ये सब सत्संगी तुमको सबको सिखा देंगे। इनके सिर पर जो टोपियां रखी हैं यह इनका राजतिलक है। इसकी हिफाजत, रक्षा, मर्यादा देश में रहेगी। तुम इसकी हंसी करते हो। यह हनुमान की टोपी है। इसको लगाकर हनुमान लंका जलाकर अयोध्या आ गये।
देश के जिम्मेदार अध्यापक जो प्राइमरी स्कूलों के हैं उन्हे 300 रु. मिलेगा। कौन देगा ? इससे तुम्हें क्या मतलब। भगवान देगा उसकी भेजी हुई शक्तियां देंगी। उसके बाद जिम्मेदार विद्यार्थी हैं। क्या आप इनको नौकरी दे सकते हैं ? इन सब विद्यार्थियों का जीवन अंधकार मय है। सभी सुखमय जीवन व्यतीत करना चाहते हैं।
विद्यार्थियों के बारे में बता रहा हूं कि आगे समय में विद्यार्थियों को स्कूल से निकलने के बाद एक महीने तक आराम करने की अनुमति मिलेगी। कोई खाली नहीं बैठ सकता। हर एक को नौकरी या काम मिलेगा। राष्ट्र और समाज का हर प्रकार से विकास होगा। भारत के विकास पर दुनियां के लोग दांतों तले उंगली दबायेंगे।
सब लोग संस्कृत पढ़ें वर्ना आगे पद नहीं मिलेगा। संस्कृत हमारे ज्ञान विज्ञान की भाषा है। सन् 70 से 80 तक देश व दुनिया का कचूमर निकल जायेगा। अपने रजिस्टर काॅपी किताब पर इसको नोट कर लें। दिल्ली लखनऊ के लोग सुनें। सब पहले अपना काम करते हैं। मांस, मछली, मुर्गी, अण्डे, शराब, ताड़ी, गांजा, भांग, अफीम का सेवन नहीं छोड़े तोड़फोड़ आन्दोलन हड़ताल बन्द नहीं किये तो उनके हाथ से शासन चला जायेगा।
शासन धार्मिक लोगों के हाथों में पहुंच जायेगा। आप शाकाहारी बनें। लड़ाई को लेकर के अगर सेवा का अवसर आयेगा तो इतने करोड़ लोगों के साथ में आपका सहयोग करुंगा।
स्वामी जी ने जनता से पूछा कि जो लोग चाहते हैं कि सत्य वात सुनाया जाये तो हाथ उठावें। सबने हाथ उठाया। स्वामी जी ने कहा कि देश की आबादी 65 करोड़ है, पांच आदमी कम या पांच आदमी ज्यादा। इसका मुझे स्वप्न हुआ है इसमे कोई गल्ती नहीं। 65 करोड़ में 20 करोड़ बालक निकल जाते हैं। 45 करोड़ लोग बालिग हैं। मतदाता की सूची में केवल 27 करोड़ का नाम लिखा है। 18 करोड़ बालक ने क्या गुनाह किया। क्या वे राष्ट्रभक्त नहीं हैं जो उनका नाम नहीं लिखा गया।
27 करोड़ की सूची में कुल 14 करोड़ 45 लाख लोगों ने वोट दिया। बारह करोड़ पचपन लाख उसमें भी बच गये। कुल मिलाकर एक तरफ 30 करोड़ 55 लाख हुए और एक तरफ 6 करोड़ 45 लाख व अन्य लोगों को मिला। यह कोई प्रजातंत्र नहीं है जिसने भाई-भाई, मित्र-मित्र, चाचा-भतीजा, पार्टी-पार्टी, पति-पत्नि को लड़ा दिया। शराब ताड़ी पिलाया। आन्दोलन, तोड़फोड़, हड़ताल कराया। पहली गल्ती मेरी है कि मैंने बताया नहीं। मैं उस प्रभु के आदेश का पालन करता हूं।
कोई भी अनैतिक कार्य करने की जरुरत नहीं है इससे प्रजातंत्र सुखी नहीं हो सकता। दिल्ली की गद्दी पर बैठकर कोई भी माई का लाल 70 से 80 तक देश की गरीबी नहीं मिटा सकता और न सस्ती ला सकता है। अभी हम पत्तियों का वर्णन कर रहे हैं डाल का वर्णन कर दे तो तुम्हें नींद न आये।
बड़े ध्यान से सुनें। आगे ऐसा समय आ रहा है कि जिसमें आपको नाक से भोजन करना होगा। मुंह से भोजन करने को मिलेगा नही तो मांगोगे कि नाक से ही सूंघ लें। आपके पापों का घड़ा भरा है। कलयुग में लोगों को इतना अभिमान हो गया है कि इसने सबके ईमान बरबाद कर दिया।
सब समझते थे कि अंग्रेजों को कोई निकाल नहीं सकता। याद रखना कि अगर गांधी जी की बात सही निकली तो इस बाबा की बात भी सच्ची हो जायेगी।
मुझे याद है कि मेरे बचपन में जब महात्मा गांधी लोंगों से कहते थे कि मुझे सहयोग दीजिए, भारत से अंग्रेजों को निकाल दिया जायेगा। तब ये सब बड़े लोग, सेठ साहूकार, जमीदार हंसी करते थे कि ये कैसा बाबा आया है जो कहता है कि अंग्रेजों को निकाल देंगे।
स्वतंत्रता मिलने पर यही बड़े लोग आगे की लाइन में खड़े हो गये और किसान मजदूरों को पीछे ढकेल दिया। जब अंग्रेज जाने लगे तो इन लोगों ने अंग्रेजी को बिल्ली के बच्चे की तरह रख लिया। इस अंग्रेजी ने सदाचार, खानपान, सेवा-प्रेम आदि बिगाड़ा। यह अंग्रेजी चली जायेगी और भारत में हिंदी संस्कृत राष्ट्रभाषा हो जायेगी। इसी सड़क पर गोरखपुर से लेकर अयोध्या तक आगे चलकर एक लाइन होगी।
आपको ऐसा शुभ अवसर मनुष्य शरीर में रहकर आत्मकल्याण के लिए मिला। हम कितने ही वर्षों तक साधुओं के साथ रहे उनकी कहाड़ियां और चिमटे मलते रहे, मार खाकर सेवा करते रहे। अगर मैंने ऐसी सेवा न की होती तो आज जो यह दृश्य आप देख रहे हैं न उपस्थित होता।
ये इतने लोग किराये पर नहीं आ सकते। आप भी इन्हें किराये पर ले जाकर देखो। इनके खाने पीने की व्यवस्था सोने के लिए छाया का ध्यान नहीं है। पर यह सुखी हैं यह अपने घरों से दौड़कर चले आते हैं। इन्हें कुछ मिलता है।
मैं गत वर्ष गर्मी में मलेशिया गया था वहां से यह चद्दर दो रुपये में लाया। वहां की चार आने की चीज यहां 25 रुपये में नहीं मिलेगी। मैंने दस दस हजार की संख्या में लोगों को सत्संग सुनाया। मैंने भारत के गौरव तथा आध्यात्मिक व दिव्य शक्ति का वर्णन किया और बताया कि आगे भारत वर्ष ही सारे विश्व का अगुआ होगा।
मेरी बातों को सुनकर बहुत से लोग मिलने आये और कहने लगे महाराज आपकी बातें हमें बहुत पसन्द आईं वहां मैंने पूछा कि 24 वर्षाें में भारत का विकास क्यों नहीं हो पाया ? उन्होंने कहा कि भारत वर्ष में किसी भी व्यक्ति में देश भक्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि आपके देश में प्रधानमंत्री से लेकर के चपरासी तक सब चोर हैं।
हम उनकी बात सुनकर सन्न हो गये। मैंने उनसे पूछा कि इंडिया के लोगों का यहां के बैंको में कितना रुपया जमा है। उन्होंने बताया कि केवल हमारे देश में जमा हिन्दुस्तान के लोगों का रुपया अगर भारत वर्ष लौट जाये तो पांच वर्षों में भारत सरसब्ज हो जाये इतना रुपया रखा है परन्तु तुम रोते रहते हो तुम्हारी कोई सुनवाई नहीं।
आपकी सुनवाई वह प्रभु या उनका भेजा हुआ मर्यादा पुरुषोत्तम महापुरुष ही करेगा। बाकी कोई नहीं कर सकता है। कोई भी माई का लाल नहीं है जो दिल्ली की गद्दीसे सन् 70 से 80 तक भारत की गरीबी दूर कर दे अभी महंगाई और बढे़गी, टैक्स बढ़ेंगे, शरणार्थियों के ऊपर प्रतिदिन दस करोड़ खर्च हो रहा है वह भी तुम्हारे ही सर पर है इसको कोई सेठ या कोई मिनिस्टर नहीं देगा, सब आपको देना है।
सेठ लोग आपसे चीजें सस्ती खरीदेंगे और ज्यादा तौलकर लेंगे। आप बाजार में लेने जाओगे तो आपको महंगी देंगे और कम तोलेंगे। इस तरह लेने देने और और दोनों में वे आपसे लेंगे। आगे समय में सोना चांदी सब चीजें महंगी हो जायेंगी।मशीन, टेलीफोन, अन्य सामान पेशाव करना तक, महंगा हो जायेगा।
अवध की राजधानी ऊपर के लोकों में है वहां सरयु का जल अत्यन्त निर्मल है उसमें कोई बालू के कण या गन्दगी नहीं है। वहां जाने से, उसमें स्नान करने से जीवात्मा अजर, अमर हो जायेगी। तुम्हें ज्ञान नहीं है कि गोस्वामी जी महाराज ने रामायण में किस अवध और सरजू का वर्णन किया है।
जयगुरुदेव
शेष क्रमशः अगली पोस्ट no. 10 में...
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