जीव जीवन रक्षक भंडारा 2024 की कुछ रोचक बातें (1.)

जय गुरु देव
✩ प्रार्थना 

गुरुदेव मेरी नैया, उस पार लगा देना। 
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा लेना ।।

संभव है झंझटों में, मैं तुमको भूल जाऊँ। 
पर नाथ दया करके, मुझको न भुला देना।।

दल बल के साथ माया, घेरे जो मुझे आकर। 
तुम देखते न रहना, झट आके बचा लेना।।

तुम देव मैं पूजारी, तुम इष्ट मैं उपासक । 
चरणों में पड़ा तेरे, हे नाथ निभा लेना।।

गुरुदेव मेरी नैया, उस पार लगा देना। 
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा लेना।।


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जीव जीवन रक्षक भण्डारा 2024

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✩ भूमिका 

वृक्ष कबहुँ न फल भखै, नदी न संचय नीर। 
परमारथ  के  कारने,  संतन  धरा  शरीर ।।

इस धरती पर सन्तों का प्रादुर्भाव केवल जीवों के कल्याण के लिए ही होता है। सन्त सतगुरु हमेशा इस धरती पर विद्यमान रहकर मृत्युलोक में सभी जीवों की सम्हाल करते रहते हैं और इस स्थूल शरीर को चलाने वाली शक्ति (जीवात्मा) के कल्याण का भी कार्य निरंतर करते रहते हैं। चौरासी लाख योनियों में सर्वश्रेष्ठ एवं देव-दुर्लभ कहे जाने वाले मनुष्य शरीर को चला रही जीवात्मा को इस दुखों के संसार से हमेशा-हमेशा के लिए निकालने का अथक प्रयत्न करते रहते हैं, जिस पीड़ा के बारे में सन्त सहजो बाई ने कहा कि -

सहजो मरने के समय, उठते दुःख अपार ।
डंक मारें एक साथ ज्यों, बिच्छू साठ हजार।

दयालु सन्त सतगुरु जीवात्मा को इस जन्म-मरण की असहनीय पीड़ा से मुक्त कराकर अपने निज घर, उस परम् पिता परमात्मा (सार्वभौमिक शक्ति) के पास पहुँचा देते हैं, जिसकी ये अंश है। ऐसा जीव फिर कभी लौटकर वापस इस दुनिया-संसार में दुःख झेलने के लिए नहीं आता है। सन्त सतगुरु बड़े ही दयालु होते हैं और केवल परमार्थ के लिए ही अपनी हर एक श्वांस को खर्च करते हैं।

कलयुग में आदि-सन्त कबीरदास जी से लेकर वर्तमान तक की श्रृंखला में बहुत से सन्त आये जिन्होंने अपने-अपने समय में जीव कल्याण हेतु कार्य किये। सन्तमत की परंपरा के अनुसार जब (एक) वक़्त के सन्त सतगुरु चोला (शरीर) छोड़ते हैं तो पहले से ही अपने द्वारा तैयार किये हुए समर्थ शिष्य को वक़्त के सन्त सतगुरु के रूप में अपनी समस्त जिम्मेदारी सौंप देते हैं। 

इस प्रकार वक़्त के हर सतगुरु अपने-अपने समय में जीव कल्याण का कार्य करते हैं। ऐसे ही सन्तों में निजधाम वासी परम् सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज भी आये थे।

वक़्त के सन्त सतगुरु बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज अपने गुरु बाबा जयगुरुदेव जी की पुण्य तिथि ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के अवसर पर प्रति वर्ष भण्डारा कार्यक्रम करते हैं और वहाँ हाजिर रूहों पर दया की बरसात करते हैं। इससे लोगों को तकलीफों में राहत तो मिलती ही है साथ ही साथ उनकी आध्यात्मिक उन्नति भी होती है।

आगे आने वाले विकट समय को जब देखा कि विश्व बारूद के ढेर पर खड़ा है और मनुष्य धर्म के मार्ग से हटकर गंदगी की ओर तेजी से बढ़ रहा है तो देश-विदेश के लोगों को अज्ञानता रूपी नींद से जगाकर परमात्मा रूपी सत्य का बोध कराने हेतु वक्त के सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अपने प्रेमियों के माध्यम से 'जीव जागरण धर्म यात्रा' के तीन चरण सफलता पूर्वक संपन्न कराए और जीवों की रक्षा के लिए 'जीव जीवन रक्षक भण्डारे' का आयोजन किया।

कुछ यूं कहें तो यह बिलकुल सार्थक सिद्ध होता है कि -

पहले चेताया फिर जगाया, संदेश अपना जन-जन तक पहुँचाया। बाबाजी ने जीव-जीवन रक्षक भण्डारे को, दया लुटाने का जरिया बनाया। भण्डारे का प्रसाद जिसने अपने हाथों से पाया, उम्मीद से ज्यादा दया का अनुभव जताया।।


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✩ जीव जीवन रक्षक भण्डारा 2024 

बाबा जयगुरुदेव जी महाराज का जीव-जीवन रक्षक वार्षिक भण्डारा दिनांक 2, 3, 4 जून 2024 बाबा जयगुरुदेव आश्रम उज्जैन का आयोजन विशेष आगाज के साथ हुआ।

यह कि गरीब से लेकर अमीर तक, अनपढ़ से लेकर विद्वान तक, कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक व सामान्य नागरिक से लेकर राजनेता तक कोई भी व्यक्ति इस 2024 के वार्षिक भण्डारा से अछूता नहीं रहा।

पूरे भारत देश के साथ अनेक देश जैसे यू.एस.ए., यू.ए.ई., ओमान, बहरीन, ग्वाटेमाला, कनाडा, यूके, कतर, स्पेन, मॉरीशस, मलेशिया, सिंगापुर, टोगो, माल्टा, मंगोलिया, रूस इत्यादि से आये लोगों ने भी इस भण्डारे में शरीक होकर फायदा उठाया। कार्यक्रम की कुछ ऐसी विशेषताएं अवश्य रही हैं जिन्होनें लाखों आगन्तुको के साथ-साथ, उज्जैन के पुलिस-प्रशासन, अधिकारी, कर्मचारी, व्यापारी आदि के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी है।

कार्यक्रम की तैयारियाँ लगभग एक महीने पहले से ही शुरू हो गई थीं। सेवादार नियमित रूप से आश्रम पहुँच रहे थे।

प्रतिदिन सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच पूज्य महाराज जी बाहर आकर लोगों को दर्शन देते और उनकी दुःख-तकलीफें सुनते। शाम 6 बजे ध्यान-भजन की घंटी बजती और 6:30 बजे पूज्य महाराज जी मन्दिर परिसर में आकर प्रार्थना और ध्यान-भजन का कार्यक्रम स्वयं संचालित करते। इसके बाद वे फिर से दर्शन देते।

ऐसा प्रतीत होता था कि गुरु महाराज सुबह के दर्शन से लोगों में ऊर्जा का संचार करते, दोपहर में नए सेवादारों को दर्शन देते और शाम के समय दर्शन देकर सेवादारों की दिनभर की थकान को हर लेते, जिससे वे फिर से तरोताजा महसूस कर सकें।

यह आध्यत्मिक मेला आश्रम पर 150 एकड़ में फैला हुआ था और चारों ओर सेवा में जुटे सेवादारों की चहल-पहल देखने को मिल रही थी। तन, मन और धन से समर्पित ये सेवादार आने वाले श्रद्धालुओं की मेजबानी के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे थे। इनकी सेवा भावना और उत्साह को देखकर सभी के मन में असीम श्रद्धा और समर्पण का भाव जागृत हो रहा था।


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✩ खुशनुमा प्रकृति 

जहाँ इस समय सम्पूर्ण देश गर्मी की तपन से झुलस रहा था वहीं इस भण्डारा मेला परिसर में 10-15 दिन से दिन में पसीना न आने देने वाली हवा और रात्रि में चादर ओढ़ने वाली ठंडी हवा बहती रहती थी।


✩ विशेष साधना शिविर 

26 मई को गुरु महाराज की असीम दया से माता-बहनों के लिए एक हफ्ते का साधना शिविर आयोजित किया गया। इस शिविर में माताओं-बहनों ने गुरु की दया का भरपूर लाभ उठाया।

बाद में भाईयों के लिए भी अलग से साधना शिविर का आयोजन किया गया। जो भी लोग साधना कर अंतर में गुरु की दया प्राप्त किये, उनके चेहरे पर सुकून और चमक साफ दिखाई देती रही।


✩ विभिन्न विभागों से व्यवस्था का संचालन 

आश्रम में आने वाले भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए बाबा जयगुरुदेव आश्रम पर अनेक विभाग बनाए गए थे। आई.टी., एनआरआई, यातायात, बिजली, अतिथि आवास, भण्डारा, बैठक व्यवस्था, पूछताछ, खोया-पाया, स्वास्थ्य, स्वच्छता, सुरक्षा, जल आपूर्ति, मीडिया आदि विभागों और उनके सेवादारों ने इस महापर्व की व्यवस्था का संचालन किया।

इस कार्यक्रम में सदैव बड़ी संख्या में भक्तों का आगमन होता है इसलिए इस दौरान कुछ विशेष ट्रेनों का ठहराव आश्रम के पास वाले पिंगलेश्वर स्टेशन पर किया गया था।

परम् पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज प्रतिदिन समस्त व्यवस्थाओं का जायजा लेते थे और आवश्यक दिशा निर्देश भी देते रहते थे।

हजारों डेरे-रावटियां, 100 से ज्यादा भोजन भण्डारे, 1500 से ज्यादा शौचालयों की व्यवस्था की गई

इस वार्षिक भण्डारा पर्व में सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज के दर्शन, सतसंग, दिव्य पाँच नाम (नामदान) और भण्डारे का विशेष प्रसाद लेने के लिए लाखों की संख्या में भक्त आए। इन भक्तों के लिए 100 से अधिक भोजन भण्डारे, 1500 से ज्यादा शौचालय एवं स्नानघर और विश्राम के लिए उज्जैन और इंदौर से हजारों की संख्या में डेरे-रावटियाँ आश्रम के मैदान में लगाए गए थे।

खास बात यह थी कि बिना किसी सरकारी अनुदान के चलने वाली इन सारी व्यवस्थाओं को जयगुरुदेव सेवादार प्रेमियों द्वारा किया गया।

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✩ सधुक्कड़ी भोजन भण्डारे 

भण्डारा मेला परिसर में सैकड़ों भोजन भण्डारे चल रहे थे, जिनमें साधारण भोजन रोटी-सब्जी, दाल-चावल सभी का मन मोह रहे थे। चटपटी चीजों और मिठाइयों से लगभग सभी ने परहेज रखा था।

जैसे एक साधु को साधारण भोजन प्रसाद पर निर्वाह करना चाहिये, उसी तरह लाखों साधक साधारण, पर अमृत तुल्य भोजन प्रसाद पाकर प्रसन्न थे।

कोई कहीं भी, किसी भी भण्डारे में जाकर भोजन प्राप्त कर सकता था। प्रत्येक भण्डारे में कॉफी, नाश्ता, दोपहर और शाम के भोजन की व्यवस्था थी। यहाँ तक कि चौबीस घंटे में कहीं भी जाकर भोजन प्राप्त किया जा सकता था। अलग-अलग प्रांतों के भण्डारे चले, साथ में विशेष रूप से एक तपस्वी भण्डारा भी चलाया गया था।


✩ समुचित जल प्रदाय व्यवस्था 

गर्मी में भक्तों को पानी की दिक्कत न हो इसके लिए नव निर्मित 7 लाख लीटर की क्षमता वाली पानी की टंकी एवं 1 करोड़ 20 लाख लीटर की क्षमता वाले जल सरोवर का उपयोग किया गया।

पूरे परिसर में नहाने-धोने व पीने के पानी की समुचित व्यवस्था थी। भण्डारों में जलापूर्ति के लिए टंकी से पाइप लाइन बिछाकर पानी पहुँचाने की सुन्दर व्यवस्था थी। प्रत्येक भण्डारे, स्नानघर, शौचालय तक आवश्यकतानुसार छोटी-बड़ी पाइप लाइन से पानी पहुँचाया गया। पानी की आपूर्ति सबको लगातार मिलती रहे, इसके लिए पानी के टैंकरों की व्यवस्था भी अलग से वैकल्पिक रूप में की गई थी।


✩ सफाई व्यवस्था 

साफ-सफाई की सराहनीय व्यवस्था देखने को मिली। मेला परिसर में कहीं भी किसी भी प्रकार की गंदगी का नामोनिशान नहीं था। ट्रैक्टर-ट्राली के जरिए लगातार सभी भण्डारों के पास जा-जाकर वहाँ पहले से लगाए गए डस्टबीन/बोरों में इकट्ठे किए गए दोने, पत्तल व गिलास उठाकर सफाई सेवादार ले जाते और दूर गड्ढे में दबा देते। ये कार्यक्रम निरंतर चलता ही रहता था। कहीं भी गंदगी दिखाई नहीं देती थी।


✩ सुरक्षा व्यवस्था 

तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था चल रही थी। सुरक्षा सेवादार प्रेमी 24 घंटे सेवा में लगे रहने में अपना अहोभाग्य मानते रहे। कुल मिलाकर कहें तो सुरक्षा व्यवस्था लोगों को बहुत ही चाकचौबन्द लगी।


✩ स्वास्थ्य एवं चिकित्सा व्यवस्था 

प्रेमियों को किसी तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी न हो इसके लिए जगह-जगह प्रान्तीय व जिले के कार्यालयों के साथ-साथ संस्था के स्थाई अस्पताल बाबा जयगुरुदेव रोगान्तक संस्थान के चिकित्सकों द्वारा रोगियों के लिए दवाओं का निःशुल्क वितरण किया जा रहा था। इन चिकित्सालयों में लोगों की भारी भीड़ देखी गयी। लोगों का विश्वास है कि यहाँ के सेवा भावी डॉक्टरों द्वारा दी जा रही दवाओं के साथ गुरु महाराज की दया-दुआ भी काम करती है।


✩ बिजली आपूर्ति व्यवस्था 

दो से तीन किलोमीटर लम्बाई तक फैले इस भण्डारे क्षेत्र में बिजली लाइनों का जाल बिछाया गया था। रात्रि में कोई कोना ऐसा नहीं बचा था जहाँ रोशनी न हो। 24 घंटे बिजली की आपूर्ति निर्बाध रूप से बिजली सेवादारों द्वारा की गयी।


✩ विदेश संगत के लिए व्यवस्था 

यू.एस.ए., यू.ए.ई., ओमान, बहरीन, ग्वाटेमाला, कनाडा, यूके, कतर, मॉरीशस, मलेशिया, सिंगापुर, स्पेन, टोगो, माल्टा, मंगोलिया, रूस आदि देशों से पधारे प्रेमियों के लिए अलग से व्यवस्था बनाई गई थी। जिससे किसी को किसी भी तरह की परेशानी न हो।

इसके लिए ऐसे सेवादारों को लगाया गया था जो उनसे वार्तालाप करके, उनकी समुचित व्यवस्था कर सकें। इनके लिए ए.सी. डायनिंग हॉल, रिहायसी ए.सी. हॉल, डॉरमेट्री व रूम आदि की व्यवस्था की गई थी।


✩ अतिथि आवास व्यवस्था 

आने वाले गणमान्य व्यक्तियों व अतिथियों के लिए मुख्य बिल्डिंग में अलग से व्यवस्था की गई थी। योग्य सेवादार लगाये गए थे कि आने वालों को यह न महसूस हो कि उनका उचित सम्मान व व्यवस्था का ध्यान नहीं रखा गया। यह सभी विशेष तौर पर प्रशिक्षित लोग थे।


✩ प्रशासन व पुलिस प्रतिक्रिया 

प्रशासन के अधिकारीगण गुरु महाराज और उनके समर्पित सेवादारों की प्रशंसा करते सुने गये। हर विभाग के सेवादार, गुरु महाराज से ऊर्जा प्राप्त करते और प्रेरणा लेकर इस महापर्व को सफल बनाने में पूरी तन्मयता से लगे रहते।

प्रशासन और पुलिस वाले यह देखकर आश्चर्यचकित थे कि गुरु महाराज के प्रेमी कितने सुनियोजित और व्यवस्थित तरीके से सारी सेवाओं और जिम्मेदारियों को अंजाम दे रहे हैं और उन्हें किसी भी तरह की कोई तकलीफ महसूस नहीं हो रही है। पुलिस और प्रशासन के लिए यह एक चमत्कार जैसा था। उन्हें लगा कि जैसे कोई दिव्य शक्ति इस पूरे कार्यक्रम को संभाल रही हो।

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सतसंग, नामदान और गुरु दर्शन के साथ वार्षिक भण्डारे का भव्य शुभारंभ (2 जून 2024)

बाबा उमाकान्त जी महाराज के सानिध्य में पूज्य सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के 12वें वार्षिक जीव जीवन रक्षक भण्डारे का शुभारंभ 2 जून 2024 को प्रातः 4:30 बजे सतसंग, नामदान और गुरु के दर्शन के साथ हुआ।

महाराज जी ने बताया कि मनुष्य शरीर किराये का मकान है और इसका असली उद्देश्य जीते जी प्रभु को पाना है। उन्होंने समझाया कि सन्त-सतगुरु किसी दाढ़ी, बाल या वेशभूषा का नाम नहीं होता। शिव नेत्र सबके पास है, जो समरथ गुरु की दया से खुल सकता है। कलयुग में प्रभु प्राप्ति का सरल मार्ग पांच नाम के नामदान का है, जो आदि से चला आ रहा है और अंत तक रहेगा। बाबा उमाकान्त जी ने शाकाहारी, नशामुक्त जीवन जीने और ईश्वर के दर्शन के लिए नामदान (गुरु दीक्षा) का महत्व बताया।


✩ शाकाहार, सदाचार और नशामुक्ति का आह्वान 

बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के इस 12वें वार्षिक जीव जीवन रक्षक भण्डारे में बाबा उमाकान्त जी महाराज ने मांसाहार त्यागने, जीवों पर दया करने, शाकाहारी जीवन अपनाने और शराब जैसे बुद्धिनाशक नशे का त्याग करने की अनिवार्यता बतायी। इसके साथ-साथ उन्होंने ईश्वर की प्राप्ति हेतु मार्ग जिसे नामदान कहते है (गुरु दीक्षा) दिया।


धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक प्रतिनिधियों सहित म.प्र. के मुख्यमंत्री जी ने लिया बाबा उमाकान्त जी महाराज का आशीर्वाद

बाबा जयगुरुदेव जी के 12वें वार्षिक भण्डारा कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी व अन्य गणमान्य लोगों ने पहुँचकर वक्त के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज से आशीर्वाद लिया।

महाराज जी ने बताया कि "गुरु महाराज के भण्डारा कार्यक्रम में बराबर आने और प्रसाद लेने का फल इनको (वर्तमान मुख्यमंत्री, म.प्र.) मिला। वे विधायक से शिक्षा मंत्री और अब गुरु महाराज की दया से मुख्यमंत्री बने हैं।"

गुरु महाराज ने आगे कहा - "ये धार्मिक, शाकाहारी, नशामुक्त हैं। ऐसे व्यक्ति के हाथ में प्रदेश की बागडोर आयी है। यह कुछ करके दिखाएंगे, उस शक्ति के लिए हम गुरु महाराज से प्रार्थना करेंगे।" मुख्यमंत्री जी ने बताया कि "महाराज जी के शाकाहारी नशामुक्ति अभियान की प्रेरणा से सरकार ने खुले में मांस के विक्रय को प्रतिबंधित किया और पाठ्यक्रम में अच्छे शिक्षाप्रद धार्मिक प्रसंग भी जोड़े हैं।" महाराज जी के आशीर्वाद से विधायक से मुख्यमंत्री बनने के सफर को याद करते हुए डॉ. मोहन यादव जी ने आगे के लिए भी बाबा उमाकान्त जी महाराज से दया आशीर्वाद बनाए रखने की प्रार्थना की।


✩ सम्मान समारोह (3) जून 2024) 

जीव जीवन रक्षक भण्डारे 2024 के अवसर पर संस्था द्वारा उज्जैन नगर के सिख समाज के प्रमुख जत्थेदार सरदार सुरेंदर सिंह अरोड़ा, दाउदी बोहरा समाज के जनाब कुतुब फातेमी, पूर्व मंत्री श्री पारस जैन, सांसद श्री जगदम्बिका पाल समेत अनेक गणमान्य नागरिकों के साथ-साथ कार्यक्रम में विदेशों से आये भक्तजनों का भी सम्मान किया गया। इस दौरान समस्त समाजसेवियों ने महाराज जी की संस्था द्वारा शाकाहार, नशामुक्ति, सदाचार के लिए चलाए जा रहे अभियान की मुक्त कंठ से प्रशंसा व सराहना की।


✩ गुरु पूजन कार्यक्रम 

03 जून 2024 की रात्रि में लगभग 9 बजे पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अपने गुरु का पूजन किया और गुरु की दया दुआ का प्रसाद बनाया। तत्पश्चात् प्रेमियों द्वारा पूजन कार्यक्रम शुरू किया गया। मन्दिर में पूजन के लिए हर तरफ से प्रेमियों की दो-दो लाईन चल रही थीं। इस तरह से आठ लाइनें एक साथ चल रही थीं। फिर भी प्रेमी भाई-बहनों की लम्बी-लम्बी कतारें पूजन के अमृतमयी प्रसाद को अपने हाथ से लेने के लिए लगी हुयी थीं।

महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग लाइनें बनायी गयी थीं। यह पूजन कार्य 04 जून 2024 की शाम तक चलता रहा। 04 जून 2024 की शाम के सतसंग के बाद कार्यक्रम विधिवत सम्पन्न हो गया।

इस बार प्रेमियों में गजब का उत्साह देखा गया। कुछ ऐसे गुरु प्रेमी भी इस कार्यक्रम में देखे गए जो पहले यहाँ नहीं आये थे लेकिन इस बार गुरू का प्रेम उन्हें भी खींच लाया और गुरू की दया-दुआ का प्रसाद पाकर उन्होंने भी अपने को धन्य माना।

मन्दिर की सजावट भी बहुत अच्छे तरीके से की गयी थी। कुल मिलाकर कहा जाय तो मन्दिर की अद्भुत छटा, पूरे मेला परिसर और मन्दिर में पूजन हेतु अपनी बारी की प्रतीक्षा करते प्रेमीजन खास कर मन्दिर प्रागंण में गुरु की दया की अदृश्य धारें प्रेमियों को अन्दर- बाहर से सराबोर किये जा रही थीं। 

इसका वर्णन शब्दो में करना असम्भव है। यहाँ पर तो "जिन्हें परापत सोई जाना" वाली चौपाई ही सत्य सिद्ध हो रही थी।


शेष क्रमशः अगली पोस्ट no.2 में...

साभार, (पुस्तक) जीव जीवन रक्षक भंडारा 2024  
Jeev-jivan-rakshak-bhandara-2024

✩ जयगुरुदेव





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