जयगुरुदेव
20.09.2024
प्रेस नोट
अहमदाबाद (गुजरात)
*कोरोना तो था ट्रेलर, भविष्य में कई ऐसी बीमारियां आएंगी कि कोई किसी का नहीं होगा मददगार*
*24 में से 2 घंटे प्रभु को पाने के लिए दे दो, प्रभु गुरु से प्रेम कर लो*
इस समय के पूरे त्रिकालदर्शी समर्थ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 15 सितम्बर 2024 को निकोल, अहमदबाद गुजरात में अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि यह जो भजन, सुमिरन, ध्यान करना और जो (पांच) नाम बताऊंगा, इस नाम की डोर को अगर पकड़ लोगे, नाम का जाप अगर आप करने लग जाओगे तो ये यहां का और वहां का साथी का हो जाएगा।
*जब मौत के फरिश्ते आते हैं तो कोई मददगार नहीं होता*
जब मौत का फरिश्ता जिस्म शरीर को खाली कराने के लिए आता है, कहता है, जल्दी खाली करो, समय हो गया, तब सब खड़े रहते हैं, कौन? आस पास योद्धा खड़े सभी बजावे गाल। महल से हमको ले चले, ऐसे काल कराल।। काल के दूत आत्मा को निकाल करके ले जाते हैं, बाकी सब धन, दौलत, पुत्र, परिवार, जाति-बिरादर, शक्तिशाली ताकतवर लोग सब खड़े रहते हैं।
*आगे गुरु प्रभु के अलावा कोई मददगार नहीं होगा*
जिसको लिए आप जान दे दो, जिसको सब सौंप दो, जिसके लिए सब कुछ कर दो, सब देखते रहते हैं। कोई पानी पिला देगा, रोटी खिला देगा, हाथ-पैर दबा देगा, अस्पताल में भर्ती करा देगा लेकिन जब कोरोना आ गया तब दूर-दूर से सलाम करेंगे। जब सबकी दाढ़ी में आग लगती है तो अपनी बुझाते हैं। कोरोना तो ट्रेलर था, अभी देखो बीमारियाँ कैसी-कैसी आएँगी। कोई किसी का मददगार होगा? नहीं होगा। तो रिश्ता उतना ही रखो जितना जरूरी है। बाकी तो दुनिया के रिश्तों से क्या वास्ता, सिर्फ रिश्ता तुम्हारा निभाता चलूं।। उस मालिक का, आपका जो रिश्ता है, उस रिश्ते को निभाओ।
*दो घंटा का समय दान में दे दो फिर देखो गुरु का जलवा*
आप कहोगे कि बच्चों पत्नी का क्या होगा। 24 घंटे में से 22 घंटा इस काम में दे दो और दो घंटा प्रभु को पाने के लिए दे दो, प्रभु से प्रेम कर लो। प्रभु को अगर नहीं देखे हो तो गुरु से प्रेम कर लो, जिसको देखे हो, जिसके लिए कहा गया- गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पांव। बलिहारी गुरु आपने जिन गोविंद दियो बताय।। उनसे प्रेम कर लो तो आपकी मदद करेंगे। कभी धोखा नहीं देते हैं। धोखा मालूम भी पड़े, कोई बात अगर खराब लगे भी तो समझो उसमें भी भलाई है। उसमें भी भलाई समझना चाहिए। हमारी तो आपके लिए शुभकामनाएं हैं। आपने स्वयं अनुभव किया कि जब गुरु वचनों को माना तो किसी भी तरह से आपको कोई नुक्सान नहीं हुआ और जब ये रास्ता आपने छोड़ा तो कदम-कदम पर तकलीफें आने लग गयीं। इसलिए बात समझो, मानो।
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