रामचरितमानस में लंका कांड में जब कुंभकरण को रावण ने जगाया और युद्ध का सारा हाल बताए, जिसे सुनकर कुंभकरण बहुत दुखी हुआ और उसे (रावण) को समझाया कि अभिमान छोड़कर श्री राम को याद कर तो कल्याण होगा।
रामचंद्र जी को कुंभकरण उस क्षण भक्ति भाव से याद करते हुए सब कुछ भूल गया। फिर उसने करोड़ों घड़े मदिरा तथा अनेकों भैंसों का सेवन किया। जिसके प्रभाव के कारण रणभूमि की तरफ अकेला ही मद में चूर लड़ाई के लिए निकल पड़ा और मारा गया।
अन्य दोष के प्रभाव से ही उसकी मति फिर गई। आज घर-घर में अंडा, मांस, मछली तथा मदिरा का लोग सेवन कर रहे हैं। इससे उनके अंदर अपराधिक प्रवृत्ति बढ़ रही है।
मन खराब होने से घरेलू हिंसा, ईर्ष्या, तलाक, ठगी, चोरी, जातिवाद, एरियावाद, आतंकवाद, बलात्कार आदि गलत भावों में लोग लिप्त हो गए हैं।
अतः मन को स्वस्थ बनाने के लिए, आपस में प्रेम भाव लाने के लिए हम सबको शाकाहारी होना होगा ।
पौष्टिक आहार शाकाहार
यह केवल भ्रम है कि- शाकाहार में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन नहीं होता, प्रोटीन केवल मांसाहार या अंडे में ही होता है। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ न्यूट्रिशन हैदराबाद द्वारा प्रकाशित पुस्तक में शाकाहार भोजन में पाए जाने वाले सभी पौष्टिक तत्वों का वर्णन किया गया है। जिसका अध्ययन करने से यही पता चलता है कि ताकत शाकाहार में ही है।
यह आवश्यकता निम्न शाकाहारी भोजन से पूरी की जा सकती है .
उपरोक्त तालिका में भोजन करने वाले मानव को पुरुष महिला लड़का तथा लड़की मे बांटकर आवश्यक कैलोरीज का वर्णन किया गया है 1400 ग्राम अनाज में 48.4 प्रोटीन तथा 60 ग्राम दाल में प्रोटीन पाया जाता है। अपनी आर्थिक स्थिति को देखकर अनाज, दालें हरे पत्तेदार सब्जियां, फल दूध तेल शुगर आदि की मात्रा बढ़ाकर या घटाकर पर्याप्त मात्रा में शाकाहारी भोजन से पौष्टिक आहार प्राप्त किया जा सकता है । शाकाहारी भोजन में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है जो कि पाचन तंत्र को मजबूत करता है । अतः पौष्टिक तत्वों से भरपूर शाकाहार को अपनाएं स्वस्थ और दीर्घायु जीवन पायें।
शाकाहार से बीमारियों में कमी:
मांसाहार से मचेगा हाहाकार : उज्जैन वाले बाबा जी महाराज
• 14.11.2021 हमीरपुर हिमाचल प्रदेश
अगर मांसाहार लोगों ने बंद नहीं किया तो जैसे रात को बीमार हुए सुबह खत्म हो गए दवा खोज भी नहीं पाएंगे दवा बना भी नहीं पाएंगे ऐसे ऐसे रोग आएंगे नाम यह कुछ भी रख लें ऐसी ऐसी तकलीफ आएंगी।
• पशु पक्षी का मांस खाने से खून बेमेल हो जाता जाता है तरह तरह की बीमारी आ जाती है।
-- उज्जैन वाले बाबा जी महाराज
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार जुनोसेस रोगो में निरंतर वृद्धि हो रही है। जानवरों से इंसानों में हस्तांतरित होने वाली बीमारी को जूनोसेस कहते हैं। अभी तक के शोध के अनुसार ऐसी 200 प्रकार की बीमारियां हैं।
बीमारियों की जड़ मांसाहार
विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार कोरोना वायरस एक जूनोसेस बीमारी थी। जो कि चमगादड़ से इंसानों में आई। चमगादड़ को किसी और जानवर ने खाया और उस जानवर को इंसान ने खाया। इस बीमारी से जान और माल का विश्व में कितना नुकसान हुआ है उसका सही पता अभी तक नहीं लग पाया है लेकिन यह सच है की शाकाहार अपना कर भविष्य में ऐसी बीमारियों से बचा जा सकता है।
• बहुत समझाने के बावजूद भी लोग मांसाहार नहीं छोड़ रहे हैं। इससे नई आफत विश्व पर मंडराने लगी है।
मांसाहार से अन्य रोगों में वृद्धि
• 45,000 स्वयंसेवकों के एक 11 साल के अध्ययन में पाया गया कि शाकाहारी भोजन से हृदय रोग का खतरा 32 प्रतिशत तक कम हो सकता है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता का मानना है कि यह कम जोखिम शाकाहारियों में कम कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप के कारण है ।
शाकाहारी व्यक्ति की तुलना में मांसाहारी व्यक्ति मे कैंसर, मधुमेह मोटापा, अल्जाइमर आदि रोगों की होने की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती है।
पौधे आधारित भोजन पौष्टिकता के साथ दीर्घायु बनाते हैं । पूरी दुनिया में कुछ स्थान ऐसे हैं जहां पर सबसे लंबी उम्र के लोग रहते हैं। ऐसे स्थान को ब्लू जोन कहते हैं। जर्मनी के प्रसिद्ध पोषाहार विशेषज्ञ प्रोफेसर क्लॉस लीटजमैन के अनुसार पौधे आधारित भोजन मानव को स्वस्थ दीर्घायु जीवन प्रदान करता है ।
" जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण ब्लू जोन के पांच क्षेत्र ओकिनावा (जापान); सार्डिनिया (इटली); निकोया (कोस्टा रिका): इकारिया (ग्रीस); और लोमा लिंडा (कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका) है। यहां के लोग शाकाहारी भोजन करते हैं।
अतः उपरोक्त तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मनुष्य की सेहत के लिए मांसाहार को त्याग कर शाकाहार अपनाना चाहिए।
शाकाहार से जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों को रोका जा सकता है:
फ्रेंड्स ऑफ अर्थ के अनुसार पृथ्वी की कुल आबादी के केवल 10% लोग ही शाकाहारी हैं। उनमें से अधिकतर भारतीय हैं। भारत में भी केवल 31% लोग शाकाहारी हैं। 90% आबादी मांसाहारी होने के कारण मांस की वैश्विक खपत 1990 के बाद से दोगुनी से अधिक हो गई है।
2021 में यह खपत 328 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक हो गई थी.
2006 में, संयुक्त राष्ट्र ने गणना की, दुनिया भर में मांस के लिए पाले गए जानवरों का संयुक्त जलवायु परिवर्तन उत्सर्जन वैश्विक कुल का लगभग 18% था। यह उत्सर्जन कारों, विमानों और परिवहन के अन्य सभी रूपों से अधिक है।
फ्रेंड्स ऑफ अर्थ के अनुसार मांस उत्पादन करने के लिए अधिक जानवर का पालन करना होता है इसलिए हर साल 6 लाख हेक्टर जंगल को काट दिया जाता है। यह जमीन यूरोप के देश बेल्जियम से दुगने आकार की है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय इंग्लैंड के जलवायु आपातकाल पर आधारित जनरल 2019 में प्रकाशित लेख में जलवायु परिवर्तन का कारण मांसाहार का सेवन माना हैं। इसे 11,000 वैज्ञानिकों तथा 153 देशों ने स्वीकार किया है। इस रिपोर्ट ने जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से बचने के लिए लोगों से शाकाहार अपनाने के लिए कहां है।
संयुक्त राष्ट्र के सरकारी वैज्ञानिकों के पैनल, ( आईपीसीसी) जो कि जलवायु परिवर्तन तथा ग्रीन हाउस गैसों का अध्ययन करने के लिए बनाई गई है, अपनी रिपोर्ट में तूफान, बाढ़, तेज गर्मी तेज ठंड तथा जलवायु के अन्य दुष्परिणामों से बचने के लिए शाकाहार अपनाने पर बल दिया है।
बढ़ते भूकंप का कारण मांसाहार
• भारतीय वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर मदन मोहन बजाज, प्रोफेसर विजय राज और प्रोफेसर इब्राहिम ने रूस में 1995 में अपनी शोध पत्र में यह सिदध किया कि भूकंप का कारण पशुओं का कत्ल है।
जब भी पशु को मारा जाता है उसमें दर्द भरी तरगे निकलती है जिसे इन वैज्ञानिकों ने आइंस्टाइन पेन वेब्स कहां है। बूचड़खाने से बहुत अधिक पेन वेव्स निकलती है।
2015 में बहुत बड़ा भूकंप नेपाल में आया था। बड़े स्तर पर पशु बलि ही वहां भूकंप का कारण रहा होगा।
रामचरित मानस में कहा गया है-
भूकंप कुहे गाइ की गाथा । कांपे धरा त्रास अति जाता ।।
जा दिन धरा धेन न होई। धरा रसातल ता छन होई । ।
भावार्थ- भूकंप गाय की गाथा ही गा रहा है। जब गौ माता को बहुत कष्ट होता है, तभी पृथ्वी कांपती है। जिस दिन इस धरती पर गाय नहीं होगी, उसी दिन ये रसातल में चली जाएगी।
(शेष क्रमशः अगली पोस्ट 13. में...)👇🏽
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