्ट 32. में पढ़ें ...👇
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Jaigurudev