*जयगुरुदेव*
*सुमिरन,ध्यान और भजन करने के चरण और अभ्यास*
▶ संतमत का प्रमुख आधार सुमिरन, ध्यान, भजन करने से पहले
एक प्रार्थना करे, 5 मिनट जयगुरुदेव नामध्वनी करने के बाद वक्त के गुरु- महाराज जी को प्रणाम करके, पांचो नामो के क्रमश: प्रत्येक रूपों को प्रणाम करके फिर सुमिरन, ध्यान, भजन करना शुरू करें।
▶ प्रेमियो, अपने पूरे मन को एकाग्रचित करके सुमिरन, ध्यान और भजन को करें।
▶ सुमिरन में प्रेमी, जिस नाम की माला करेगें उनके रूप का ध्यान करेगें:- पहली, दूसरी और आखिरी माला मे वक्त के गुरु महाराज जी का ध्यान और पांच माला पांच नामों के रूपों की होगी।
▶ ध्यान में अपनी दृष्टि को अंदर में एक जगह पर टिकायेंगे।
▶ भजन में दोनों कानों में अपनी उगंली को लगाकर के ऊपरी लोकों से आ रही आवाज को सुनने की कोशिश करेंगे।
▶ सुमिरन, ध्यान और भजन को कर लेने के बाद आखिरी में पुनः पहले की तरह से महाराज जी को याद करके, पांचो नाम के रूपों को प्रणाम करके महाराज जी से अंदर में दया-दुआ-बरकत को मांगेंगे। फिर 5 मिनट जयगुरुदेव नामध्वनी करके आप अपना रोजमर्रा के कार्य कर सकते हैं।
▶ सुमिरन को दिन में एक बार करना आवश्यक है चाहे तो दो बार भी कर सकते हैं। ध्यान और भजन प्रेमी कितनी ही बार कर सकते हैं।
▶ प्रेमियों, महाराज जी के आदेशानुसार- एक घंटा सुबह और शाम सपरिवार के साथ में बैठकर जयगुरुदेव नामध्वनी भी बोलें।
▶ सुमिरन, ध्यान, भजन बराबर करते रहने से और नामध्वनि बोलते रहने से बीमारी, दुखःतकलीफ से छुटकारा तो मिलता ही है साथ ही लोक और परलोक बनाने में भी मदद मिलती है।।
*जयगुरुदेव नाम लेते रहो *
*आगे बढते रहो*
*जयगुरुदेव*
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Jaigurudev